अनिकेत त्रिवेदी, पटना : विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 94 सीटों पर मतदान होना है. उम्मीदवारों की आपराधिक छवि और उनकी संपत्ति के आकलन के मुकाबले में एनडीए और महागठबंधन लगभग बराबर हैं.
पहले चरण के चुनाव को देखने के बाद उम्मीद है कि दूसरे चरण में 2015 के चुनाव में हुए मतदान के मुकाबले एक-दो प्रतिशत की बढ़ोतरी हो सकती है.
तीसरे चरण का औसत मिल कर 60 फीसदी से अधिक वोटिंग होने की संभावना है, जो पिछले चुनाव के वोटिंग प्रतिशत 56.66 से करीब चार फीसदी अधिक होगा़ 2015 के चुनाव में गिरे वोट प्रतिशत से साफ है कि दूसरे चरण के विधानसभा सीटों पर शहरी क्षेत्रों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाता अधिक जागरूक रहे हैं.
पिछली बार पटना जिले के खाटी शहरी कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र में मात्र 38.25 फीसदी वोटिंग हुई थी, जो अन्य के मुकाबले सबसे कम थी़ वहीं मुजफ्फरपुर के बारुराज, पश्चिमी चंपारण के चनपटिया व नौतन जैसे कई क्षेत्रों में 60 फीसदी से अधिक वोटिंग हुई थी़
कुल मिला कर वोटिंग प्रतिशत के लिहाज से मामला ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में बंटा हुआ है़ शहरी क्षेत्रों के विधानसभा का वोटिंग का औसत 55 फीसदी से कम और ग्रामीण क्षेत्र के विधानसभाओं का 55 फीसदी से अधिक रहा है़
पटना जिलों के विधानसभा क्षेत्रों में सबसे कम वोटिंग का प्रतिशत रहा है़ दूसरे चरण के अगर नौ विधानसभा क्षेत्र मसलन बख्तियारपुर, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, फतुहां, दानापुर, मनेर व फुलवारी में औसत वोटिंग मात्र 51.72 फीसदी रही है़
उसी प्रकार गोपालगंज के छह विधानसभा क्षेत्रों में औसत वोटिंग 56.71 फीसदी, सीवान के दूसरे चरण वाले आठ विधानसभा की औसम वोटिंग 54.39 फीसदी, सारण जिले के दस विधानसभा क्षेत्रों की औसत वोटिंग 53.54 फीसदी, वैशाली के छह विधानसभा की औसत वोटिंग 56.44 फीसदी वोटिंग हुई थी़.
बेगूसराय के सात विधानसभा क्षेत्रों में 58.75 फीसदी और दूसरे चरण में आने वाले नालंदा और नवादा के तीन-तीन विधानसभा क्षेत्रों में क्रमश: 51.51 फीसदी और 53.66 फीसदी वोटिंग रही है़ शहरी क्षेत्रों मसलन भागलपुर में भी पिछली बार मात्र 48 फीसदी वोटिंग हुई थी़
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– शहरी क्षेत्रों में 55 फीसदी से कम
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– ग्रामीण क्षेत्रों में 55 फीसदी से अधिक
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– कुम्हरार में सबसे कम 38.25 फीसदी हुई थी वोटिंग
Posted by Ashish Jha