Bihar CAG Report: पटना जिला अस्पताल में 1280 बेड की जगह सिर्फ 100 बेड, कई अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी

जिला अस्पतालों में जनसंख्या के अनुपात में न तो बिस्तर है और न ही चिकित्सकों की तैनाती की गयी है. इसका मरीजों के इलाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. बिहार विधानसभा में बुधवार को पेश किये गये सीएजी प्रतिवेदन में इसका खुलासा किया गया है.

By Prabhat Khabar Print Desk | March 31, 2022 12:18 PM

पटना. राज्य के पांच जिला अस्पतालों में जनसंख्या के अनुपात में न तो बिस्तर है और न ही चिकित्सकों की तैनाती की गयी है. इसका मरीजों के इलाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. बिहार विधानसभा में बुधवार को पेश किये गये भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) का 31 मार्च 2020 को समाप्त हुए प्रतिवेदन में इसका खुलासा किया गया है.

इन अस्पतालों का किया निरीक्षण

सीएजी की ओर से बिहारशरीफ जिला अस्पताल, हाजीपुर जिला अस्पताल, जहानाबाद जिला अस्पताल, मधेपुरा जिला अस्पताल और पटना जिला अस्पताल की जांच प्रतिवेदन तैयार किया गया है. CAG ने बिहार के जिस भी सरकारी अस्पताल का निरीक्षण किया वहां सिर्फ और सिर्फ बदहाली नजर आयी. ना डाक्टर-नर्स हैं, ना ही दवा और जांच की व्यवस्था.

सरकारी अस्पतालों में चल रहे अवैध ब्लड बैंक

सरकारी अस्पताल में अवैध ब्लड बैंक चल रहे हैं. जिलों के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में ऑपरेशन थियेटर तक नहीं है. CAG की टीम ने देखा कि सरकारी अस्पतालों में आवारा कुत्ते और सुअर घूम रहे हैं. भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक यानि CAG की टीम ने बिहार के पांच जिलों के जिला अस्पताल यानि सदर अस्पतालों के साथ साथ सिविल सर्जन कार्यालय और स्वास्थ्य विभाग के राज्यस्तरीय कार्यालयों का निरीक्षण किया था.

आबादी के अनुपात में बहुत कम बेड

रिपोर्ट में बताया गया है कि जनगणना 2011 के अनुसार पांच जिलों की आबादी के अनुपात में आइपीएचएस मानकों के अनुसार जिला अस्पतालों में 52 प्रतिशत से लेकर 92 प्रतिशत तक बेड की कमी पायी गयी. बिहारशरीफ जिला अस्पताल में 630 बेड की आवश्यकता थी जिसकी जगह पर सिर्फ 300 बेड (52 प्रतिशत कम) ही उपलब्ध थे.

मधेपुरा में 440 की जगह महज 91 बेड

इसी प्रकार से हाजीपुर जिला अस्पताल में 765 बेड की तुलना में 120 बेड (84 प्रतिशत कम) उपलब्ध थे. जहानाबाद जिला अस्पताल में 250 बेड की जगह 97 बेड (61 प्रतिशत कम) उपलब्ध थे. मधेपुरा जिला अस्पताल में 440 बेड की जगह पर 91 बेड ((79 प्रतिशत कम) उपलब्ध थे.

पटना का सबसे बुरा हाल

राजधानी पटना के जिला अस्पताल में 1280 बेड की तुलना में सिर्फ 100 बेड (92 प्रतिशत कम) बेड उपलब्ध थे. सीएजी ने चिकित्सकों को लेकर जारी रिपोर्ट में बताया है कि बिहार शरीफ जिला अस्पताल में 50 चिकित्सकों की तुलना में सिर्फ 22 चिकित्सक (56 प्रतिशत कम) कार्यरत थे.

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