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बिहार में कल होगी विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना, प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे करीगर

बिहार की राजधानी पटना के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में सरस्वती पूजा की जोरदार तैयारियां की जा रही हैं. सरस्वती पूजा विद्यार्थियों का सर्व प्रमुख पर्व है. पटना के हजारों स्थलों पर विभिन्न भाव भंगिमा वाले मां सरस्वती की प्रतिमाएं स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती है.

पटना. विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना 26 जनवरी दिन गुरुवार को की जायेगी. पूजा को लेकर एक तरफ जहां छात्र-छात्राओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कारीगर मां सरस्वती की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में पसीने बहा रहे हैं. राजधानी के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में पूजा की जोरदार तैयारियां की जा रही हैं. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार सरस्वती पूजा ऋतुराज बसंत के उत्सव के दिन मनाया जाता है. सरस्वती पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो हर वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. सरस्वती पूजा प्राचीन काल से ही प्रचलित है. विशेष रूप से कला अथवा शिक्षा के क्षेत्र में जुटे लोग अपनी सफलता के लिए मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं. इस वर्ष सरस्वती पूजा 26 जनवरी को मनायी जाएगी.

देवताओं के आग्रह पर मां शारदे की हुई थी उत्पत्ति

सरस्वती पूजा विद्यार्थियों का सर्व प्रमुख पर्व है. पटना के हजारों स्थलों पर विभिन्न भाव भंगिमा वाले मां सरस्वती की प्रतिमाएं स्थापित कर पूजा अर्चना की जाती है. सर्वप्रथम विद्यार्थियों के द्वारा किसी साफ-सुथरे स्थल पर अथवा स्कूल- कॉलेज में किसी ऊंचे मंच पर मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की जाती है. पूजा स्थल तथा पूरे परिसर को फूल- पत्तियों, रंगीन झंडियों तथा रंगीन बल्बों से सजाया जाता है. उसके बाद ब्राह्मणों के सहयोग से मां सरस्वती की धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती है. मां सरस्वती की पूजा अर्चना में गाजर, बेर, सेव , केले आदि ऋतु फल के साथ-साथ मिठाइयां सकरपाले, लड्डू, बुंदिया आदि का प्रयोग किया जाता है तथा पूजा के बाद इसे प्रसाद के रूप में वितरित भी किया जाता है. विभिन्न स्कूल कॉलेजों के विद्यार्थी जोर शोर से सरस्वती पूजा की तैयारी में जुटे हुए हैं.

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जानें कैसे हुई विद्या की देवी मां सरस्वती की उत्पत्ति

विद्या की देवी मां सरस्वती की उत्पत्ति देवताओं के आग्रह पर मां दुर्गा ने किया था. इस संबंध में ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी तो सभी जीव और वनस्पति मूक और रंगहीन थे, जिससे सारा जगत अधूरा प्रतीत हो रहा था. इसे देखते हुए देवताओं ने मां दुर्गा से आग्रह किया और मां दुर्गा ने एक चार भुजा वाली देवी को प्रकट किया. जिनके हाथों में वीणा, कमंडल, पुस्तक और माला विराजमान था. इन्हें वीणा पाणि, शारदा, सरस्वती आदि कई नामों से पूजा जाता है. उन्होंने बताया कि जब मां सरस्वती के हाथों की वीणा से स्वर निकला तो सारे संसार में जीवन आ गया तथा पूरी सृष्टि जीवंत हो उठी. बाद में माता आदि शक्ति के आज्ञा अनुसार मां सरस्वती ब्रह्मा जी की अर्धांगिनी बनीं.

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