डोरीगंज (छपरा) : कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को लेकर देश मे गत 24 मार्च से प्रभावी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद देश के विभिन्न प्रांतों से अपनी जान जोखिम में डाल पैदल ही घर लौटने वाले असंगठित कामगार मजदूरों के आने का सिलसिला लगातार जारी है. कोरोना के कारण देश के बिगड़े हालात में इनके लिए जिंदगी इतनी मुश्किल हो गयी है कि भूख और प्यास से बेहाल इन्हें हर हाल में अपने गांव पहुंचना है. बीबी बाल बच्चों समेत सिर पर अपनी गृहस्थी संभाले इन मजदूरों को न तो सोशल डिस्टेंसिग की चिंता है और न ही कोरोना का कोई खौफ चेहरे पर. बस एक ही चिंता की लकीरें साफ-साफ दिखाई पड़ रही है कि वे किसी तरह अपने गांव पहुंच जाएं. गोरखपुर से कटिहार के लिए परिवार समेत पैदल निकले करीब दो दर्जन मजदूरों का जत्था शुक्रवार को छपरा पहुंचा, जिन्हें शहर के नेवाजी टोला चौक पर भूख और प्यास से व्याकुल देख स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना मुखिया प्रतिनिधि विनोद सिंह को दी जिनके द्वारा इसकी सूचना सदर बीडीओ रमण कुमार सिन्हा को दी गयी जिसके बाद प्रवासी मजदूरों को छपरा इंजिनियरिंग कॉलेज में संचालित राहत आपदा बचाव कैंप ले जाया गया.
जहां मौके पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम के द्वारा मजदूरों की स्क्रीनिंग कर उनके रहने खाने की व्यवस्था की गयी. मजदूरों ने बताया कि वे गोरखपुर के कोल्ड स्टोरेज प्रतिष्ठानों व फैक्ट्रियाें में काम करते थे जो लॉकडाउन के कारण बंद हो गया और उनकी रोजी रोटी छिन गयी. मालिक ने मजदूरी का भुगतान कर घर जाने को बोल दिया. अब जब काम ही नहीं बचा तो वहां रहने का कोई मतलब नहीं. हम लोगों के पास पैसे भी कम ही थे. ऐसे में हम लोगों ने घर जाने का फैसला लिया. लेकिन कोई साधन नहीं मिलता देख हमलोग गोरखपुर से पैदल चौड़ीचौड़ा तक आये. जहां पुलिस प्रशासन के लोग मिले जिन्होंने खाना खिलाया और हम सबकी जांच करायी. जिसके बाद एक ट्रक पर बैठाकर भेज दिया. हमलोग रात में छपरा पहुंचे ट्रक वाला छपरा जंक्शन से चार किलोमीटर पीछे ही उतार दिया. जहां से हमलोग पैदल ही निकल पड़े. इस संबंध में सदर बीडीओ रमण कुमार सिन्हा ने बताया कि मजदूरों के दल में महिला पुरुष व बच्चे समेत कुल 30 के आसपास लोग शामिल हैं जिनकी स्क्रीनिंग के बाद इंजिनियरिंग कॉलेज परिसर में संचालित राहत आपदा कैंप शिविर में खाने पीने की व्यवस्था करा दी गयी है.