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श्री हनुमान एजेंसी के संचालक के तार जुड़े थे एक्सपायरी दवाओं के माफिया रमेश से
खुलासा. नीरज समेत नौ लोग भेजे गये जेल, रमेश पाठक अब भी है फरार पटना : पटना के साथ ही कोलकाता व अन्य राज्यों में एक्सपायरी दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर रमेश पाठक है. श्री हनुमान एजेंसी के संचालक नीरज की गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ है कि वह रमेश पाठक से ही एक्सपायरी […]
खुलासा. नीरज समेत नौ लोग भेजे गये जेल, रमेश पाठक अब भी है फरार
पटना : पटना के साथ ही कोलकाता व अन्य राज्यों में एक्सपायरी दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर रमेश पाठक है. श्री हनुमान एजेंसी के संचालक नीरज की गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ है कि वह रमेश पाठक से ही एक्सपायरी दवाओं की खेप लेता था और उसमें एक्सपायरी का डेट मिटा कर बिक्री कर देता था. उसके पास पूरे बिहार से रिटेलर दवा खरीदने आते थे और ये दवाएं ग्रामीण इलाके के ही रिटेलर को देता था. क्योंकि आसानी से खप जाती थी.
साथ ही फिजिशियन सैंपल भी बरामद हुए थे. उसके संबंध में छानबीन के बाद यह बात सामने आयी है कि वह फिजिशियन सैंपल को मिटा कर उसमें एमआरपी लिख देता था. बहादुरपुर में 21 अप्रैल को बिट्टू के गोदाम से जो एक्सपायरी दवाएं बरामद की गयी थीं, वह दवा भी उसने रमेश पाठक से ही ली थी. रमेश पाठक फिलहाल फरार है.
उसके खिलाफ पांच थानों में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज है. ख्ास बात यह है कि श्री हनुमान एजेंसी व महालक्ष्मी एजेंसी की दुकान व गोदाम की जब औषधि विभाग की टीम ने जांच की तो यह पता चला कि ऐसे कई इंजेक्शन व दवाएं थीं, जिन्हें फ्रीज में रखी जानी है, लेकिन वह बाहर ऐसे ही पड़ी थी. सांपों के काटने के बाद उसके इलाज में उपयोग की जानेवाली दवा भी फ्रीज के बाहर पड़ी थी. यह दवा भी एक्सपायरी थी. ऐसी ही कई अन्य जीवनरक्षक दवाएं, जो फ्रीज के अंदर रखनी है, वह बाहर रख कर बेची जा रही थी.
लाइेंसस को कर लिया था बहाल, उठ रहे सवाल : जानकारी के मुताबिक श्री हनुमान एजेंसी में 2005, 2010 व 2014 में छापेमारी हुई थी. उसकी दवा की तीन लाइसेंस को रद्द कर दिया गया था. लेकिन उसने 2015 में फिर से तीनों रद्द दवाओं के लाइसेंस को फिर से बहाल कर लिया था. अब यह सवाल उठ रहा है कि आखिर उसका लाइसेंस फिर से कैसे बहाल हो गया, यह जांच का विषय है.
रविवार को औषधि विभाग की टीम ने श्री हनुमान एजेंसी, महालक्ष्मी एजेंसी समेत चार दवा दुकानों के ठिकानों पर जांच करने के उपरांत पीरबहोर थाने में 15 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी है. इसमें श्री हनुमान एजेंसी के संचालक नीरज व धीरज, उसके पिता नरेश कुमार, धीरज कुमार की पत्नी शीतल कुमारी, मां रेणुका कुमारी व महालक्ष्मी एजेंसी से जुड़े उमाशंकर, अमरदीप समेत पंद्रह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.
साथ ही छापेमारी के दौरान शनिवार को पकड़े गये लल्लू कुमार, परमानंद प्रसाद, नीरज कुमार, अशोक कुमार, दुर्गेश, ऋषि नारायण, मनीष कुमार, अजय गुप्ता, गौतम कुमार व बंटी कुमार को पुलिस ने जेल भेज दिया है. औषधि निरीक्षक सच्चिदानंद प्रसाद ने बताया कि 15 लोगों के खिलाफ पीरबहोर थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी है. इन दुकानों से एक्सपायरी, सरकारी व नकली दवाएं बरामद की गयी हैं. उन्होंने बताया कि नीरज भी रमेश पाठक से ही एक्सपायरी दवा लेता था और फिर उसकी डेट मिटा कर नया डाल देता था. जांच के दौरान ये बातें भी सामने आयी हैं कि जो दवाएं फ्रीज में रखी जानी चाहिए, वह बाहर ही रख कर बिक्री की जा रही थीं.
पटना. प्रदेश की सबसे बड़ी दवा मंडियों में शुमार गोविंद मित्रा रोड स्थित दवा दुकानों में पिछले दो महीनों से पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है. छापेमारी में नकली दवाओं के गोरखधंधे का भंडाफोड़ हो रहा है. इन छापेमारी के बाद अब औषधि विभाग के ड्रग इंस्पेक्टर जांच के घेरे में आ गये हैं. सवाल यह उठ रहा है औषधि विभाग की ओर से छापेमारी होती है, बिल की गड़बड़ी पकड़ी जाती है, कई बार नकली दवाएं भी पकड़ी गयीं, लेकिन गोरखधंधा क्यों नहीं बंद हो रहा है. ड्रग इंस्पेक्टरों की जांच रिपोर्ट भी विभाग को नहीं मिली है. जबकि, जांच की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो जाता है कि कौन से ड्रग इंस्पेक्टर ने कितनी दुकानों में छापेमारी की है. सभी दुकानों की संख्या व रिपोर्ट निर्धारित रहती है.
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