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ब्लड बैग का बैच नंबर बतायेगा पटना में कौन बेच रहा गंदा खून

मौत का सामान. दूसरे प्रदेशों से भी जुड़ा है लाल खून का काला कारोबार पकड़े गये ब्लड बैग के बैच नंबर से मामला होगा उजागर आनंद तिवारी पटना : पटना में दूषित खून का काला कारोबार शहर के कुछ प्राइवेट ब्लड बैंक भी कर रहे हैं. इनके तार दूसरे प्रदेशों से जुड़े हैं. यह अनुमान […]

मौत का सामान. दूसरे प्रदेशों से भी जुड़ा है लाल खून का काला कारोबार
पकड़े गये ब्लड बैग के बैच नंबर से मामला
होगा उजागर
आनंद तिवारी
पटना : पटना में दूषित खून का काला कारोबार शहर के कुछ प्राइवेट ब्लड बैंक भी कर रहे हैं. इनके तार दूसरे प्रदेशों से जुड़े हैं. यह अनुमान औषधि विभाग का है. खजांची रोड स्थित नालंदा मेडिगो में पकड़े गये दूषित खून का बैग फरीदाबाद कंपनी का है. फरीदाबाद की मित्रा इंडस्ट्रीज लिमिटेड नाम की कंपनी ने डिस्ट्रीब्यूटर्स को बैग इश्यू किया है. बैग वैध रूप से इश्यू किये गये हैं या अवैध रूप से इसका पता लगाया जायेगा. औषधि विभाग की मानें तो ब्लड बैग के बैच नंबर से कई तरह के मामले और पकड़ में आयेंगे. क्योंकि, बैच नंबर से यह पता लगाया जायेगा कि फरीदाबाद की कंपनी ने पटना के कौन-कौन से डिस्ट्रीब्यूटर्स को बैग इश्यू किये हैं. संबंधित डिस्ट्रीब्यूटर्स के पास पुलिस व औषधि विभाग की टीम जायेगी और इस मामले की सच्चाई का परदाफाश होगा.
किसे सप्लाइ हुआ खाली बैग, कैसे पहुंचा दवा दुकान तक : पटना में खाली ब्लड बैग किस ब्लड बैंक को सप्लाइ हुआ और वे बैग को दवा दुकान तक कैसे पहुंचा रहे हैं, इसकी जांच में औषधि विभाग व पटना पुलिस की टीम जुट गयी है.
जांच में यह बात सामने आयी है कि रिक्शा, ठेला चालकों व गरीब तबके के लोगों को रुपये की लालच देकर उनसे खून लिया जाता था. बदले में उन्हें थोड़े पैसे भी दिये जाते थे. टीम को आशंका है कि पटना के अलावा पूरे प्रदेश की दवा दुकानों तक खून के बैग सप्लाइ किये जा रहे हैं और गरीबों का खून बैग में भर कर सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में मुहैया कराया जा रहा है. साथ ही खून सप्लाइ का स्टिकर भी बैग में दिये जा रहे हैं.
350 एमएल के बदले लेते थे मन मुताबिक खून : स्वास्थ्य विभाग की मानें तो एक व्यक्ति एक बार में एक यूनिट खून दे सकता है. एक यूनिट में 350 एमएल खून रहता है. लेकिन, पकड़े गये आरोपित इंदूभूषण सिन्हा की मानें तो लोगों से 450 एमएल तक खून लिया जाता है.
खून को दलालों के माध्यम से प्राइवेट व सरकारी अस्पतालों में मुहैया करा दिया जाता है. इसके बदले दलाल को 200 रुपये तक दिये जाते हैं. बड़ी बात तो यह है कि बैग में खून लेते समय ग्रुप की जांच भी नहीं की जाती है. आरोपित की मानें तो खून लेने के तुरंत बाद आयरन व कैलशियम के साथ ही विटामिन की दवा खिलायी जाती है, ताकि शरीर में जल्दी खून बन सके.
पटना : राजधानी के अलग-अलग जगहों पर छापेमारी कर भले ही नकली व एक्सपायरी दवाओं का जखीरा पकड़ा गया है. लेकिन, शहर में कई ऐसे गोदाम और दवा दुकान हैं जहां अगर छापेमारी की जाये तो अब भी नकली व एक्सपायर दवाएं मिल जायेंगी. लेकिन, ऐसी जगहों पर औषधि विभाग की टीम नहीं पहुंच पा रही है. बड़ी बात तो यह है कि बीते दो साल से इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) के इनसिनेरेटर में एक्सपायरी दवाएं नष्ट होने के लिए नहीं भेजी गयी हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये दवाएं कहां जा रही हैं.
इसका जवाब औषधि विभाग के जिम्मेवार अधिकारियों के पास भी नहीं है. जबकि, आइजीआइएमएस प्रशासन का कहना है कि इनसिनेरेटर में ज्यादातर प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों के मेडिकल कचरे को नष्ट किया जा रहा है. औषधि नियंत्रण प्रशासन द्वारा बहुत कम ही एक्सपायरी दवाओं को नष्ट करने के लिए भेजा जाता है.
दवाओं को नष्ट करने का है प्रावधान : अगर सरकारी अस्पताल, गोदाम या फिर दुकानों में बेची जाने वाली दवाएं एक्सपायर हो जाती हैं, तो संबंधित कंपनी को सूचना देनी होती है. एक्सपायरी दवाएं 120 दिनों के अंदर कंपनी वापस ले लेती हैं. अगर निर्धारित अवधि में दवा वापस नहीं होती है, तो इनसिनेरेटर में नष्ट होने के लिए भेजी जाती हैं. इधर, औषधि विभाग ने छापेमारी में एक्सपायरी दवाएं व रैपर बदल कर बेचे जाने का मामला पकड़ा है. ऐसे में एक्सपायरी दवाएं इनसिनेरेटर में क्यों नहीं पहुंच रही हैं, इसको लेकर कई सवाल उठ रहे हैं.
कब-कब पकड़ी गयीं एक्सपायरी दवाएं :
22 अप्रैल, 2017: बिस्कोमान गोलंबर के पास रमेश पाठक के अतरी निकुंज घर से 20 लाख रुपये की एक्सपायरी दवाएं पकड़ी गयीं.
11 जनवरी, 2017- जीएम रोड स्थित दो दुकानों में भारी मात्रा में नकली व एक्सपायरी दवाएं पकड़ी गयीं. इसमें सुनील व बबलू के खिलाफ पीरबहोर थाने में मामला दर्ज किया गया.
31 जनवरी, 2016 – पटना एम्स के सामने दो मेडिकल दुकानों में छापेमारी, कई तरह दवाएं पकड़ी गयीं.
29 दिसंबर, 2016 – जीएम रोड के मंटू फार्मा दुकान से 10 लाख रुपये की दवाएं पकड़ी गयीं.
25 नवंबर, 2016 – मोती चौक खगौल स्थित गुड्डू फार्मा में छापेमारी की गयी. यहां कई तरह की एक्सपायरी दवाएं मिलीं.

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