कांटी बिजलीघर ठप, चार माह से उत्पादन बंद

नहीं मिल रहा कोयला, 250 करोड़ है बकाया, 2016 में भी काफी समय तक उत्पादन रहा था ठप पटना : कांटी बिजली घर में पिछले चार माह से अधिक समय से उत्पादन ठप है. कांटी की यूनिट संख्या-1 14 जनवरी से कोयला संकट के कारण बंद है. यूनिट संख्या-2 भी चार अप्रैल से कोयला संकट […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 26, 2017 7:24 AM

नहीं मिल रहा कोयला, 250 करोड़ है बकाया, 2016 में भी काफी समय तक उत्पादन रहा था ठप

पटना : कांटी बिजली घर में पिछले चार माह से अधिक समय से उत्पादन ठप है. कांटी की यूनिट संख्या-1 14 जनवरी से कोयला संकट के कारण बंद है. यूनिट संख्या-2 भी चार अप्रैल से कोयला संकट के कारण बंद है. यूनिट संख्या-3 10 अप्रैल से तकनीकी खराबी के कारण बंद है. कोई भी यूनिट महीने में दो-चार दिन से अधिक नहीं चलता है.

कमोबेश 2016 में भी यही हाल था. काफी समय तक कांटी में उत्पादन ठप रहा. इसके बाद आधुनिकीकरण और नवीनीकरण किया गया और इकाई संख्या 1 और 2 को चालू किया गया. अभी यहां पर 195 मेगावाट की क्षमता की दो इकाइयों का निर्माण एनटीपीसी के सहयोग से चल रहा है. इस पर 3942.16 करोड़ खर्च आ रहे हैं. कांटी के साथ ही बरौनी उत्पादन इकाई में भी बिजली उत्पादन ठप है. बिहार को सेंट्रल पुल से भी पूरी आवंटित बिजली नहीं मिलती है जिसके चलते बाजार पर निर्भर रहना पड़ता है राज्य में औसतन 4000 मेगावाट बिजली की खपत है. कांटी बिजलीघर के संचालन की जिम्मेवारी केंद्र सरकार की एजेेंसी एनटीपीसी के पास है. एजेंसी पर कोयले का ढाई सौ करोड़ का बकाया है . जिसके चलते कोयला मिलने में परेशानी हो रही है.

कांटी में स्टेज एक की दो यूनिट और स्टेज दो की एक यूनिट में उत्पादन हो रहा है. स्टेज एक में 110-110 मेगावाट की दो इकाइयां है. 220 मेगावाट की जगह औसतन 90 से 100 मेगावाट बिजली मिलती है. तीसरी यूनिट में उत्पादन शुरू हो गया है. लेकिन कभी-कभार ही इससे बिजली मिलती है. राज्य में बिजली की खपत बढ़ रही है.

सेंट्रल पुल से बिहार को 2942 मेगावाट बिजली आवंटित है, लेकिन औसतन 21 से 22 सौ मेगावाट की ही आपूर्ति होती है. औसतन रोजाना 1000 मेगावाट बिजली बाजार से खरीद हो रही है. बरौनी में 110 मेगावाट की दो यूनिट 6 और 7 के आधुनिकीकरण व नवीनीकरण का कार्य प्रगति पर है. बरौनी में 205-250 सौ मेगावाट की दो इकाइयां लग रही है इस पर 5308 करोड़ खर्च आयेंगे.

कांटी की तरह बरौनी बिजली घर को भी चलाने की जिम्मेवारी एनटीपीसी को सौंपी जा सकती है. इसके अलावा ऊर्जा विभाग इस पर विचार कर रहा है कि कांटी और बरौनी को एनटीपीसी को सौंप दिया जाये. इसमें राज्य की बिजली कंपनी और ऊर्जा विभाग का भी शेयर रहेगा. इस संबंध में बिहार पावर जेनरेशन कंपनी से मंतव्य भी मांगा गया है.

एनटीपीसी ऊर्जा सेक्टर का का बड़ा खिलाड़ी है. विभाग और बिजली कंपनी का मानना है कि उसे ताप बिजलीघर चलाने का अधिक अनुभव है. अभी कांटी बिजली घर में एनटीपीसी की 65 फीसदी और 35 फीसदी पावर जेनरेशन कंपनी की भागीदारी है.

Next Article

Exit mobile version