पटना: सरकारी विभागों, मेडिकल, बैंकिंग व इंश्योरेंस आदि की परीक्षा में स्कॉलर्स की मदद से परीक्षा में सफलता दिलानेवाले गिरोह के बिहार के सरगना कन्हैया कुमार वत्स (विद्यापति, समस्तीपुर) को पुलिस की विशेष टीम ने गांधी मैदान थाने के राम गुलाम चौक इलाके से पकड़ लिया.
इसके पहले वह जम्मू-कश्मीर में सीबीआइ द्वारा पकड़ा गया था, लेकिन बाद में फरार हो गया था. पिछले दिनों प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ी फैलाने वाले गिरोह के खुलासे के बाद पुलिस ने कार्रवाई तेज कर दी. इसके बाद यह सफलता मिली. बताया जाता है कि पिछले रविवार को बैंक की परीक्षा में कन्हैया सेटिंग करने पहुंचा था, जिसकी भनक पुलिस को लग गयी थी. गिरफ्तारी से बचने के लिए पुलिस होटल बदल-बदल कर रह रहा था.
स्कॉलरों को मोटी रकम : पूछताछ के दौरान कन्हैया ने बताया कि एमबीबीएस की परीक्षा पास कराने के लिए आठ लाख व एमडी की परीक्षा के लिए प्रति छात्र 20 लाख लेते थे. इसके लिए भारत के रैंकर डॉक्टर्स को परीक्षा में स्कॉलर्स के रूप में बैठाया जाता था और उन्हें मोटी रकम दी जाती थी.
यही नहीं, वे लोग एग्जाम में बैठने के लिए देश भर से स्कॉलरों को बुलाते थे. इसके लिए वे राजस्थान से डॉ प्रह्लाद चौधरी, डॉ महेंद्र चौधरी, राकेश गुजर्र व मयंक भटनागर, बिहार से राकेश चंद्रा, यूपी से विकास कुमार, पश्चिम बंगाल से डॉ सुमन पाल, दिल्ली से रिप्पल को बुलाया जाता था. मालूम हो कि इस गिरोह का मास्टरमाइंड चंद्रा जी खुद भी एक स्कॉलर है. वह बेंगलुरु के इंडियन एजुकेशन फांउडेशन का संचालक भी है तथा वह मूल रूप से बिहार के नवादा का रहनेवाला है.
गौरतलब है कि गिरोह के एक सेटर रमेश कुमार को पकड़ने के लिए पुलिस की एक टीम मुंबई, तो मास्टरमाइंड चंद्रा को पकड़ने के लिए दूसरी टीम बेंगलुरु गयी है. पुलिस ने पूर्व में गिरोह के चार सदस्य मनीष कुमार (सुपौल), अरविंद कुमार (नालंदा), राज किशोर सिंह (समस्तीपुर) व ओंकार सिंह (मेरठ) को पकड़ा था. इनके पकड़े जाने के बाद रमेश व चंद्रा भूमिगत हो गये. एसएसपी मनु महाराज ने कन्हैया की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि पूछताछ में कई जानकारी मिली है. गिरोह के अन्य सदस्यों को पकड़ने के लिए छापेमारी हो रही है.