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गॉल ब्लाडर के स्टोन को नहीं करें इग्नोर, हो रहा कैंसर
पटना : आइजीआइएमएस में चल रहे दो दिवसीय पूर्वांचल गैस्ट्रोकॉन 2017 की पांचवीं एनुअल कॉन्फ्रेंस का समापन रविवार को हो गया. बिहार के अलावा पूरे नाॅर्थ इस्ट से आये करीब 300 गैस्ट्रोएंट्रोलिस्ट डॉक्टरों ने पेट की विभिन्न बीमारियों व इलाज के बारे में जानकारी दी. साथ ही पहले दिन पित्त की नली में पथरी की […]
पटना : आइजीआइएमएस में चल रहे दो दिवसीय पूर्वांचल गैस्ट्रोकॉन 2017 की पांचवीं एनुअल कॉन्फ्रेंस का समापन रविवार को हो गया. बिहार के अलावा पूरे नाॅर्थ इस्ट से आये करीब 300 गैस्ट्रोएंट्रोलिस्ट डॉक्टरों ने पेट की विभिन्न बीमारियों व इलाज के बारे में जानकारी दी.
साथ ही पहले दिन पित्त की नली में पथरी की लाइव सर्जरी भी दिखायी गयी. समापन के दौरान एसजीपीजीआइ लखनऊ से आये डॉ प्रवीर राय ने इंडोस्कोपी अल्ट्रासाउंड और हैदराबाद से आये डॉ नागेश्वर रेड्डी ने इंडोस्कोपी से ऑपरेशन के बारे में बताया. आइजीआइएमएस के डॉ मनीष मंडल ने बताया कि गैस्ट्रो विभाग में हर साल 500 गाॅल ब्लाडर कैंसर के मरीज आते हैं. इनमें 450 मरीजों की मौत हो जाती है. ये मरीज अस्पताल तब पहुंचते हैं, जब लिवर में कैंसर पूरी तरह से फैल जाता है. यही वजह है कि इन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है और मौत हो जाती है. उन्होंने कहा कि अगर गैस बनता हो, पेट में हल्का दर्द व खाना नहीं पचने की समस्या हो रही हो, तो अल्ट्रासाउंड करा कर डॉक्टर से संपर्क करें. उन्होंने कहा कि गाॅल ब्लाडर के स्टोन को इग्नोर नहीं करें. इससे कैंसर हो रहा है.
पेट के कैंसर की सटीक मिलती है जानकारी : एसजीपीजीआइ लखनऊ से आये डॉ प्रवीर राय ने कहा कि अल्ट्रासाउंड इंडोस्कोपी से पेट के कैंसर, पथरी, अल्स पैंक्रीयाज आदि की पहचान अब आसान हो गयी है. सामान्य अल्ट्रासाउंड से कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलने में दिक्कत होती है. लेकिन, अब इंडोस्कोपी अल्ट्रासाउंड से ऐसी कोशिकाओं को डॉक्टर आसानी से देख सकते हैं, जिससे शुरुआती दौर के कैंसर की पहचान हो सकती है. उन्होंने कहा कि यह सुविधा आइजीआइएमएस पटना में भी उपलब्ध हो गयी है.
पैंक्रियाटाइटिस में सूजन तो करा लें सर्जरी : आइजीआइएमएस के डॉ अमरेंद्र कुमार ने कहा कि अगर स्टोन बाइल डक्ट में फंस जाते हैं, तो पैंक्रियाटाइटिस की समस्या हो जाती है. इसमें पैंक्रियाज में सूजन, ब्लॉडर में पस जैसी समस्या हो जाती है. पैंक्रियाटाइटिस के 20 परसेंट मरीज नहीं बच पाते हैं. इसलिए, गाॅल ब्लाडर के स्टोन को इग्नोर न करें और तुरंत इसकी सर्जरी करा लेनी चाहिए.
लिवर में सूजन व खराबी के बढ़े रहे मरीज : दिल्ली से आये डॉ एसके सरीन ने कहा कि इन दिनों लिवर में सूजन व लिवर की खराबी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण दवाओं का साइड इफेक्ट है. डॉ सरीन ने बताया कि मरीजों को खासकर हेपेटाइटिस बी की दवाओं का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अधिक तेल खाने और शराब पीने के कारण भी लिवर में सूजन की समस्या हो रही है. ऐसे में इन आदतों को बदलने की जरूरत है. कार्यक्रम के दौरान डायरेक्टर डॉ एनआर विश्वास, डॉ पीके सिन्हा आदि मौजूद थे.
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