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बंद होंगे मृतप्राय 16 निगम समायोजित होंगे कर्मचारी
पटना : राज्य में 2005-06 के बाद सभी मृतप्राय निगमों को फिर से जीवित करने की जोरदार कोशिश शुरू की गयी. इसके सार्थक परिणाम भी निकले और अधिकतर निगम फिर से जीवित हो गये. लेकिन, तमाम कोशिशों के बाद भी राज्य में 16 निगम अब भी ऐसे हैं, जो पूरी तरह से डिफंक्ट या मृतप्राय […]
पटना : राज्य में 2005-06 के बाद सभी मृतप्राय निगमों को फिर से जीवित करने की जोरदार कोशिश शुरू की गयी. इसके सार्थक परिणाम भी निकले और अधिकतर निगम फिर से जीवित हो गये. लेकिन, तमाम कोशिशों के बाद भी राज्य में 16 निगम अब भी ऐसे हैं, जो पूरी तरह से डिफंक्ट या मृतप्राय हो गये हैं. तमाम कोशिशों के बाद भी ये फिर से नहीं खड़े हो पा रहे हैं. स्थिति यह हो गयी है कि इन निगमों पर देनदारी या बकाया बढ़ कर 50 हजार करोड़ से ज्यादा का हो गया है. इनमें तैनात कई कर्मचारी दूसरे विभागों या स्थानों पर प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे हैं या कई बिना काम के ही बैठे हुए हैं.
अब राज्य सरकार ने ऐसे 16 डिफंक्ट या मृतप्राय निगमों को पूरी तरह से बंद करने की कवायद तेज कर दी है. इससे संबंधित रिपोर्ट वित्त एवं सांस्थिक निदेशालय तैयार कर रहा है. ये निगम जिन-जिन विभागों के अंतर्गत आते हैं, उन विभागों से इन निगमों के बारे में पूरी जानकारी देने के लिए कहा गया है. इससे पहले भी संबंधित विभागों को उनके डिफंक्ट निगमों के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए दो-तीन बार कहा जा चुका है, लेकिन विभाग जानकारी देते नहीं या हर बार अलग-अलग तरह की जानकारी दे देते हैं. इस वजह से इससे जुड़ी रिपोर्ट तैयार करने में बेहद समस्या आ रही है.
कई विभागों को तो उनके डिफंक्ट निगमों की परिसंपत्तियों, इनमें कार्यरत कर्मचारियों की संख्या समेत अन्य किसी जरूरी बातों की जानकारी ही ठीक से नहीं है. ऐसे निगमों के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाने का काम तेजी से चल रहा है. प्राप्त सूचना के अनुसार, इन सभी 16 निगमों के पास जितने की संपत्ति है, वह इन पर मौजूदा बकाये की राशि 50 हजार करोड़ से कहीं ज्यादा है. ऐसे में अगर सरकार इन्हें बंद करके इनके कर्मचारियों का समायोजन अन्य कहीं भी कर देती है, तो सरकार को नुकसान नहीं होगा.
इन निगमों में मुख्य रूप से तीन तरह के (स्थायी, अनुबंधित और सीजनल या मौसमी) कर्मचारी कार्यरत हैं. एक अनुमान के अनुसार, इनकी संख्या 900 के आसपास है. इनमें बड़ी संख्या में कर्मचारी ऐसे भी हैं, जो प्रतिनियुक्ति पर अलग-अलग विभागों में अपनी सेवा दे रहे हैं. ऐसे कर्मचारियों को उसी विभाग में समायोजित करने की योजना है. इसके अलावा जो कर्मचारी अपनी सेवा कहीं नहीं दे रहे या खाली बैठे हैं, उन्हें आवश्यकता के अनुसार उनके संबंधित विभागों या अन्य कहीं समायोजित किया जायेगा. सीजनल कर्मचारियों के बारे में फिलहाल कोई सहमति नहीं बनी है.
निगमों के कर्मचारियों को बंदी से होगा लाभ
इन निगमों के जो कर्मचारी अन्य कहीं कार्यरत हैं, उन्हें वेतनमान के हिसाब से वेतन नहीं मिलता है. इन कर्मियों को अब तक पांचवें वेतनमान का भी लाभ नहीं मिला है, जबकि राज्य सरकार के कर्मियों को सातवें वेतनमान का लाभ मिलने जा रहा है. जब इनकी सेवानिवृत्ति की तिथि नजदीक आती है, तो संबंधित विभाग इन्हें निगम में वापस कर देता है. इससे सेवानिवृत्ति के बाद के लाभ नहीं मिल पाते हैं. समायोजन के बाद इन्हें ससमय वेतन व अन्य सभी लाभ मिल पायेंगे.
राज्य सरकार की कोिशशों के बावजूद िफर से खड़े नहीं हो पा रहे हैं ये िनगम
इन निगमों पर 50 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की है देनदारी
संबंधित विभागों से कई बार मांगी गयी रिपोर्ट, लेकिन वे नहीं दे पा रहे जानकारी
ये हैं राज्य के डिफंक्ट निगम
स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत: बिहार राज्य औषधि एवं रसायन विकास निगम
उद्योग विभाग : बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम, बिहार राज्य वस्त्र निगम, बिहार राज्य हस्तकरघा एवं हस्तशिल्प निगम.
कृषि विभाग : बिहार राज्य फल एवं सब्जी विकास निगम और कृषि उद्योग विकास निगम
गन्ना उद्योग विभाग : बिहार राज्य चीनी निगम
जल संसाधन विभाग : बिहार राज्य निर्माण निगम
पंचायती राज : बिहार राज्य पंचायती राज वित्त निगम
वन एवं पर्यावरण : बिहार राज्य वन विकास निगम
पशु एवं मत्स्य संसाधन : बिहार राज्य डेयरी निगम और बिहार राज्य मत्स्य विकास निगम
लघु जल संसाधन : बिहार जल विकास निगम और बिहार राज्य पठारी क्षेत्र उर्ध सिंचाई निगम
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