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केंद्र से वित्तीय सहायता नहीं मिलने से बढ़ रहा कर्ज

बिहार में सड़क, ऊर्जा समेत जन कल्याणकारी योजनाओं में बड़े निवेश के कारण बढ़ रहा राज्य पर कर्ज पटना : राज्य में तेजी से हो रहे सड़क निर्माण, ऊर्जा समेत अन्य बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने में सरकार को बड़े स्तर पर वित्तीय सहायता की जरूरत पड़ती है. इन जरूरतों को पूरा करने के लिए […]

बिहार में सड़क, ऊर्जा समेत जन कल्याणकारी योजनाओं में बड़े निवेश के कारण बढ़ रहा राज्य पर कर्ज
पटना : राज्य में तेजी से हो रहे सड़क निर्माण, ऊर्जा समेत अन्य बड़े प्रोजेक्ट को पूरा करने में सरकार को बड़े स्तर पर वित्तीय सहायता की जरूरत पड़ती है. इन जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार लगातार विश्व बैंक, एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) समेत अन्य वैश्विक और राष्ट्रीय स्तरीय फंडिंग एजेंसी से कर्ज लेने की विवशता होती है.
केंद्र से जरूरत से कम आर्थिक सहायता या नये प्रोजेक्ट के लिए वित्तीय स्तर पर मदद नहीं मिलने की वजह से कर्ज लेना ही एकमात्र रास्ता बच जाता है. राज्य की विकास दर डबल डिजिट में होने और वित्तीय सेहत अच्छी होने के बाद भी कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता ही जा रहा है. इसके साथ ही ब्याज के रूप में पैसे की देनदारी भी प्रत्येक वित्तीय वर्ष में बढ़ता जा रहा है. वित्तीय वर्ष 2016-17 में यह बढ़कर 19 हजार 450 करोड़ हो गया है. इसमें ब्याज के रूप में देनदारी भी बढ़कर आठ हजार 200 करोड़ हो गयी है. इसमें विश्व बैंक और एडीबी से सबसे ज्यादा कर्ज लिये गये हैं.
इन बड़े प्रोजेक्टों के लिए लिये गये ज्यादा कर्ज
राज्य में कोसी आपदा के बाद पुनर्वास योजना के लिए पूरी राशि विश्व बैंक से ली गयी थी. इसके अलावा पटना में बनने वाले गंगा मेरिन ड्राइव, अंतराष्ट्रीय संग्रहालय, लोहिया पथ चक्र समेत अन्य कई बड़ी योजनाओं के लिए विश्व बैंक समेत अन्य वैश्विक एजेंसियों से ही वित्तीय सहायता या कर्ज ली गयी है. इनमें कुछ प्रोजेक्ट में लागत राशि के बराबर राज्य सरकार को कर्ज चुकाना पड़ रहा है. गंगा मेरिन ड्राइव प्रोजेक्ट करीब तीन हजार 200 करोड़ का है, जिसमें एक हजार सातसौ करोड़ रुपये सिर्फ ब्याज के रूप में चुकाने पड़ेंगे. अन्य बड़े प्रोजेक्ट की स्थिति भी इसी तरह की है.
अब तक कर्ज बढ़कर हुए 1.16 लाख करोड़
अगर आजादी के बाद से वर्ष 2016 तक बिहार के ऊपर कर्ज की बात करें, तो वर्तमान में यह एक लाख 16 हजार करोड़ तक पहुंच गया है. इसमें 88 हजार 828 करोड़ कर्ज के रूप में हैं, जबकि 27 हजार 748 करोड़ रुपये अन्य दायित्व के रूप में हैं.
इसका ब्याज करीब साढ़े आठ हजार करोड़ रुपये भी राज्य को हर साल भरना पड़ रहा है. इसमें सबसे ज्यादा रुपये विश्व बैंक, एडीबी जैसी एजेंसियों से ही लिये गये हैं. ये रुपये विनिर्माण से जुड़े कुछ बड़ी परियोजनाओं के लिए लिये गये हैं. राज्य में वर्तमान में 825 करोड़ से ज्यादा के प्रोजेक्ट चल रहे हैं. जिन्हें वैश्विक एजेंसियों ने फंडिंग कर रखा है.

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