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शिक्षा विभाग उपयोगिता प्रमाणपत्र देने में पीछे
सीएजी ने वित्तीय वर्ष 2015-16 की जारी ऑडिट रिपोर्ट में कहा पटना : महालेखाकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2015-16 के जारी ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न विभाग उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं देते हैं. 31 मार्च, 2016 तक 29399.87 करोड़ का उपयोगिता प्रमाणपत्र महालेखाकार को नहीं मिला था. इसमें शिक्षा, पंचायतीराज और शहरी विकास विभाग […]
सीएजी ने वित्तीय वर्ष 2015-16 की जारी ऑडिट रिपोर्ट में कहा
पटना : महालेखाकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2015-16 के जारी ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न विभाग उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं देते हैं. 31 मार्च, 2016 तक 29399.87 करोड़ का उपयोगिता प्रमाणपत्र महालेखाकार को नहीं मिला था.
इसमें शिक्षा, पंचायतीराज और शहरी विकास विभाग में 1200 से अधिक उपयोगिता प्रमाणपत्र लंबित था. सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा विभाग का 9282.33 करोड़ का 416, पंचायती राज विभाग का 7414.19 करोड़ का 232 व शहरी विकास विभाग का 4074.32 करोड़ का 555 उपयोगिता प्रमाणपत्र लंबित था. सीएजी टिप्पणी करते हुए कहा कि समय पर उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं मिलना विभाग के अधिकारियों का विफलता दर्शाता है. 14147 लंबित विपत्र तीन साल से अधिक समय से लंबित है. इसकी कुल राशि 2190.02 करोड़ है.
मार्च 2016 तक आकस्मिक विपत्र पर 12074.32 करोड़ लंबित था. रिपोर्ट के अनुसार राजकोषीय घाटा बाजार की उधारी, भारत सरकार के ऋण में वृद्धि के कारण 11179 करोड़ से बढ़कर 12061 करोड़ हो गया. यह बजट अनुमान से 1523 करोड़ कम था. केंद्रीय करों में राज्यांश व अपने कर राजस्व में बढ़ोतरी के चलते राजस्व में पिछले साल की तुलना में 17706 करोड़ की बढ़ोतरी हुई. आंतरिक में बढ़ोतरी के कारण राज्य की राजकोषीय देयता 2014-15 के 99056 करोड़ से बढ़कर 2015-16 में 116578 करोड़ हो गया. राज्य क्रियान्वयन एजेंसियों को 792.71 करोड़ सीधे स्थानांतरण किया गया.
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