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बिहार सिंगल विंडो पॉलिसी बेहतर
चौथे बिहार आंत्रप्रेन्योरशिप समिट में बोले उद्योग विभाग के प्रधान सचिव इंटरैक्टिव सेशन में आंत्रप्रेन्योर को दी गयी कई जानकारी पटना : बिहार में देश की सबसे बेहतर सिंगल विंडो पॉलिसी बनायी गयी है. यहां पर हम 48 घंटे में किसी भी उद्योग के लिए क्लियरेंस दे देते हैं. यहां पर आपको बेहतर रिस्पांस मिलेगा. […]
चौथे बिहार आंत्रप्रेन्योरशिप समिट में बोले उद्योग विभाग के प्रधान सचिव
इंटरैक्टिव सेशन में आंत्रप्रेन्योर को दी गयी कई जानकारी
पटना : बिहार में देश की सबसे बेहतर सिंगल विंडो पॉलिसी बनायी गयी है. यहां पर हम 48 घंटे में किसी भी उद्योग के लिए क्लियरेंस दे देते हैं. यहां पर आपको बेहतर रिस्पांस मिलेगा. यह राज्य ऐसा है, जहां पर आपको न केवल बड़ा बाजार मिलता है बल्कि आपके लिए उम्मीद भी है.
ये बातें उद्योग विभाग के प्रधान सचिव एस सिद्धार्थ ने कही. उन्होंने कहा कि इस कारण स्टार्ट अप के लिए आप युवा पूरी ऊर्जा लगाएं. यहां तो आप आटा भी ऑनलाइन बेच सकते हैं और खेती के सामान भी. यह स्टार्ट अप के लिए पूरी तरह फर्टाइल लैंड हैं. चौथे बिहार आंत्रप्रेन्योरशिप समिट के अंतिम दिन उद्योग विभाग के प्रधान सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने ये बातें कहीं. वे स्टार्ट अप बिहार रोड एहेड विषय पर बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे.
साेशल पाॅसिबलिटीज यहां सबसे ज्यादा : सीडी
आइआइएम कोलकाता के प्रो सीडी मित्रा ने कहा कि बिहार के लोग सबसे बेहतर काम कर रहे हैं. आपके पास संभावनाएं हैं, बाजार है और अच्छी सरकार है. बिहार के बारे में जो धारणाएं हैं, उसके उलट यहां संभावनाएं हैं. नये उद्यमियों ने वक्ताओं से कई सवाल किये.
उन्होंने पूछा कि बिहार सरकार बहुत बेहतर सहयोग क्यों नहीं देती है? ब्यूरोक्रेसी क्यों रोड़े अटकाती है? परसेप्शन क्यों नहीं बदलते? डिसकरेज क्यों किया जाता है? उन्हें आइडी वेंचर्स के अमित मिश्रा, राक चैंप्स के फाउंडर शशि मोहन, लैविसा की सीएमडी स्वराज सिन्हा, टेक्नोलॉजी पाेर्ट के कुमार अमर ने उन्हें टिप्स देते हुए कहा कि पूरी प्लानिंग करिये, टीम बनाइए और एक्जीक्यूशन बेस्ट पार्ट होता है, जिस पर फोकस कर सफलता मिलती है.
मानसिकता के कारण बैंक पर लग गये ताले
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में महिला विकास निगम की एमडी एन विजयलक्ष्मी ने कहा कि बिहार में आइडिया तो है, लेकिन प्रयोग कभी-कभार ऐसे होता है कि संस्थाएं प्रभावित हो जाती हैं. जैसे बिहार में को-ऑपरेटिव संस्थाएं रोजगार के लिए लोन देती हैं, लेकिन उस राशि से किसी ने गाड़ी खरीद ली, किसी ने शादी करा दी और किसी ने मकान बना लिया.
आइडिया को सही दिशा में लगाना भी बेहतर है. पैसा तो आपको मिल जायेगा, लेकिन आपको पूरी ईमानदारी से काम करना होगा. टीम बनानी होगी. योर स्टोरी की तन्वी दुबे ने कहा कि चैलेंज को स्वीकार कर ही सफलता पायी जा सकती है. जयपुर में एक महिला के हसबैंड को अचानक लकवा मार गया और उसके बाद पड़ोसी से सिलाई मशीन लेकर आज कई को रोजगार दे रही है.
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