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और आठ-नौ लोगों को है पेपर की जानकारी!

बिहार पेपर लीक आयोग : केस डायरी एसआइटी को सुधीर कुमार ने बताया पटना : बीएसएससी पेपर लीक मामले में तत्कालीन अध्यक्ष सुधीर कुमार से एसआइटी ने लंबी पूछताछ की है. इस दौरान 55 प्रश्न पूछे गये, जिनके जवाब से इस मामले में कई नये पहलुओं के उजागर होने के संकेत मिल रहे हैं. सुधीर […]

बिहार पेपर लीक आयोग : केस डायरी एसआइटी को सुधीर कुमार ने बताया
पटना : बीएसएससी पेपर लीक मामले में तत्कालीन अध्यक्ष सुधीर कुमार से एसआइटी ने लंबी पूछताछ की है. इस दौरान 55 प्रश्न पूछे गये, जिनके जवाब से इस मामले में कई नये पहलुओं के उजागर होने के संकेत मिल रहे हैं. सुधीर कुमार ने किसी का नाम तो स्पष्ट रूप से नहीं बताया, लेकिन उन्होंने साफ इशारा किया कि उनके अलावा आठ-नौ लोग और हैं, जिन्हें भी इस प्रश्नपत्र के छापने की जानकारी हो सकती है. ये लोग उनके पहले वाले चेयरमैन पर हावी थे.
प्रश्नपत्र किस प्रिंटिंग प्रेस में छपेगा, इसका निर्धारण पहले आठ-नौ लोग मिल कर करते थे. इतना ही नहीं, पहले सभी चीजें एक ही स्थान से होती थीं. यानी जिसे प्रिंटर के रूप में अधिकृत किया जाता था, वही प्रश्नपत्र छापने, मूल्यांकन और प्रश्नपत्रों को सेट करने का काम करता था. इस पूरी व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए जो कर सकता था, वह मैंने किया. इस समस्या को लेकर वह मुख्य सचिव से भी मिले और विस्तार से पूरी बात बतायी. सुधीर कुमार ने पूछताछ में एसआइटी को जो बताया, उसके हिसाब से यह लगने लगा है कि इसके जिम्मेवार कोई और लोग हैं.
पूर्व अध्यक्ष के अनुसार, मुख्य सचिव से कहा कि सर, ऐसे काम नहीं होता. हम और आप दोनों आदमी को फेरा हो जायेगा. मैंने इस तरह का प्रिंटिंग एग्रीमेंट कभी नहीं देखा है, जिसमें चेयरमैन के अलावा आठ-नौ और आदमियों के दस्तखत थे. नौ आदमी एक प्रिंटर के साथ एग्रीमेंट कर रहे हैं. यह काम मेरे से नहीं होगा, सर. सुधीर ने एसआइटी से कहा, मुझे नाम लेने पर मजबूर न करे, यह बहुत लोगों के लिए अच्छा नहीं होगा.
इसके बाद मैंने इससे संबंधित फाइल भेज कर विस्तार से बताया, सिर्फ चेयरमैन के पास ही इसका अधिकार है कि इस काम को कहां से करवाना है. फिर प्रिंटर एग्रीमेंट पर इतने लोगों के हस्ताक्षर की जरूरत नहीं है. मुख्य सचिव से कहा कि सर, जो नियम है, उसमें हम कोई फेरबदल नहीं कर सकते हैं. कल होकर अगर कुछ गलत हो जायेगा, तो मैं इसके लिए जिम्मेवार होऊंगा. लेकिन, इन आठ-नौ लोगों का क्या है, अगर ये कुछ गलत भी करते हैं तो. इस वजह से मैं पहले से तय रेट को ही लेकर आगे बढ़ता हूं.
इस पूरे प्रकरण को बिना किसी का नाम लिये विस्तार से बयान करते हुए सुधीर कुमार ने संकेत दिया कि ‘उसी’ का कोई साला सेक्रेटरी है, कोई ओएसडी है, कोई फलाना है, कोई ढिकाना है. तो उसका पीए भी जानता होगा. जब उन्होंने टेंडर किया होगा, तो ये सब आठ लोग चेयरमैन पर हावी थे. तो इन आठों लोग कई-कई प्रिंटर से मिलते भी होंगे.
कोई आता होगा, तो कोई बोलता होगा, उनसे मिल लीजिए, वो करा देंगे. अरे, काम के लिए तो कोई कहीं जाता है. जब आठ लोग शामिल होकर दस्तखत कर सकते हैं एक ‘सीक्रेट कॉन्फिडेंशियल’ पर, तो आप समझ सकते हैं कि क्या वहां पर ‘कॉन्फिडेंशियलिटी’ रह गयी. समझ रहे हैं. अगर ये सब कोई नहीं जानता होगा, तो उसकी पत्नी जानती होगी, उसका पीए जानता होगा, उसका पीयुन जानता होगा. और मैं आपसे फिर कह रहा हूं कि मुझसे नाम मत पूछिए. अगर आपको चाहिए, तो मैं आपको कहीं अन्य बता दूंगा (वरीय पुलिस अधीक्षक महोदय को). क्योंकि यह संवेदनशील मसला है, जिद मत कीजिए. पहले वाले सिस्टम में ये था. आप समझिए न. आप वर्किंग स्टाइल तो समझिए कि कितने चेयरमैन हैं हमारे पास. आगे चलिए. छोड़ दो, फिर हम इसका जवाब ही नहीं देते हैं.
एसआइटी को इशारों इशारों में बताया
मुझसे पहलेवाले चेयरमैन पर ये लोग हावी थे
नाम न लेते हुए संकेत किया, ‘उसी’ का कोई साला सेक्रेटरी है, कोई ओएसडी है, कोई फलाना है, कोई ढिकाना है. तो उसका पीए भी जानता होगा
मुझे नाम लेने पर मजबूर न करें यह बहुत लोगों के लिए अच्छा नहीं होगा
मैं आपसे फिर कह रहा हूं कि मुझसे नाम मत पूछिए. अगर आपको चाहिए, तो मैं आपको कहीं अन्य बता दूंगा (वरीय पुलिस अधीक्षक महोदय को). क्योंकि यह संवेदनशील मसला है न, जिद मत कीजिए. पहलेवाले सिस्टम में ये था.
एससी-एसटी को बेची उनके ही कोटे की सीटें
पटना. परचा लीक के मामले की केस डायरी में पूर्व सचिव परमेश्वर राम के दलाल के रूप में गिरफ्तार आनंद शर्मा का भी बयान दर्ज है. उसके अनुसार, परमेश्वर राम ने उससे कहा कि अधिकतर परीक्षाओं में एससी-एसटी कोटे की सीटें खाली रह जाती हैं. इस वजह से एससी-एसटी कोटे के अभ्यर्थियों को लेकर आओ, इनका काम करवाना ज्यादा आसान है. इनका काम होने की गारंटी पूरी और आमदनी भी अच्छी है.
आनंद ने बताया कि वह एससी-एसटी कोटे के छात्रों को ही पकड़ कर लाने पर ज्यादा ध्यान देता था. एससी-एसटी वर्ग के अभ्यर्थियों को उनके कोटे की खाली सीटों को ही पूर्व सचिव दलाल के माध्यम से बेच देते थे. इस काम में दोनों को कितनी आमदनी हुई और लेन-देन का हिसाब क्या था, इसका पूरा खुलासा अभी नहीं हुआ है.

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