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सरकारी में सिर्फ 1.3% निजी अस्पतालों में 23% सिजेरियन डिलिवरी
बड़ा सवाल : िनजी अस्पतालों में इतना ऑपरेशन क्यों? आनंद तिवारी पटना : बिहार के निजी अस्पतालों में ऑपरेशन से बच्चे पैदा होने के केस लगातार बढ़ रहे हैं, जबकि इसके ठीक उलट सरकारी अस्पतालों में ऑपरेशन से बच्चे पैदा होने के केस कम हुए हैं और नॉर्मल डिलिवरी के केस बढ़े हैं. इसका खुलासा […]
बड़ा सवाल : िनजी अस्पतालों में इतना ऑपरेशन क्यों?
आनंद तिवारी
पटना : बिहार के निजी अस्पतालों में ऑपरेशन से बच्चे पैदा होने के केस लगातार बढ़ रहे हैं, जबकि इसके ठीक उलट सरकारी अस्पतालों में ऑपरेशन से बच्चे पैदा होने के केस कम हुए हैं और नॉर्मल डिलिवरी के केस बढ़े हैं.
इसका खुलासा हाल ही में जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में हुआ है. आंकड़े चौकाने वाले अौर विश्वसनीय हैं. इससे जाहिर होता है कि प्राइवेट अस्पतालों में जान-बूझ कर प्रसूताओं का ऑपरेशन किया जाता है.
पटना सहित पूरे बिहार में किये गये नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट से पता चला है कि बिहार के प्राइवेट अस्पतालों में एक साल में 99 हजार 647 बच्चे पैदा हुए हैं. इनमें 23 हजार 409 बच्चे ऑपरेशन से पैदा हुए हैं. जबकि सरकारी अस्पतालों में एक साल में 15 लाख 33 हजार 659 बच्चे पैदा हुए हैं, जिनमें महज 20 हजार 51 बच्चे ऑपरेशन से हुए हैं. हर साल कराये जा रहे इस सर्वे की रिपोर्ट के बाद भी कोई भी जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.
अल्ट्रासाउंड से शुरू होता है लूट का खेल
प्राइवेट अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड कराने के बाद से ही लूट ऑपरेशन शुरू हो जाता है. प्राइवेट अस्पताल में नौ महीने के अंदर चार से पांच बार अल्ट्रासाउंड कराया जाता है. अल्ट्रासाउंड कराने के बाद ही महिला की हालत गंभीर बता कर उसे जाल में फांस लिया जाता है.
इसके बाद लूट की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है. यहां गर्भवती के परिजनों को जच्चा और बच्चे को खतरा बता कर उन्हें ऑपरेशन से डिलिवरी कराने के लिए मजबूर कर दिया जाता है और इसके एवज में मोटी रकम भी वसूली जाती है.
मातृ स्वास्थ्य के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ फुलेश्वर झा ने कहा िक प्रसव के क्षेत्र में बिहार में लगातार सुधार हो रहा है. सरकारी अस्पतालों की गुणवत्ता में हुए सुधार से लोगों का रुझान काफी बढ़ा है, क्योंकि हमारा लक्ष्य अधिक-से-अधिक नाॅर्मल डिलिवरी कराना होता है. यही वजह है कि प्रसूताओं की भीड़ सरकारी अस्पतालों में बढ़ रही है. इसको देखते हुए 1321 डिलिवरी प्वाइंट है, जिन्हें 22 तक करने का लक्ष्य है.
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