पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि गंगा की अविरलता और निर्मलता पर जनमत बन रहा है. हम सिल्ट मैनेजमेंट पॉलिसी बनाने के पक्ष में हैं, परंतु पर्यावरण की कीमत पर नहीं. गंगा की अविरलता और निर्मलता के साथ-साथ हम पर्यावरण और सामाजिक मुद्दे पर भी जनमत कायम करना चाहते हैं.
उन्होंने साफ कहा कि फरक्का रहे या टूटे, कोई फर्क नहीं पड़ता, हम गंगा की अविरलता और निर्मलता की बात निरंतर करते रहेंगे. सीएम पटना के एक होटल में ‘अविरल गंगा-निर्मल गंगा’ विषय पर आयोजित सेमिनार के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि सेमिनार फरक्का को डी-कमीशनिंग के मुद्दे पर नहीं, बल्कि गंगा की अविरलता पर बुलायी गयी है. हम चाहते में 32 लाख और फरक्का में इस बार 27 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज हुआ, जबकि उनकी डिस्चार्ज क्षमता इससे 35 से 40 प्रतिशत कम है. यही नहीं, इस बार की बाढ़ के बाद सबसे लंबे समय तक प्रभावित इलाकों में जल-जमाव भी हुआ.
जल संसाधन मंत्री ललन सिंह ने कहा कि गंगा की निर्मलता और अविरलता प्रभावित हुई है. दुख: इस बात की है कि इसे भारत सरकार की कोई एजेंसी स्वीकार करने को तैयार नहीं है. बिहार में हाइ फ्लड-लेबल दिन-व-दिन बढ़ रहा है. राज्य हर वर्ष वाढ़ और आपदा प्रबंधन से जूझने को विवश है. इस पर सालाना लाखों करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं, सो अलग. सिल्टिंग की वजह से आज भागलपुर से फरक्का तक पानी पहुंचने में 22 घंटे लग जा रहे हैं. गंगा, सोन, गंडक, बूढ़ी गंडक और कोसी का जल स्तर बेसमय बढ़ रहा है. इस समस्या का निष्कर्ष सेमिनार में निकलना चाहिए.
बनारस में गंगा पूछ रही, कहां गया उसका बेटा
पटना. ‘अविरल गंगा-निर्मल गंगा’ विषय पर आयोजित सेमिनार में सीएम नीतीश कुमार ने केंद्र पर भी निशाना साधा. उन्होंने केद्र सरकार की ‘नमामि गंगे’ योजना पर कहा कि इसमें गंगा की निर्मलता की चर्चा तो है, परंतु अविरलता की नहीं. पीएम का नाम लिये बिना उन्होंने कहा कि गंगा-गंगा का नाम लेने वाले को बनारस के लोग खोज रहे हैं. बनारस में गंगा पूछ रही है कि आखिर कहां गया उसका बेटा? गंगा के पानी के महत्व की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बचपन में घर में दाल पकाने के लिए उन्होंने खूब गंगा का पानी ढोया है. तब बख्तियारपुर के कुओं का पानी खरा था. दाल बनाने के लिए उन्हें घर से गंगा का पानी ढो कर लाने के लिए बाल्टी थमा दिया जाता था. उन्होंने कहा कि जिस डाॅल्फिन को राष्ट्रीय जल पशु घोषित कराने के लिए उन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी और सफलता पायी, आज वह लुप्त हो रही है. गंगा की निर्मलता और अविरलता कम पड़ जाने के कारण डाल्फिन लुप्त होते जा रहे हैं. ऋषिकेश का गंगा जल कभी घरों में रखा जाता था. वर्षों तक उसमें कोई कीड़ा या गाद नहीं पड़ता था, परंतु आज वह स्थिति नहीं है. उस दौर में गंगा के पानी में विषाणु स्वत: नष्ट हो जाते थे.
केंद्रीय एजेंसी को कुछ नहीं दिख रहा
सीएम ने कहा कि गंगा की अविरलता पर उन्होंने गंगा रिवर बेसिन और इंटर स्टेट कौंसिल की बैठक में भी मुद्दा उठाया. बैठक में हमने कहा कि बिहार में लगातार बाढ़ आ रही है और जहां कभी पानी नहीं घुसा, वहां भी पानी घुस रहा, परंतु केंद्रीय एजेंसी को कुछ नहीं दिख रहा. हम लोग इनलैंड वाटर वेज के भी खिलाफ हैं. इसे हम किसी भी हाल में स्वीकृति नहीं देंगे. अब इलाहाबाद से फरक्का के बीच बराज की शृंखला खड़ी करने का प्रयास हो रहा है. इससे गंगा की अविरलता खत्म हो जायेगी. केंद्र तो हमारी कोई स्कीम स्वीकार ही नहीं करता. उन्होंने कहा कि बांध टूटा नेपाल का, बाढ़ हम लोग झेलें. यह कितने दिनों तक हम झेलते रहेंगे?
हमें तो बांध सागर एग्रीमेंट के अनुसार भी पानी नहीं मिल रहा. आज सोन की अविरलता समाप्त हो गयी, अब गंगा की अविरलता समाप्त होने का खतरा उत्पन्न हो रहा है. नदी- डेल्टा प्रभावित हो रहे हैं. नदियों के किनारे बालू का टिला बनता जा रहा है. गंगा की अविरलता पर होने वाली चर्चा को लोग अब इग्नोर नहीं कर पायेंगे. उन्होंने उम्मीद जतायी कि इस सेमिनार से गंगा को अविरल बनाये रखने के ठोस सुझाव निकल कर आयेगा.