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बाल मजदूरों के लिए खुलेगा विशेष आवासीय विद्यालय

पहल. सूबे के पांच जिलों में शुरू होगी योजना पटना : राज्य के पांच जिलों पटना, नालंदा, सीतामढ़ी, गया और नवादा में श्रम संसाधन विभाग बाल मजदूरों के लिए विशेष आवासीय विद्यालय खोलेगा. अगले वित्तीय वर्ष से स्कूल शुरू हो जायेगा. इस विद्यालय में बाल श्रम से मुक्त कराये गये बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ […]

पहल. सूबे के पांच जिलों में शुरू होगी योजना

पटना : राज्य के पांच जिलों पटना, नालंदा, सीतामढ़ी, गया और नवादा में श्रम संसाधन विभाग बाल मजदूरों के लिए विशेष आवासीय विद्यालय खोलेगा. अगले वित्तीय वर्ष से स्कूल शुरू हो जायेगा. इस विद्यालय में बाल श्रम से मुक्त कराये गये बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ उनका कौशल विकास
भी किया जायेगा. सारा खर्च राज्य सरकार उठायेगी.
राज्य में बड़ी संख्या में बच्चों से काम लिये जा रहे हैं. राज्य के बच्चे बड़ी संख्या में देश के दूसरे राज्य में भी काम कर रहे हैं. श्रम विभाग समय-समय पर अभियान चलाकर या विभाग का धावा दल इनको चंगुल से मुक्त कराता भी है. एक मोटे अनुमान के अनुसार हर साल सात से आठ सौ के करीब बाल श्रमिकों मुक्त कराये जाते हैं. यह भी बात सामने आती रही है कि बाल श्रम से मुक्त कराये गये बच्चे फिर से काम में लग जाते हैं. इसका एक बड़ा कारण उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होना है. बाल श्रम से मुक्त कराये गये बच्चे पुन: काम में न लग जाये इसके लिए श्रम विभाग जल्द ही पांच विशेष आवासीय विद्यालय शुरू करने जा रहा है. इसका पूरा खर्च राज्य सरकार उठायेगी.
एनजीओ का किया जायेगा चयन
इसके संचालन के लिए वैसे एनजीओ का चयन किया जायेगा, जिनको इस क्षेत्र में काम करने का अनुभव हो. यहां पर बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ उनका कौशल विकास भी होगा. 14 साल तक बच्चों को बेसिक शिक्षा दी जायेगी और उसके बाद अगर बच्चा पढ़ना चाहेगा तो उसे आगे की पढ़ाई के लिए प्ररित किया जायेगा. 18 साल की उम्र तक वे विभाग की निगरानी में रहेंगे. बिहार बोर्ड या ओपन विश्वविद्यालय से उन्हें डिग्री भी दिलायी जायेगी, ताकि उनकी पढ़ाई को मान्यता मिल सके. 14 साल के बाद जो बच्चे पढ़ाई के अलावा अगर काम करना चाहेंगे, तो उनका कौशल विकास किया जायेगा. विभाग का मानना है कि कौशल विकास करने से वे आत्मनिर्भर हो जायेंगे और वे फिर बालश्रम की ओर नहीं लौटेंगे.
पढ़ाई के संग कौशल विकास
विशेष बाल श्रमिक विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ उनका कौशल विकास किया जायेगा. कौशल विकास से वे आत्मनिर्भर हो जायेंगे और वे बाल श्रम की ओर नहीं मुड़ेंगे.
दीपक कुमार सिंह, प्रधान सचिव, श्रम संसाधन विभाग

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