पटना: अल्पसंख्यकों का कल्याण करनेवाला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग अपने अधिकारियों-कर्मचारियों का कल्याण नहीं कर पा रहा है. पांच जिलों में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग का अपना कार्यालय भवन नहीं है. गया, मुंगेर, कैमूर, जहानाबाद और लखीसराय में या तो किराये के खपड़ा वाले मकान में कार्यालय चल रहे हैं या जिला समाहरणालय के तंग कमरों में. अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने पांचों जिलों में अपना कार्यालय भवन बनवाने के लिए 1.07 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति तो दे दी, लेकिन भूमि उपलब्ध नहीं होने के कारण भवन निर्माण का काम नहीं हो पा रहा. 31 मार्च तक यदि भवन निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ, तो स्वीकृत राशि के लौट जाने का खतरा मंडरा रहा है.
पांच जिलों के अलावा बक्सर भी यही संकट झेलने को विवश है. यहां किसी तरह भवन निर्माण का काम शुरू तो हुआ, पर प्राक्कलन के अनुसार राशि जारी नहीं होने के कारण कार्यालय भवन निर्माण का कार्य ठप है. यहां कार्यालय भवन निर्माण के लिए शुरुआत में 35.50 लाख की प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी थी. भवन निर्माण के लिए जमीन भी मिल गयी. बाद में इसके लिए पुन: 55.42 लाख का प्राक्कलन बना. प्राक्कलन की स्वीकृति भी मिल गयी, पर राशि नहीं मिलने के कारण भवन निर्माण ठप है. 31 मार्च के पहले यदि भवन निर्माण के लिए भूमि नहीं मिली, तो विभाग को फिर से इसकी अनुशंसा करनी होगी.
छात्रावासों में छा सकता है अंधेरा
सूबे के 27 जिलों में ही अल्पसंख्यक छात्रावास हैं, पर बिजली बिल भुगतान नहीं होने के कारण इनमें अंधेरा छाने का खतरा मंडरा रहा है. मात्र सात ही जिलों के छात्रावास बिजली बिल भुगतान के मामले में अपडेट हैं. 20 जिलों में अल्पसंख्यक छात्रावासों पर बिजली बिल बिल मद में 8.58 लाख रुपये बकाया हैं. अनुदान मिलने के बावजूद बिल जमा नहीं कराये जाने पर कल्याण निदेशक ने 20 जिलों के अल्पसंख्यक छात्रावासों के सुपरिटेंडेंट को फटकार लगायी है और बकाया बिल का भुगतान कर उसकी रसीद मुख्यालय में जमा कराने का निर्देश दिया है. छात्रावासों पर बिजली बिल बकाये का खुलासा पिछले हफ्ते सभी जिलों के अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारियों की समीक्षा बैठक में हुआ. बैठक में यह भी खुलासा हुआ कि राशि एलॉट होने के बावजूद नालंदा में विद्युत कनेक्शन लिया ही नहीं गया.