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सूबे में एक साल में हजार से अधिक ठेकेदार हुए प्रतिबंधित
कार्रवाई. संवेदकों की लेटलतीफी पर ग्रामीण कार्य विभाग सख्त चालू वित्तीय वर्ष में 10 हजार किलोमीटर से अधिक सड़क बनाने का लक्ष्य रखा गया है. काम में तेजी लाने और सुस्त संवेदकों के खिलाफ विभाग ने कदम उठाया है. पटना : चालू वित्तीय वर्ष में ग्रामीण कार्य विभाग ने एक हजार से अधिक संवेदकों को […]
कार्रवाई. संवेदकों की लेटलतीफी पर ग्रामीण कार्य विभाग सख्त
चालू वित्तीय वर्ष में 10 हजार किलोमीटर से अधिक सड़क बनाने का लक्ष्य रखा गया है. काम में तेजी लाने और सुस्त संवेदकों के खिलाफ विभाग ने कदम उठाया है.
पटना : चालू वित्तीय वर्ष में ग्रामीण कार्य विभाग ने एक हजार से अधिक संवेदकों को डिबार (प्रतिबंधित) किया है. ये लोग जबतक अपना काम पूरा नहीं कर लेंगे, उन्हें दूसरा काम नहीं मिलेगा. वे नये काम के लिए कहीं भी टेंडर नहीं डाल पायेंगे. चालू वित्तीय वर्ष में 10 हजार किलोमीटर से अधिक सड़क बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
राज्य में 5000 करोड़ से अधिक का काम चल रहा है. काम में तेजी लाने और सुस्त ठेकेदारों के खिलाफ विभाग ने यह कदम उठाया है. समय पर काम पूरा नहीं करने वाले संवेदकों के खिलाफ विभाग का तेवर कड़ा है. विभाग जब सख्त हुआ तो लापरवाह संवेदकों की भी पोल खुलनी शुरू हो गयी. अधिकांश संवेदक पेटी कांट्रेक्ट में दूसरे को काम दे चुके थे.
विभाग की सख्ती के बाद संवेदकों ने भी पेटी कांट्रैक्टों पर प्रेशर बढ़ाया. इसका परिणाम यह निकला कि तेजी से काम हो रहा है. सभी कार्य प्रमंडलों में संवेदकों को डिबार घोषित किया गया है. ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार विभागीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ भी बैठक कर काम की प्रगति की समीक्षा की. उन्होंने अधिकारियों को तय समय पर काम पूरा करने का कहा है. पिछले साल बाढ़ की वजह से काम में देरी हुई.
विभाग में मुख्य रूप से पीएमजीएसवाइ और एमएमजीएसवाइ से सड़क का निर्माण होता है. सड़क निर्माण में तेजी लाने के लिए कनीय अभियंता से लेकर अधीक्षण अभियंता तक की जिम्मेवारी तय कर दी गयी है. उच्चाधिकारियों को क्षेत्र में जाने को कहा गया है. सभी से कहा गया है कि हल साल समय पर काम पूरा होना चाहिए.
विभाग के अधिकारियों का मानना है कि संवेदकों को डिबार करने से काम में तेजी आती है. कई संवेदक इस तरह के होते हैं कि कई काम लेकर बैठे रहते हैं. काफी धीमी गति से काम करते हैं. कई बार नोटिस देने के बाद भी उनके रवैये में सुधार नहीं होता है जब उन्हें डिबार किया जाता है, तब गंभीर होते हैं. डिबार करने का लाभ भी विभाग को मिला है.
जब एजेंसियों को डिबार घोषित किया, उनके काम में तेजी आयी है. कई संवेदक डिबार से मुक्त भी हुए. 500 से अधिक योजनाओं पर काम में तेजी आयी. डिबार के बाद वे किसी भी विभाग में टेंडर नहीं डाल सकते हैं तो इस डर से तेजी से काम को पूरा करते हैं. इसके बाद भी अगर उनकी कार्यशैली में बदलाव नहीं आता है तो उन्हें काली सूची में डालकर उनसे काम ले लिया जाता है और दूसरे को काम री साइन किया जाता है. ग्रामीण विभाग के मंत्री शैलेश कुमार ने कहा कि काम में न लेटलतीफी सहन किया जायेगा और न ही किसी तरह की गड़बड़ी. समय पर सभी को काम पूरा करना होगा.
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