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180 में 176 बिना परीक्षा दिये हुए थे पास बोर्ड ने ली दोबारा परीक्षा तो पकड़े गये

संस्कृत शिक्षा बोर्ड. मध्यमा परीक्षा के मूल्यांकन में पकड़ में आये फर्जी छात्र पटना : एक ही प्रश्न को पहली बार पूछा गया तो सारे उत्तर सही लिखे, लेकिन वही प्रश्न जब दोबारा लिखने को दिया गया तो एक भी प्रश्न का उत्तर लिख नहीं पाये. दो घंटे बैठ कर बिना उत्तर लिखे खाली उत्तरपुस्तिका […]

संस्कृत शिक्षा बोर्ड. मध्यमा परीक्षा के मूल्यांकन में पकड़ में आये फर्जी छात्र
पटना : एक ही प्रश्न को पहली बार पूछा गया तो सारे उत्तर सही लिखे, लेकिन वही प्रश्न जब दोबारा लिखने को दिया गया तो एक भी प्रश्न का उत्तर लिख नहीं पाये. दो घंटे बैठ कर बिना उत्तर लिखे खाली उत्तरपुस्तिका छोड़ दी. इतना ही नहीं मौखिक परीक्षा में भी फेल हो गये.
यह नजारा सोमवार को मध्यमा परीक्षार्थियों के साथ देखने को मिला. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की तरह संस्कृत शिक्षा बोर्ड ने मध्यमा परीक्षा के मूल्यांकन में पकड़ में आये फर्जी परीक्षार्थियों की दोबारा लिखित परीक्षा ली. परीक्षा के पहले दिन सोमवार को 180 परीक्षार्थी लिखित परीक्षा के लिए बुलाये गये थे. इसमें 161 परीक्षार्थी परीक्षा देने ही नहीं आये. जो 19 परीक्षार्थी आये, उसमें से केवल चार परीक्षार्थी ही लिखित परीक्षा में प्रश्नों का जवाब दे पाये. बाकी 15 परीक्षार्थी फेल हो गये. ऐसे में माना जा रहा है कि 176 बिना परीक्षा दिये पास हुए थे.
हैंडराइटिंग भी नहीं मिली: मूल्यांकन के दौरान बोर्ड ने ऐसे 518 परीक्षार्थियों की उत्तरपुस्तिका को पकड़ी थी जिनके उत्तर एक जैसे लिखे थे. हर प्रश्न का उत्तर भी एक जैसा लिखा था. ऐसे परीक्षार्थियों के रिजल्ट पर संस्कृत शिक्षा बोर्ड ने रोक लगा दी थी. इसके बाद सारे परीक्षार्थी की दोबारा लिखित परीक्षा ली जा रही है. तीन दिनों की परीक्षा के पहले दिन 90 फीसदी परीक्षार्थी परीक्षा देने ही नहीं आये. अब दो दिन सात और आठ फरवरी को भी परीक्षार्थियों को बुलाया गया है.
30 की उम्र को बता दिया 19 साल : परीक्षा देने आये कई परीक्षार्थी का उम्र भी अधिक है. बोर्ड की मानें तो परीक्षा फॉर्म भरने में परीक्षार्थी ने अपना उम्र 19 साल लिखा था, लेकिन उन्हें देख कर 30 की उम्र लग रही थी. ऐसे में परीक्षार्थियों की अब समिति मेडिकल टेस्ट करायेगा. बोर्ड के अनुसार जिन परीक्षार्थियों को देखने से उनकी उम्र अधिक लग रही थी, ऐसे परीक्षार्थियों की मेडिकल जांच करायी जायेगी.
रिजल्ट हो जायेगा रद्द : जो परीक्षार्थी बोर्ड के इस लिखित परीक्षा में शामिल नहीं होंगे. उनके रिजल्ट को बोर्ड रद्द कर देगा. इसकी जानकारी संस्कृति शिक्षा बोर्ड ने स्कूलों को पहले ही दे दी है. बोर्ड की मानें तो जो परीक्षार्थी परीक्षा में शामिल होंगे, उन्हें ही रिजल्ट दिया जायेगा. बोर्ड सचिव मिलिंद कुमार ने बताया कि पहले दिन तो छात्रों की उपस्थिति काफी कम थी. इससे लगता है कि फर्जी परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी थी.
रिपोर्ट आने के बाद फैसला
सही परीक्षार्थी को चुनने के लिए लिखित परीक्षा ली गयी थी. इसमें परीक्षार्थियों को वही प्रश्न दिये गये थे, जो मध्यमा की परीक्षा में पहले ही पूछे गये थे. परीक्षार्थियों की उपस्थिति बहुत ही कम थी. अब तीनों दिनों की रिपोर्ट आने के बाद ही फैसला लिया जायेगा.
पीएन मिश्रा, अध्यक्ष, बिहार राज्य संस्कृत शिक्षा बोर्ड
पटना : परीक्षा केंद्रों पर उत्तरपुस्तिका पहुुंचाने की जिम्मेवारी अब जिला शिक्षा कार्यालयों को दी गयी है. अब हर जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी सभी परीक्षा केंद्रों पर उत्तरपुस्तिका पहुंचाने की जिम्मेवारी निभायेंगे. इसकी सूचना बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने सभी जिला शिक्षा कार्यालय को दे दी है. समिति द्वारा उत्तरपुस्तिका अब परीक्षा केंद्रों पर सीधे नहीं भेजी जायेगी, बल्कि समिति द्वारा जिला शिक्षा कार्यालय काे उत्तरपुस्तिका उपलब्ध करायी जायेगी.
इसके बाद जिला शिक्षा कार्यालय अपनी देखरेख में उत्तरपुस्तिका को परीक्षा केंद्रों तक पहुंचायेगा. सारी उत्तरपुस्तिका, ओएमआर शीट, प्रैक्टिकल की उत्तरपुस्तिका इंटर काउंसिल में रखी गयी है. इंटर काउंसिल से सारी उत्तरपुस्तिका को सभी जिला शिक्षा कार्यालय को भेजी जायेगी. लेकिन, 2016 तक सिस्टम कुछ और था. जिस एजेंसी को उत्तरपुस्तिका की छपाई की जिम्मेवारी दी जाती थी, उस एजेंसी को परीक्षा केंद्रों तक उत्तरपुस्तिका पहुंचाने की जिम्मेवारी भी दी जाती थी. एजेंसी को परीक्षा केंद्रों की सूची उपलब्ध करायी जाती थी. लेकिन इस बार उत्तरपुस्तिका बिहार बोर्ड के पास आयेगी.
उत्तरपुस्तिका घोटाला हुआ था :
2016 में इंटर और मैट्रिक की परीक्षा के दौरान उत्तरपुस्तिका का टेंडर घोटाला हुआ था. इसके तहत जिस एजेंसी को उत्तरपुस्तिका की छपाई और परीक्षा केंद्रों तक उत्तरपुस्तिका भेजने की जिम्मेवारी दी गयी थी, उस एजेंसी के अलावा दूसरी एजेंसी को टेंडर दे दिया गया था. कम क्वालिटी वाले कागज का इस्तेमाल करके पैसे की कमाई पूर्व अध्यक्ष और सचिव ने किया था. साथ ही उत्तरपुस्तिका की हेरा-फेरी भी की गयी थी. एक ही उत्तरपुस्तिका के नंबर की कई उत्तरपुस्तिका तैयार करायी गयी थी.
नयी व्यवस्था के तहत उत्तरपुस्तिकाओं को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने जिलों में भेजनी शुरू कर दी है. जिला मुख्यालयाें में उत्तरपुस्तिकाएं रखी जा रही हैं. समिति की ओर से सारे उत्तरपुस्तिका को जिला को भेज दिया जायेगा. जिला मुख्यालयों से सभी केंद्राधीक्षक अपने-अपने परीक्षा केंद्रों के लिए उत्तरपुस्तिका लेकर जायेंगे. सारे विषयों के उत्तरपुस्तिका को सभी परीक्षा केंद्रों पर भेज दिया जायेगा.
गड़बड़ी के बाद बदलाव
उत्तरपुस्तिका को परीक्षा केंद्रों पर नहीं, बल्कि जिला शिक्षा कार्यालय को भेजी गयी है. सभी जिला शिक्षा कार्यालय परीक्षा केंद्र को उत्तरपुस्तिका उपलब्ध करायेंगे. 2016 में हुई गड़बड़ी को देखते हुए यह बदलाव किया गया है.
आनंद किशोर, अध्यक्ष, बिहार विद्यालय परीक्षा समिति
पटना : किसी परीक्षार्थी के पास चिट-पूर्जे हैं कि नहीं, परीक्षा हाॅल में आने के बाद परीक्षार्थियों की जांच की गयी की नहीं, परीक्षा के दौरान परीक्षार्थियों ने नकल तो नहीं किया, अब इन सारी बातों का प्रमाण वीक्षक को देना होगा. इंटर की परीक्षा को पूरी तरह से कदाचारमुक्त करने के लिए जहां पूरे केंद्र पर केंद्राधीक्षक की जिम्मेवारी रहेगी, वहीं परीक्षा हॉल में वीक्षक की जिम्मेवारी रहेगी कि परीक्षा के दौरान कोई भी परीक्षार्थी नकल न करे. इसके लिए सारे वीक्षक को शपथ दिलायी जायेगी. सारे वीक्षक शपथपत्र पर हर दिन की परीक्षा में दोनों ही पाली के दौरान यह प्रमाणित करेंगे कि उनके परीक्षा हॉल में नकल नहीं हुआ.
हर परीक्षा केंद्र को जोन के अनुसार बांटा जायेगा. हर जोन में परीक्षार्थियों की संख्या के साथ वीक्षक की संख्या भी निर्धारित की जायेगी. हर परीक्षा हॉल के साइज के अनुसार वहां पर वीक्षक लगायें जायेंगे. एक वीक्षक पर 25 परीक्षार्थी की जिम्मेवारी रहेगी. परीक्षार्थी की संख्या बढ़ने के साथ वीक्षक की संख्या भी बढ़ जायेगी. जितने भी परीक्षार्थी की जिम्मेवारी वीक्षक पर होगी, उसकी पूरी जांच वीक्षक को परीक्षा के पहले करनी होगी. जांच के बाद प्रमाणपत्र पर लिख कर देना होगा कि किसी के पास कोई चिट-पूर्जे नहीं हैं.

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