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आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन में आ रही समस्या पटना : समाज कल्याण विभाग की प्रधान सचिव वंदना किन्नी ने कहा है कि आंगनबाड़ी केंद्रों से संचालित होने वाले सभी छह महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन में बड़े स्तर पर समस्याएं हैं. इसका मुख्य कारण डीपीओ और सीडीपीओ के आधे से अधिक पदों का खाली रहना है. […]

आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन में आ रही समस्या
पटना : समाज कल्याण विभाग की प्रधान सचिव वंदना किन्नी ने कहा है कि आंगनबाड़ी केंद्रों से संचालित होने वाले सभी छह महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन में बड़े स्तर पर समस्याएं हैं. इसका मुख्य कारण डीपीओ और सीडीपीओ के आधे से अधिक पदों का खाली रहना है.
पदों के खाली रहने की वजह से केंद्रों का सही मायने में लाभ नहीं मिल पाता है. तभी आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति दुरुस्त की जा सकती है. प्रधान सचिव शहर के होटल में ‘मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य की स्थिति’ पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रही थी. आद्री और इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमैन डेवलपमेंट की तरफ से संयुक्त रूप से इसका आयोजन किया गया था.
उन्होंने कहा कि राज्य में आबादी के हिसाब से एक लाख 20 हजार से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों की जरूरत है. स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के इंडियन प्रोग्राम पब्लिक पॉलिसी की निदेशक डॉ. अंजनी कोचर ने केंद्रों की मौजूदा हालत पर एक प्रस्तुति देते हुए कहा कि मधेपुरा जिला के एक आंगनबाड़ी केंद्र की उपस्थिति पंजी में एक बच्चे की उम्र पांच महीने दर्ज थी.
दो महीने बाद उसी बच्चे की उम्र 25 वर्ष दर्ज की गयी. यह सेविकाओं की लापरवाही और जानकारी की कमी को दर्शाता है.वर्तमान में इनकी संख्या करीब 92 हजार है. नये वित्तीय वर्ष में 20 हजार नये केंद्रों का निर्माण कराने की योजना है. नये केंद्रों का निर्माण नये मॉडल के अनुरूप कराये जा रहे हैं. इसमें टॉयलेट, स्टोर रूम, किचन, बरामदा और कमरे का प्रावधान किया गया है.
आगामी छह महीने में बेहतर होगी स्थिति
प्रधान सचिव ने कहा कि आगामी छह महीने में राज्य की सभी आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत में व्यापक स्तर पर सुधार आयेगा. इसके लिए कई नयी व्यवस्था और सुविधाएं लागू करने की पहल तेजी से चल रही है. कुपोषण मुक्त बिहार कार्यक्रम के तहत सभी केंद्रों में फिल्टर मुहैया करायी जा रही है. एक से दो महीने में सभी केंद्रों में यह उपलब्ध करा दिये जायेंगे.
केंद्रों की सतत मॉनीटरिंग के लिए सभी महिला सुपरवाइजर और सेविका को टैबलेट या मोबाइल दिया जायेगा. चार जिलों में 10 हजार मोबाइल का वितरण किया गया है. 13 हजार अतिरिक्त मोबाइल सेट जल्द ही आने वाले हैं. सभी सेविकाओं को शिशुओं की रोजाना उपस्थिति और वजन का चार्ट भेजने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की जा रही है. बच्चों को ज्यादा पौष्टिकता वाले डिब्बाबंद भोजन देने पर भी विचार किया जा रहा है.
केंद्रों पर बनेगा बच्चों का आधार कार्ड
आगामी छह महीने में सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों का आधार कार्ड बनाने की सुविधा शुरू हो जायेगी. आधार कार्ड बनाने वाली सेविका और सहायिकाओं को इस काम के लिए अलग से प्रोत्साहन राशि दी जायेगी.
दो महीने में पांच महीने के बच्चे की उम्र हो गयी 25 साल
कर्नाटक में भी इसी मॉडल पर आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन होता है, लेकिन वहां की हालत ज्यादा बेहतर है. उन्होंने केंद्रों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कई सुझाव दिये, जिसमें समुचित प्रबंधन, मॉनीटरिंग, जिला स्तर के अधिकारियों का निरंतर विजिट समेत अन्य बातें मुख्य हैं. डिजिटल क्रांति का सहारा लेते हुए डॉ. कोचर ने ग्रामीण महिलाओं तक जरूरी बातें सीधे पहुंचाने की वकालत की.

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