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सुनवाई की यही रफ्तार रही, तो पुराने मामलों को ही निबटाने में लग जायेंगे छह साल
पटना : जिला उपभोक्ता फोरम में बीते माह कुल 50 मामले का निबटारा किया गया. बावजूद इसके फोरम में लंबित मामलों की लिस्ट अब भी लंबी है. जी हां, फोरम में कुल 3,720 मामले लंबित है, जिनकी सुनवाई की जा रही है. ये मामले पांच-पांच सालों से लंबित हैं, जिसमें उपभोक्ता को अब भी न्याय […]
पटना : जिला उपभोक्ता फोरम में बीते माह कुल 50 मामले का निबटारा किया गया. बावजूद इसके फोरम में लंबित मामलों की लिस्ट अब भी लंबी है. जी हां, फोरम में कुल 3,720 मामले लंबित है, जिनकी सुनवाई की जा रही है. ये मामले पांच-पांच सालों से लंबित हैं, जिसमें उपभोक्ता को अब भी न्याय का इंतजार है. ऐसे में सुनवाई की यही रफ्तार रही, तो पुराने मामलों को ही निबटाने में छह साल का समय लेगा, अगर इस बीच कोई मामला दर्ज नहीं हो.
छह मामलों में एक्सक्यूशन फाइल : बीते माह नवंबर से दिसंबर तक जिला फोरम में 50 मामले का निबटारा किया गया. इनमें 44 मामले पूरी तरह से निष्पादित किये गये. वहीं, छह मामले में एक्सक्यूशन फाइल किया गया है.
इसमें ऑर्डर होने पर भी विपक्ष द्वारा पैसा नहीं दिये जाने पर इन मामलों पर वसूली के लिए एक्सक्यूशन फाइल की गयी है.समयावधि में नहीं होती सुनवाई : इतना ही नहीं फाेरम में मामलों की सुनवाई 90 दिनाें के अंदर की जानी है. पर सुनवाई रिपोर्ट के अनुसार एक से दो मामले ही होते हैं, जिनमें उपभाेक्ता को समय सीमा के तहत न्याय मिल पाता है. बीते माह की रिपोर्ट में कुल 50 मामले में मात्र दो मामलों में ही 90 दिनों के अंदर निष्पादन किया गया गया है. वहीं, दो ममाले ऐसे भी जिनका निष्पादन 150 दिनाें में किया गया है. शेष 46 मामले में उपभोक्ताआें को वर्षों बाद न्याय मिल पाया है.
कुल 20,669 मामले दर्ज
जिला उपभाेक्ता फोरम का गठन वर्ष 1988 में किया गया था. तब से अब तक कुल 20,669 मामले दर्ज किये गये हैं. इनमें 16,949 मामलों का निबटारा किया गया है. फोरम के अनुसार पूर्व में एक वर्ष में चार से पांच सौ ही मामले दर्ज किये जाते थे. अब इसकी संख्या अब फोरम में प्रतिमाह 1500 से 2500 मामले दर्ज किये जाते हैं. जबिक फोरम में इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा पूर्व के अनुरूप ही है. इससे फोरम में निष्पादन किये जाने की संख्या से अधिक मात्रा में नये केस दर्ज किये जा रहे हैं.
फोरम में लंबित मामलों की सुनवाई की जा रही है. अब भी इसकी संख्या अधिक है. बावजूद इसके प्रतिमाह 40 से 50 मामलों के निष्पादन किया जा रहा है. विभाग के लिए भी इसके लिए कर्मचारियों की कमी के लिए लिखा गया है. ताकि लंबित मामलों का निष्पादन जल्द-से-जल्द किया जा सकें.
निशा नाथ ओझा, अध्यक्ष, जिला उपभोक्ता फोरम
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