बैरिया में डंपिंग यार्ड होते हुए भी कई मोहल्लों में कचरे के पहाड़ खड़े हैं. नगर निगम इन मोहल्लों में भी कचरा डंप कर रहा है. आसपास रहनेवाले लोग भले ही इससे परेशान हों, लेकिन निगम को इससे मतलब नहीं. ये इलाके हार्डिग रोड, सैदपुर, कमला नेहरू नगर व गर्दनीबाग हैं. हार्डिग रोड में पुराना बस स्टैंडवाली जगह में कचरा फेंका जा रहा है. सैदपुर में प्रेमचंद रंगशाला व स्टेडियम के बीच की जमीन भी कचरे से भरी है. कमला नेहरू नगर की खाली जमीन पर भी कचरे का अंबार लगा है, जिसे अब ढंका जा रहा है. गर्दनीबाग में राजकीय अस्पताल की बगल में निगम अपनी जमीन पर कचरा फेंकने की योजना बना रहा है, जिसका स्थानीय लोग लगातार विरोध कर रहे हैं. हर दिन निकलनेवाला 1000 मीटरिक टन कचरा निगम के लिए मुसीबत बना है. इस मुसीबत को वह आम लोगों के मत्थे डाल रहा है.
पटना: बैरिया के अलावा शहर के मोहल्लों में कचरा डंप करने के कारण आसपास के लोग इसका विरोध भी करते हैं. कई बार तो निगम के कर्मियों व स्थानीय लोगों के बीच हाथापाई तक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, लेकिन फिर भी बारी-बारी से इन मोहल्लों की खाली जमीन पर कचरा डंप किया जा रहा है. स्थानीय लोगों ने हाइकोर्ट में पीआइएल भी दाखिल की है, जिसमें प्रेमचंद रंगशाला की बगल वाली जमीन से उत्पन्न समस्याओं का जिक्र किया गया है. इस संबंध में निगम अधिकारियों का कहना है कि संसाधन की कमी के कारण हम शहर से निकलनेवाले कचरे को सीधे बैरिया नहीं ले जा सकते. ऐसी स्थिति उसे शहर के बीच में कहीं डंप किया जाता है, जिसे रात में हटाया भी जाता है.
बैरिया का तो और बुरा हाल
लगातार कूड़ा फेंकने से बैरिया के लोगों की भी परेशानी बढ़ गयी है. आसपास के लोग बदबू से परेशान हैं. वहां कचरों का पहाड़ नहीं बने, इसको लेकर निगमकर्मी कचरा में आग लगाते रहते हैं. इससे वहां 24 घंटे धुआं निकलता रहता है. पुरवा हवा चली, तो पश्चिम में रहनेवाले लोग और पछुआ हवा चली तो पूरब में रहनेवालों का घरों में रहना मुश्किल हो जाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि हवा चलने पर घरों में धुआं भरा रहता है.
इसके बावजूद निगम व जिला प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है. पहले निगम क्षेत्र से निकलनेवाले कचरे को न्यू बाइपास के दोनों किनारे या फिर पहाड़ी पर डंप किया जा रहा था. जब हाइकोर्ट ने नोटिस लिया, तो धीरे-धीरे बैरिया स्थित डंपिंग यार्ड में कचरा गिराना शुरू किया गया. इसी दौरान वर्ष 2009 में निगम प्रशासन ने आउटसोर्सिग के तहत ए-टू-जेड को कचरा उठाने की जिम्मेवारी दी, तो आनन-फानन में पश्चिम से बाउंड्री करायी और गेट पर धर्मकांटा लगवाया. लेकिन, अधिगृहीत भूखंड के पूरे क्षेत्रों की बाउंड्री नहीं करायी गयी और धर्म कांटा भी कभी संचालित नहीं हुआ. वर्तमान में आलम यह है कि कचरा लेकर आनेवाले टीपर या कॉम्पेक्टर जैसे-जैसे कचरा गिरा कर चले जाते हैं. मुख्य सड़क से डंपिंग यार्ड तक पहुंचनेवाली सड़क पर भी कचरा गिरा दिया जाता है.
कचरा प्रबंधन से ही निदान संभव
नगर निगम के अधिकारी भी यह बात मानते हैं कि कचरा प्रबंधन से ही इसका स्थायी निदान संभव है. जब कचरे से बिजली व कंपोस्ट बनाने का प्लांट लगेगा, तब जाकर स्थिति सामान्य होगी. इसके लिए विभाग की ओर से प्रक्रिया शुरू की गयी है. पटना नगर निगम सहित सभी 11 नगर निगमों में कचरा प्रबंधन के लिए एजेंसी चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इसके लिए टेंडर भी निकाला जा चुका है.