21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

फसल व व‌र्षा चक्र को पाठ्यक्रम में शामिल कराने का होगा प्रयास : उपेंद्र

पानी : समाज और सरकार’ विषय पर सेमिनार का आयोजन पटना : केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार के पाठ्यक्रम में फसल और वर्षा चक्र को केंद्र सरकार शामिल कराने का प्रयास करेगी. वे पटना के एएन सिंह संस्थान में पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र की पुण्य स्मृति में आयोजित ‘पानी […]

पानी : समाज और सरकार’ विषय पर सेमिनार का आयोजन
पटना : केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि बिहार के पाठ्यक्रम में फसल और वर्षा चक्र को केंद्र सरकार शामिल कराने का प्रयास करेगी. वे पटना के एएन सिंह संस्थान में पर्यावरणविद् अनुपम मिश्र की पुण्य स्मृति में आयोजित ‘पानी : समाज और सरकार’ विषय पर अायोजित सेमिनार में बोल रहे थे. उन्होंने बिहार के लोगों से पानी बरबाद न करने और प्रदूषण न फैलाने की शपथ लेने की अपील की. उन्होंने कहा कि यदि आम बिहारी इस पर ईमानदारी से अमल करें, तो पानी और प्रदूषण का 50 प्रतिशत संकट यूं ही दूर हो जायेगा.
उन्होंने कहा कि पानी के बिना जीव का कल्याण नहीं है. बिहार में नदियों का पूजा की जाती है. उन्होंने आशंका जतायी कि यदि पानी का संंकट दूर न हुआ, तो देश के सामने बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है. एेसे में अभी से ही इस संकट से निजात पाने के लिए सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि हर व्यक्ति को अपना-अपना दायित्व समझना होगा. आज नदियां नहाने लायक नहीं रह गयी हैं, इसके लिए सिर्फ सरकार पर दोष मढ़ना उचित नहीं है, इसके लिए हम सब जिम्मेेवार हैं.
पर्यावरणविद् राम बिहारी सिंह ने कहा कि समाज को आज सिंचाई, नदी, गंगा और पानी को लेकर अपनी भूमिका तय करनी होगी. भविष्य में होने वाले पानी संकट को लेकर यदि हम अभी से सतर्क न हुए, तो आना वाले दिनों में देश में यह अरब के पेट्रोल से भी महंगा बिकने लगेगा.
उन्होंने कहा कि जब भी नदियों की प्रकृति से छेड़-छाड़ करने का प्रयास किया गया, तब-तब बाढ़-सुखाड़ का संकट विकराल हुआ है. हरिद्वार में गंगा के प्रवाह के साथ छेड़-छाड़ की गयी. हिमालय के मूल पानी को निरंतर बहने नहीं दिया जा रहा. नदियों के मामले को ले कर बिहार में सत्ताधारी दलों ने अब-तक राजनीति ही अधिक की. ले-देकर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एक पहल की तो जरूर, परंतु गंगा की अविरलता पर काम नहीं कर पाये. बांग्लादेश से फरक्का समझौता होने का बाद बिहार सहित आस-पास के राज्यों में बाढ़-सुखाड़ का संकट पहले से कई गुना अधिक बढ़ा है. दिन-पर-दिन गंगा का पानी प्रदूषित होता जा रहा, किंतु इस पर कोई दल कुछ नहीं बोलता.
विधान पार्षद केदार पांडेय ने कहा कि नदियों को बांधो मत, बल्कि उन्मुक्त कर दो. नदियों को नहीं, बल्कि मानव को जोड़ो. मदन मोहन मालवीय ने इसको लेकर पहला आंदोलन किया था. उन्होंने कहा कि पं. नेहरू के कार्यकाल में नदियों पर बांधों के निर्माण का जो सिलसिला शुरू हुआ, उससे बाढ़-सुखाड़ का संकट दूर होने के बजाय बढ़ताचला गया. आज अंतरराष्ट्रीय विश्व
बैंक नीतियां तय कर रही हैं. सेमिनार में रंजीव, किसलय किशोर, गेल के
विपिन कुमार सिंह, रजनीश कुमार गोयल, आहर-पाईन के एमपी सिन्हा और पंकज मालवीय ने भी अपनी -अपनी बातें रखी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें