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जीएसटी की गुत्थी सुलझाने में सीए की अहम होगी भूमिका
पटना : जिन छोटे डीलरों का टर्नआेवर 20 लाख से ज्यादा और 50 लाख रुपये से कम है. वे कंपोजिशन स्कीम का लाभ उठा सकते हैं. लेकिन इसके लिए अभी दर निर्धारित नहीं की गयी है. ये बातें कोलकाता से आये चार्टर्ड एकाउंटेंट अरुण कुमार अग्रवाल ने सोमवार को द इंस्टीट्यूट आॅफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स आॅफ […]
पटना : जिन छोटे डीलरों का टर्नआेवर 20 लाख से ज्यादा और 50 लाख रुपये से कम है. वे कंपोजिशन स्कीम का लाभ उठा सकते हैं. लेकिन इसके लिए अभी दर निर्धारित नहीं की गयी है.
ये बातें कोलकाता से आये चार्टर्ड एकाउंटेंट अरुण कुमार अग्रवाल ने सोमवार को द इंस्टीट्यूट आॅफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स आॅफ इंडिया, बिहार ब्रांच द्वारा आयोजित जीएसटी पर आयोजित कार्यशाला में कहीं. यह कार्यशाला मंगलवार को भी चलेगी. उन्होंने जीएसटी के बेसिक प्रोविजन के साथ ही सप्लाई के समय और जगह के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला. अग्रवाल ने कहा कि कोई भी सामान या सुविधा यदि किसी भी व्यक्ति को सप्लाई की जाती है और उसके बदले में कोई मूल्य भी नहीं लिया जाता है, तो विशेष परिस्थिति में जीएसटी की जिम्मेवारी सप्लायर की होगी. लोगों के मन में पनपी आशंका धीरे-धीरे दूर हो रही है.
राजेश कुमार खेतान ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि जीएसटी में सीए की बहुत बड़ी जिम्मेवारी है. एक टैक्स की व्यवस्था से दूसरे टैक्स की व्यवस्था को सभी कारोबारियों को सफलतापूर्वक जीएसटी में परिवर्तन करने में तकनीकी विशेषज्ञों की जरूरत है. इसके लिए सभी सीए को जीएसटी के हर तकनीकी पहलुओं की जानकारी रखना जरूरी है.
कानपुर से आये वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट धर्मेंद कुमार श्रीवास्तव ने वैलुएशन, इनपुट, टैक्स क्रेडिट के साथ इनवायसिंग एंड मैचिंग कांसेप्ट की जटिलताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्हाेंने कहा कि देश में जीएसटी के आने से बिजनेस करने का तरीका बदल जायेगा. एेसे में चार्टर्ड एकाउंटेंट की भूमिका और अहम होगी. श्रीवास्तव ने कहा कि वैट और जीएसटी के अंतर को समझे बिना काम करने में परेशानी आयेगी.
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