Advertisement
तीन मानकों पर ही जांचा जायेगा सोना
सुधार : हॉलमार्किंग के नये नियम के अनुसार अब बुलियन और सिक्कों पर भी हो सकेगी हॉलमार्किंग सुबोध कुमार नंदन, पटना : भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) के हालमार्किंग विभाग ने स्वर्ण एवं स्वर्ण मिश्रित धातु व आभूषण की शुद्धता व मुहरांकन नियम में चौथी बार बड़ा बदलाव किया है. एक जनवरी 2017 से लागू होने […]
सुधार : हॉलमार्किंग के नये नियम के अनुसार अब बुलियन और सिक्कों पर भी हो सकेगी हॉलमार्किंग
सुबोध कुमार नंदन,
पटना : भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) के हालमार्किंग विभाग ने स्वर्ण एवं स्वर्ण मिश्रित धातु व आभूषण की शुद्धता व मुहरांकन नियम में चौथी बार बड़ा बदलाव किया है. एक जनवरी 2017 से लागू होने वाले इस नये नियम में अब बुलियन व सिक्के पर भी हॉलमार्किंग हो सकेगी.
इतना ही नहीं, अाभूषण की शुद्धता अब छह मानकों पर नहीं बल्कि तीन मानक पर ही मापी जायेगी. एक जनवरी से आभूषणों पर मार्किंग में निर्माण वर्ष का उल्लेख नहीं होगा.
इसको लेकर हॉलमार्किंग विभाग ने सभी क्षेत्रीय व ब्रांच कार्यालयों के साथ ही एसेसिंग एंड हॉलमार्किंग सेंटरों को भी चिट्ठी लिखी है. पत्र के मुताबिक अब सोने की शुद्धता 22, 18 व 14 कैरेट पर ही मापी जायेगी. पहले सोने की शुद्धता 23, 22, 21, 18, 14 व 09 कैरेट पर मापी जाती थी. भारतीय मानक ब्यूरो के पटना के निदेशक व प्रमुख केसी एस बिष्ट ने गुरुवार को बताया कि पहले 22 कैरेट से कम शुद्ध सोने के आभूषण को 21 कैरेट का मान लिया जाता था, लेकिन नये प्रावधान के बाद 22 कैरेट से कम वाले आभूषण को 18 कैरेट ही माना जायेगा. आभूषण पर कैरेट के साथ उसका मानक अंक एक साथ अंकित रहेगा. बिष्ट ने बताया कि 23, 21 तथा 9 कैरेट को हॉलमार्किंग श्रेणी से हटा दिया गया है.
नये नियम में स्वर्णाभूषण पर कोड अक्षर के रूप में हॉलमार्किंग का वर्ष अंकित नहीं होगा. इसका प्रावधान समाप्त कर दिया गया है. कोड अक्षर के रूप में स्वर्णाभूषण पर बीआइएस स्टैंडर्ड मार्क, शुद्धता कैरेट, एसेसमेंट सेंटर की पहचान व नंबर तथा ज्वेलर का आइडेंटिफिकेशन मार्क व नंबर भी अंकित होगा. श्री बिष्ट ने बताया कि अपने देश में 22 कैरेट के ही गहने बनते है जबकि 18 कैरेट सोने का प्रयोग हीरे के आभूषण में किया जाता है. जहां तक 9 कैरेट का सवाल है तो उसका प्रयोग विदेशों में होता है. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में दुकान के नाम के बदले कोड का प्रयोग होगा, क्योंकिएक ही नाम से मिलता-जुलता आभूषण दुकान देश में है. इससे सही दुकान की पहचान करने में परेशानी हो रही थी.
केंद्र सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए भारतीय मानक ब्यूरो की ओर से वर्ष 2000 में हॉलमार्किंग योजना शुरू की गयी थी. इस योजना के तहत उन स्वर्णाभूषण विक्रेता व स्वर्णाभूषण निर्माताओं को लाइसेंस दिया जाता है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement