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किसान नाराज, गतिरोध जारी

विकास कुमार मोकामा : केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जगदीशपुर- हल्दिया गैस पाइपलाइन परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण का मुद्दा किसानों की नाराजगी का सबब बन गया है. 2500 किलोमीटर वाली जगदीशपुर हल्दिया गैस पाइपलाइन परियोजना 12000 करोड़ की लागत से पूरी होगी तथा बिहार में इस परियोजना का पहला चरण पूरा होना है. पहले चरण […]

विकास कुमार
मोकामा : केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जगदीशपुर- हल्दिया गैस पाइपलाइन परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण का मुद्दा किसानों की नाराजगी का सबब बन गया है. 2500 किलोमीटर वाली जगदीशपुर हल्दिया गैस पाइपलाइन परियोजना 12000 करोड़ की लागत से पूरी होगी तथा बिहार में इस परियोजना का पहला चरण पूरा होना है. पहले चरण में इलाहाबाद के फूलपुर से गया के डोभी तक और उसके बाद बरौनी और पटना को पाइपलाइन परियोजना से जोड़ा जाना है.
इस परियोजना से बिहार के बरौनी रिफाइनरी के साथ–साथ बरौनी के बंद पड़े खाद कारखाने को भी लाभ पहुंचने की बात बतायी जा रही थी, लेकिन अधिग्रहण के सवाल पर उठे विवाद के कारण परियोजना के विलंबित होने की भी संभावनाएं बढ़ गयी हैं. किसान किसी सूरत में झुकने को तैयार नहीं दिख रहे हैं.
मरांची के किसान नेता अरविंद सिंह कहते हैं 1962 में पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा बनाये गये अधिग्रहण कानून को विधि मंत्रालय ने जारी किया था, जिसमें स्पष्ट है कि आबादीवाले हिस्से, रिहाइशी इलाके तथा मकानों के आसपास से पाइपलाइन नहीं ले जायी जा सकती है.
जदयू नेता पवन कुमार ने बताया कि 2013 में यूपीए सरकार द्वारा बनाये गये भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून में किसानों की 70 फीसदी सहमति को अनिवार्य बताया गया था तथा सिंचित भूमि का अधिग्रहण नहीं करने की बात कही गयी थी. किसानों का दावा है कि 2013 के भूमि अधिग्रहण संशोधन कानून की भी अवहेलना की जा रही है क्योंकि उसमें 70 फीसदी किसानों की सहमति अनिवार्य बतायी गयी है, लेकिन मरांची से गैस पाइपलाइन परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण में एक किसान भी सहमत नहीं हैं. विवादों में फंसे जगदीशपुर- हल्दिया गैस पाइपलाइन परियोजना के लिए मोकामा के मरांची में जमीन अधिग्रहण के सवाल पर गैस अॉथोरिटी अॉफ इंडिया लिमिटेड के अधिकारी और मरांची के किसान आमने- सामने हैं.
दरअसल 12000 करोड़ रुपये की लागतवाली जगदीशपुर- हल्दिया गैस पाइपलाइन परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण कर रही गैस अॉथोरिटी अॉफ इंडिया लिमिटेड के अधिकारी पाइपलाइन को मरांची गांव के बीच से ले जाना चाहते हैं , जिसके लिए किसान सहमत नहीं हैं.
किसानों का दावा है कि मरांची गांव के बीच से होकर पाइपलाइन ले जाना खतरे से खाली नहीं है और इससे पूरा गांव उजड़ जायेगा.
किसानों का आरोप है कि 2015 के अक्तूबर में प्रकाशित गजट में पाइपलाइन का रूट मरांची गांव से बाहर था , लेकिन 2016 के अक्तूबर में दुबारा गजट प्रकाशित कर पूर्व के अलाइनमेंट को बदल दिया गया और नये अलाइनमेंट के तहत गांव के बीच से होकर पाइपलाइन ले जाने के लिए अधिकारियों ने नक्शा बना दिया है. जमीन अधिग्रहण के लिए ग्रामीणों को नोटिस भी भेजा जाने लगा है. ग्रामीणों ने जम कर हंगामा भी किया था. बाद में पटना डीएम के निर्देश पर बाढ़ एसडीएम सुब्रत कुमार सेन ने ग्रामीणों के साथ बैठक की, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पायी है.

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