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सत्ता विरोधी लहरें पैदा करना चाहती है भाजपा: संजय सिंह
पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता व विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि भाजपा सिर्फ बिहार सरकार के खिलाफ सत्ता-विरोधी लहरें पैदा करना चाहती है, लेकिन मुश्किल यह है कि सत्ता विरोधी लहरें तो केंद्र की मोदी सरकार के विरुद्ध पैदा हो रही है. जिस नोटबंदी से आमजन को परेशानी हो रही है. भाजपा […]
पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता व विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि भाजपा सिर्फ बिहार सरकार के खिलाफ सत्ता-विरोधी लहरें पैदा करना चाहती है, लेकिन मुश्किल यह है कि सत्ता विरोधी लहरें तो केंद्र की मोदी सरकार के विरुद्ध पैदा हो रही है. जिस नोटबंदी से आमजन को परेशानी हो रही है.
भाजपा को काम से मतलब नहीं है वो सिर्फ हंगामा करना जानती है. जिस उम्मीद के साथ जनता जनप्रतिनिधि बनाकर सदन में भेजती है, उसका भी भाजपा नेता सम्मान नहीं करते हैं. सबसे कीमती विधानसभा की कार्यवाही को भाजपा के नेता बेकार की बातें करके हंगामा की भेंट चढ़ा दे रहे है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक रूप से हार चुकी भाजपा अब बिहार सरकार के काम में व्यवधान डालने का काम कर रही है.
भाजपा नेता सुशील मोदी भाजपा के हार के गम को भुलाने के लिए सरकार पर मनगढ़ंत आरोप लगा रहे हैं जो पूरी तरह से निराधार है. जिस तरह से धान को मुद्दा बना रहे है, उसमें भी उनकी भद्द पिटने वाली है. धान खरीद का कोई मुद्दा है ही नहीं, लेकिन सुशील मोदी इसे बेवजह मुद्दा बना रहे हैं. बिहार सरकार किसानों के समर्थन मूल्य पर धान खरीद रही है और बोनस के मसले को भी इस साल के मुताबिक तय कर लिया जायेगा. भाजपा किसानों की बोनस की बात कर रही है, वो बताएं कि कितने भाजपा शासित राज्यों में किसानों को बोनस दिया जाता है. सिर्फ बिहार से ही वो तमाम सुविधाएं ढंूढते हैं जो किसी किसी राज्य में नियम के मुताबिक दी जाती है. बिहार सरकार किसानों के लिए बोनस तय करेगी, लेकिन इस बार बोनस का क्या स्वरूप होगा? ये सुशील मोदी तय नहीं कर सकते हैं.
नीतीश के संसदीय आचरण से सीख ले भाजपा : जदयू के प्रवक्ता नवल शर्मा ने कहा कि सदन की कार्यवाही में व्यवधान पैदा कर रहे भाजपा नेताओं को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संसदीय आचरण से सीख लेनी चाहिए. अगर सदन में हो हल्ला करना और तख्तियां लहराना ही जनसरोकार है, तब तो निश्चय ही भाजपा विधायकों को चुननेवाली जनता भी पचता रही होगी. विपक्ष के सारे सवालों का सरकार मुस्तैदी से जवाब देने के लिए तत्पर है.
बावजूद इसके सदन का बहिष्कार और हंगामा निश्चय ही भाजपा नेताओं की हताशा का परिचायक है. भाजपा नेताओं को चाहिए वे नीतीश कुमार की शालीन और संसदीय भाषा व शिष्टाचार से शिक्षा ग्रहण करें. भाजपा नेताओं को व्यक्तिगत आरोप और कीचड़बाजी से ऊपर उठकर विपक्ष की भूमिका को रचनात्मक बनाने का प्रयास करना चाहिए.
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