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फुटपाथ तक पहुंचा ऑनलाइन पेमेंट

सुविधा : मुसीबत ने खोली विकास की राह, छोटे दुकानदार भी ले रहे इ -वैलेट का सहारा पटना : नोटबंदी से पहले तक ऑनलाइन पेमेंट इ ट्रेडिंग और बड़े शॉपिंग मॉल से खरीदारी तक सीमित था. उनके कारोबार का 30 फीसदी हिस्सा कार्ड स्वीपिंग और ऑनलाइन ट्रांसफर से पेमेंट होता था. लेकिन नोटबंदी के पांच-छह […]

सुविधा : मुसीबत ने खोली विकास की राह, छोटे दुकानदार भी ले रहे इ -वैलेट का सहारा
पटना : नोटबंदी से पहले तक ऑनलाइन पेमेंट इ ट्रेडिंग और बड़े शॉपिंग मॉल से खरीदारी तक सीमित था. उनके कारोबार का 30 फीसदी हिस्सा कार्ड स्वीपिंग और ऑनलाइन ट्रांसफर से पेमेंट होता था.
लेकिन नोटबंदी के पांच-छह दिनों में पूरे आंकड़े बदल गये हैं. मॉल इ-ट्रेडिंग में कैश का हिस्सा बढ़ कर दोगुना हो गया है और इ वैलेट सीन 2 (सहदेव महतो मार्ग के कोन पर स्थिति पान-सिगरेट की दुकान) तकनीक फुटपाथों तक पहुंच गयी है. छोटे दुकानदार भी अब पेटीएम का इस्तेमाल करने लगे हैं.पान-सिगरेट और गोलगप्पे जैसे सामग्रियों का बिल ऑनलाइन चुकाया जाने लगा है.
एक लाइन से पांच-छह ठेले लगे हैं, जिसमें खाने पीने की चीजें बिक रही हैं. इनमें गोलगप्पा बेचनेवाला एक ठेला ऐसा है जिस पर पेटीएम एक्सेप्टेड हियर का बोर्ड लगा है. उसके इर्द-गिर्द सात-आठ लड़कियां खड़ी होकर गोलगप्पा खा रही हैं. कुछ लड़कियां जो खा चुकी है वे पैसे का पेमेंट कर रही है. उनमें से कुछ नगद पैसा चुका रही है जबकि दो-तीन अपने मोबाइल से सामने लटक रहे पेटीएम के बार कोड को स्कैन कर रही है. एक लड़की जो शायद पहली बार पेटीएम का इसतेमाल कर रही है. गोलगप्पे वाले से उसे ट्रांसफर करने का तरीका पूछ रही है.
एक सिगरेट देना, कहते हुए जैसे ही युवक ने पैसा निकालने के लिए जेब मेें हाथ डाला, सामने चिपके एक नोटिस को देख उसके हाथ रूक गये. पंपलेट के आकर के एक रंगीन कागज पर लिखा था, पेटीएम एक्सेप्टेड हियर. नोटिस देख कर हैरत भरे आवाज में युवक ने दुकानदार से पूछा, पेटीएम से पैसा लेते हो. हामी में सिर हिलाने से उसने बार कोड मांगा.
दुकानदार ने सामने रखे छोटे बोर्ड की ओर इशारा किया, जिसमें दुकानदार के नाम के साथ उसका बार कोड भी अंकित था. ग्राहक ने बार कोड को अपने एंड्रायड मोबाइल कैमरे के माध्यम से स्कैन किया. उसमें लिये गये सिगरेट की कीमत (दस रुपये)डाली अौर ट्रांसफर कर दिया. अगले क्षण दुकानदार के ई वैलेट में पैसा पहुंच गया. न तो ग्राहक को अपने मूल्यवान कैश दुकानदार को देने पड़े और न ही दुकानदार को खुदरा तलाशने की झंझट करनी पड़ी.
कई ब्रांड के इ वैलेट
गोलगप्पा बेचनेवाले सत्यम और सिगरेट बेचनेवाला रंजीत अकेला नहीं है. और भी दुकानदार हैं, जो फुटपाथ पर सामान बेचने के बावजूद इ वैलेट का सहारा ले रहे हैं. केवल पेटीएम का इस्तेमाल करनेवाले आधा दर्जन से अधिक फुटपाथी दुकानदार हैं. ऑक्सीजन वैलेट, पे यू मणि जैसे कुछ अन्य इ वैलेट भी हैं, जिसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
इनमें सत्यम को छोड़ अन्य सभी दुकानों ने पिछले पांच-छह दिनों में ही इनका इस्तेमाल शुरू किया है. सत्यम पिछले दो महीने से इसका इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन वह भी मानता है कि नोटबंदी से पहले तक ई वैलेट का इस्तेमाल बहुत कम था. अब हर दिन 15-20 ग्राहक इससे पेमेंट करते हैं और चार-पांच सौ रुपये वैलेट में आ जाता है.

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