23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बचाव के लिए उठाया गया कदम है नोटबंदी : तारिक

पटना: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के महासचिव और सांसद तारिक अनवर ने केंद्र सरकार के 500 एवं 1000 रुपये नोट बंद करने के फैसले को बिना वैकल्पिक व्यवस्था किये जल्दबाजी में उठाया गया अदूरदर्शी कदम बताया है. उन्होंने सोमवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह फैसला विदेश से कालाधन वापस लाने के […]

पटना: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के महासचिव और सांसद तारिक अनवर ने केंद्र सरकार के 500 एवं 1000 रुपये नोट बंद करने के फैसले को बिना वैकल्पिक व्यवस्था किये जल्दबाजी में उठाया गया अदूरदर्शी कदम बताया है. उन्होंने सोमवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह फैसला विदेश से कालाधन वापस लाने के वादे को पूरा नहीं कर पाने पर आरोपों से बचने के लिए बचाव के लिए उठाया गया कदम है.

यहां पत्रकारों से तारिक ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कालेधन पर रोक लगाने के लिए 500 एवं 1000 रुपये नोट बंदी का जब यह फैसला लिया था, तो उनकी पार्टी ने इसका स्वागत किया था, मगर बिना किसी तैयारी से जिस प्रकार से इसे जल्दीबाजी में उठाया गया यह एक अपरिपक्व कदम है. सरकार के इस कदम की वे पुरजोर निंदा करते हैं. उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि कालेधन की समस्या से निबटने के लिए सख्त कदम उठाये जाने की जरूरत है, लेकिन किसी भी बड़ी पहल को अंजाम देने के पहले समुचित सोच-विचार एवं युक्ति संगत तैयारी की भी आवश्यकता थी, लेकिन ऐसा किये बगैर सरकार ने आनन-फानन में जो कदम उठाया. उसकी मार आम आदमी को झेलनी पड़ रही है.

नोटों के संकट की मार आम आदमी पर
तारिक ने कहा कि पुराने बड़े नोटों की वापसी और उनकी जगह नये बड़े नोटों को लाने के निर्णय के बाद से बैंकों में उमडी भारी भीड़ और एटीएम मशीन के ठप होने से रोजमर्रा के लेन-देन एवं खरीद बिक्री पर व्यापक एवं नकारात्मक असर पड़ा है. इस संकट की मार सबसे ज्यादा आम लोगों पर पड़ा है और सारे देश में अराजकता का माहौल बन गया है. उन्होंने कहा कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा सामान्यता नकदी से काम चलाता है. डिजिटल विनिमय बड़े शहरों तक सिर्फ सीमित है. देश के दूर-दराज इलाकों में बैंकिंग सेवाओं की पहुंच अब तक नहीं है. ऐसे में सरकार को वैकल्पिक उपाय करने चाहिए थे, जिससे अफरा-तफरी का माहौल न बने कम से कम बैंकों एवं एटीएम तक पर्याप्त नकदी की व्यवस्था रहनी चाहिए थी, जिसमें यह सरकार विफल रही है.

1978 में आम जनजीवन पर नहीं पड़ा था असर
कटिहार संसदीय क्षेत्र सांसद तारिक अनवर ने कहा कि देश में इससे पहले मोरारजी देसाई की सरकार ने भी 1000, 5000, 10,000 के नोटों का चलन बंद किया था. उस समय भी इसे कालेधन और उसकी वजह से चल रही समानांतर अर्थव्यवस्था को समाप्त करने वाला कदम बताया गया था, लेकिन उस वक्त के फैसले का असर सिर्फ धनाढ्य तबकों पर पड़ा था, जबकि वर्तमान सरकार के फैसले से सर्वाधिक पीड़ित आम आदमी है. उन्होंने कहा कि सरकार का यह कदम देश के तमाम लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ कैशलेस सोसायटी की तरफ बढ़ने का संकेत है, ऐसा मानना भ्रामक होगा.

बिना तैयारी के हानिकारक कदम
तारिक ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि कैशलेस सोसायटी समय की मांग एवं जरूरत है, पर बिना उपयुक्त तंत्र तैयार किये यह एक हानिकारक एवं अहितकारी कदम साबित होगा. वैसे तो विकसित देशों में नकद विहीन लेन-देन का चलन है, लेकिन भारत में जिसकी 60 फीसदी अर्थव्यवस्था ग्रामीण है. नकद ही लेन-देन का जरिया है तथा उनकी पहुंच बैंकिंग व्यवस्था तक नहीं है. इस तरह के फैसले परेशानी में डालने वाले साबित हो सकते हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव के पूर्व नरेंद्र मोदी जी ने विदेश से कालाधन लाने का वादा देश की जनता से किया था, पर ढाई साल का उनका कार्यकाल पूरा होने बावजूद वे इसे पूरा नहीं कर पाये हैं और उनका यह कदम आरोपों से बचने के लिए एक फेस सेविंग के लिए उठाया गया कदम है.

शीतकालीन सत्र में उठायेंगे मुद्दा
तारिक ने केंद्र सरकार के इस फैसले को देश में स्वत: उत्पन्न किये गये आर्थिक संकट की संज्ञा देते हुए यह भी आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में आसन्न चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए बिना वैकल्पिक तैयारी के जल्दबाजी में उठाया गया कदम है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के दौरान उठायेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें