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निजी अस्पताल नहीं ले रहे बड़े नोट, क्रेडिट कार्ड का भरोसा
प्रभात खबर ने शहर के प्राइवेट अस्पताल व क्लिनिकों का हाल जाना पटना : मोदी सरकार द्वारा ब्लैक मनी पर किये गये सर्जिकल स्ट्राइक का असर जनता पर दिख रहा है. शहर के प्राइवेट अस्पतालों ने 500-1000 के नोट लेने से साफ इनकार कर दिया है. इसका असर सीधे मरीजों पर पड़ रहा है. मरीजों […]
प्रभात खबर ने शहर के प्राइवेट अस्पताल व क्लिनिकों का हाल जाना
पटना : मोदी सरकार द्वारा ब्लैक मनी पर किये गये सर्जिकल स्ट्राइक का असर जनता पर दिख रहा है. शहर के प्राइवेट अस्पतालों ने 500-1000 के नोट लेने से साफ इनकार कर दिया है. इसका असर सीधे मरीजों पर पड़ रहा है. मरीजों के हंगामे और शिकायत के बावजूद भी निजी अस्पताल नोट नहीं ले रहे हैं. इलाज से वंचित मरीज स्वास्थ्य विभाग को सीधे शिकायत कर रहे हैं. लेकिन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मरीजों की सुविधा देने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे. प्रभात खबर की टीम ने जब शहर के प्राइवेट अस्पतालों का मुआयना किया, तो कई अस्पताल बड़े नोट के चलते मरीजों को लौटा रहे थे, तो कुछ ऐसे भी अस्पताल थे जहां नोट लिये जा रहे थे.
इन अस्पतालों ने किया इलाज : किदवईपुरी स्थित संजीवनी आइ अस्पताल में बड़े नोट स्वीकार किये जा रहे थे. अस्पताल के संचालक डॉ सुनील सिंह ने कहा कि यहां अधिकांश मरीजों के मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया. पिछले चार दिनों में 18 मरीजों के ऑपरेशन हुए. सभी ने 1000-500 रुपये के नोट दिये. यहां तक कि जांच करानेवाले मरीजों से भी बड़े नोट स्वीकार किये जा रहे हैं.
– राजापुर मेन रोड पर संचालित डायबिटिज केयर यूनिट अस्पताल में मरीजों से बड़े नोट लेकर इलाज किया जा रहा है. यूनिट के संचालक डॉ सुभाष कुमार ने बताया कि नौ नवंबर से अब तक सैकड़ों ऐसे मरीज आये हैं, जिनका इलाज बड़े नोट के कारण नहीं रोका गया.
बड़े नोटों ने ले ली जान: बड़े नोट के अभाव में शहर के सबसे बड़े अस्पताल पारस एचएमआरआर में धानु महतो की मौत हो गयी. फतुहा के रहनेवाले धानु को डेंगू हो गया था. लेकिन छोटे नोट के अभाव में डॉक्टरों ने उसे भरती नहीं किया. धानु की मौत के बाद भी अस्पताल प्रशासन ने 100 के नोटों के रूप में पैसे नहीं देने पर छह घंटे शव को भी अपने कब्जे में रखा.
क्रेडिट/डेबिट कार्ड की बदौलत मरीज : शहर के बड़े प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करानेवाले मरीज इन दिनों क्रेडिट/डेबिट कार्ड के बदौलत अपना इलाज करा रहे हैं. जिन मरीज के पास क्रेडिट कार्ड या फिर डेबिट कार्ड नहीं है, वे इलाज से महरूम हैं.
बालखुश निलियम अस्पताल : यहां मरीजों को बड़े नोट नहीं लेने के चलते लौटाया जा रहा था. बोरिंग कैनाल रोड स्थित निलियम अस्पताल में निमोनिया से ग्रसित चार साल के शुभम सिंह को भरती कराया गया. पिता प्रशांत ने बताया कि लेकिन यहां 14 हजार रुपये जमा करने को कहा गया, सभी नोट बड़े होने के कारण अस्पताल ने मना कर दिया. इसके बाद उसके परिजन उसे सरकारी अस्पताल में ले गये.
फिमेल फेसिलिटी हॉस्पिटल (बाइपास) : में गर्भवती महिलाओं को परेशानी हुई, यहां भी बड़े नोट स्वीकार नहीं किये जा रहे थे. कंकड़बाग की रानी गुप्ता को इलाज के अभाव में लौटना पड़ा. चेकअप के बाद रानी को डॉक्टरों ने पानी की कमी बतायी और दो दिन तक भरती कर पानी व ग्लूकोज चढ़ाने की बात कही. लेकिन 1000-500 के नोट के चलते रानी भरती नहीं हो पायीं. हालांकि, अस्पताल ने रेफर सर्टिफिकेट दे दिया.
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