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शहर दौड़ पड़ा एटीएम और पेट्रोल पंप की ओर
500/1000 रुपये के नोट पर रोक के बाद मची अफरा-तफरी, हर जरूरी सुविधा के लिए लंबी कतार आनंद तिवारी पटना : मंगलवार को 500 एवं 1000 रुपये की नोट के बंद होने की खबर फैलने के साथ ही पटना के बाजार में हाहाकार मच गया. पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें लग गयीं. कई तो बंद […]
500/1000 रुपये के नोट पर रोक के बाद मची अफरा-तफरी, हर जरूरी सुविधा के लिए लंबी कतार
आनंद तिवारी
पटना : मंगलवार को 500 एवं 1000 रुपये की नोट के बंद होने की खबर फैलने के साथ ही पटना के बाजार में हाहाकार मच गया. पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें लग गयीं. कई तो बंद भी हो गयीं. एटीएम पर लंबी लाइन लग गयी. लोग चौक-चौराहों पर जमा होकर देश की इस बड़ी घटना की चर्चा और व्याख्या अपने-अपने तरीके से करने लगे. लेकिन, हर तरफ एक चर्चा बेहद आम सुनने को मिली कि अब क्या होगा. हर कोई समाधान और निष्कर्ष की चिंता में अपने विचार दे रहे थे.
दो दिन कैसे बीतेंगे, यह बड़ी समस्या थी. जब उनके तमाम अहम काम में व्यवधान पैदा हो जायेगा. जिन लोगों ने मंगलवार को किसी जरूरी काम से बड़े नोट निकाले थे, उन्हें भी अपनी जेबें पूरी तरह से खाली जैसी ही महसूस होने लगीं. लोगों को लगने लगा कि उनके इमरजेंसी काम कैसे होंगे. लोगों को अपने बच्चे की स्कूल फीस, बिल, किसी परीक्षा या संस्थान की एडमिशन फीस जैसे बेहद जरूरी काम कैसे होंगे. उन्हें ज्यादा चिंता थी कि जिनकी अंतिम तारीख बुधवार या गुरुवार को ही समाप्त हो रही है, उनका क्या होगा.
कई पेट्रोल पंप हो गये बंद
बड़े नोट बंद होने के बाद शहर के छोटे पेट्रोल पंप रात साढ़े नौ बजे के बाद ही बंद हो गये. वहीं बड़े पेट्रोल पंपों पर 500 रुपये से कम के पेट्रोल नहीं मिल रहे थे. 10 बजे के बाद शहर के अधिकतर पेट्रोल पंप को बंद कर दिया गया. नतीजा परेशानियों का सामना करना पड़ा. सबसे अधिक उन गरीब तबके के लोगों को परेशानी हुई जिन्हें 50 से 100 रुपये का पेट्रोल लेना था. उन्हें बिना तेल लिये ही लौटना पड़ा.
हांफ गयीं शहर की एटीएम
आरबीआइ की गाइड लाइन आने के बाद रात 10 बजे के बाद शहर की अधिकतर एटीएम बंद हो गयी. वहीं कुछ एटीएम खुली भी थी, लेकिन पैसे खत्म हो गये थे. मंगलवार शाम को उपभोक्ता एटीएम कार्ड लेकर इस एटीएम से उस एटीएम भटकते रहे, लेकिन नोट नहीं निकल रहे थे. भीड़ का साइड इफैक्ट इतना हुआ कि शहर के कई एटीएम की कनेक्टिविटी भी गायब हो गयी. कई एटीएम से नोट नहीं निकल पाये. बुधवार को देश के बैंक और एटीएम सेवा बंद होने से परेशानी और बढ़ेगी.
होटल व दुकान बंद
नोट बंदी के एलान के बाद रात साढ़े नौ बजे के बाद ही शहर के अधिकतर होटल व कपड़ा दुकानें बंद हो गयीं. दरअसल, कई ऐसे लोग थे जिनके पास बड़े नोट थे. शहर के स्टेशन रोड पर कई दुकानों में हंगामा भी हुआ. दरअसल, होटल मालिकों ने रात को ही बड़े नोट लेने से मना कर दिया. ऐसे में कुछ ग्राहक ऐसे थे जो रात 12 बजे तक नोट चलने की बात कह रहे थे, लेकिन ग्राहकों के मना करने के बाद वह हंगामा करने पर उतारू हो गये. नतीजा परेशानियों का सामना करना पड़ा.
मरीजों की परेशानी बढ़ी
500 व एक हजार के बड़े नोट का असर शहर के प्राइवेट अस्पताल व दुकानों पर देखने को मिला. पीएम मोदी भले ही मरीजों के लिए नोट बदलने की समय सीमा बढ़ा दी हो. लेकिन शहर के अस्पताल व दवा दुकान उनके आदेश को ताक पर पहले दिन ही रख दिये. शहर के बोरिंग रोड व राजा बाजार में चल रहे कई ऐसे अस्पताल थे जो बड़े नोट के चलते मरीजों को भरती करने से इनकार कर दिया. कुछ ऐसे भी मरीज थे जिनके परिजन 500 व एक हजार रुपये नोट लेकर आये, अस्पताल प्रशासन ने भरती करने से मना कर दिया. हालांकि कुछ मरीज जब चेक दिये तो उन्हें भरती लिया गया. लेकिन बिना चेक वाले मरीजों को लौटना पड़ गया.
पत्नियों का कालाधन सामने
प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद बाजार तो बाजार घरों में भी खलबली मच गयी. पत्नियां पतियों से छुपा कर रखे नोटों को लेकर फिक्रमंद हो गयीं. वहीं पत्नियां जो पतियों की बेहद जरूरत की स्थिति में भी छुपाये नोट नहीं निकालती थीं, लेकिन जैसे ही उन तक बड़े नोटों के प्रचलन की खबर मिली वह झिझक के साथ अंत में पतियों के सामने अपने कालेधन की वह घोषणा कीं.
ध्वस्त होंगे भ्रष्टाचारियों के धंधे
बिहार में नकली नोटों का 40 हजार करोड़ और ब्लैक मनी का करीब एक लाख करोड़ का है सालाना कारोबार
कौशिक रंजन
पटना : देश में 500 और एक हजार रुपये के नोटों को बंद करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के साथ ही देश में ब्लैक मनी का पूरा कारोबार एकदम से ध्वस्त हो गया है. देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए आइएसआइ से लेकर भ्रष्टाचारियों और नशे के धंधेबाजों का ही पूरा नेटवर्क ही ध्वस्त हो गया है.
विशेषज्ञों के आकलन के अनुसार, देशभर में ब्लैक मनी का कारोबार देश की कुल जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का तीन गुना है. सिर्फ बिहार की बात करें, तो नकली नोटों का 40 हजार करोड़ से ज्यादा का साम्राज्य है और एक अनुमान के अनुसार, बिहार में करीब एक लाख करोड़ से ज्यादा की ब्लैक मनी का सालाना कारोबार है. इसमें हवाला के जरिये लेन-देन भी शामिल हैं.
बाहर नहीं आयी ब्लैक मनी
आयकर विभाग की तरफ से 30 सितंबर तक चलायी गयी आइटीडीएस (इनकम टैक्स डिक्लेरेशन स्कीम) में भी बिहार के लोगों ने खुलकर अपने यहां जमा ब्लैक मनी की घोषणा नहीं की थी.
इस स्कीम के माध्यम से लोगों के पास जो काला धन पड़ा है, उस पर 45 फीसदी टैक्स देकर टैक्स छाते में लाकर सफेद करने की सुविधा दी गयी थी. इसमें अपनी अघोषित आय को घोषित करने वालों के नाम और पत्ते को गुप्त रखा गया है. परंतु बिहार से 1200 लोगों ने एक हजार करोड़ से ज्यादा ब्लैक मनी ही सरेंडर किया था. विभागीय सूत्रों का कहना है कि यह घोषणा वास्तविक से कम है. इसका कम से कम पांच-छह गुना ब्लैक मनी की घोषणा होनी चाहिए थी. अब जिन लोगों ने अपनी आय की घोषणा नहीं की है, उनके ब्लैक मनी का अघोषित एकाउंट पूरी तरह से बंद हो गया है.
इन पर पड़ेगी सीधी मार
इस ब्लैक मनी में घूसखोरी, व्यवसायियों के अनएकाउंडेंट मनी से लेकर अन्य सभी संसाधनों के जमा किये हुए रुपये शामिल हैं. इसके अलावा नक्सलियों और अन्य आतंकी संगठनों या माफियाओं के जरिये जो भी नशीले पदार्थों मसलन अफीम, गांजा की खेती के अलावा अन्य तरह के ड्रग्स की तस्करी के धंधों से 500 करोड़ से ज्यादा का कारोबार करते हैं. इनका पूरा कारोबार ब्लैक मनी और खासकर बड़े नोटों के जरिये होता है. इनका पूरा कारोबार एक झटके में ही खत्म हो गया.
नेपाल व बांग्लादेश मुख्य रास्ता
बिहार में नकली नोटों की तस्करी का मुख्य रास्ता नेपाल और बांग्लादेश है. इसमें सबसे ज्यादा 500 और हजार के नोट ही होते हैं. नेपाल के साथ राज्य की करीब 127 थानों की सीमा सीधे तौर पर लगती है, जो करीब 500 किमी के आसपास है. इतनी बड़ी और खुली सीमा के जरिये कहीं से नकली नोट आते रहते हैं.
कई सुरक्षा और जांच एजेंसियां इनके बड़े खेपों को बीच-बीच में पकड़ती रहती है. ये नोट पाकिस्तानी खूफिया एजेंसी आइएसआइ के संरक्षण में छपकर आते हैं. बीच में आइबी को यह भी सूचना मिली थी कि नेपाल की राजधानी काठमांडू के पास ही एक बेहद आधुनिक प्रिंटिंग प्रेस में भारतीय नकली नोट छापे जाते हैं. बांग्लादेश से मालदा होते हुए बिहार में भी काफी बड़ी संख्या में नकली नोट आते हैं.
2016 के कुछ बड़े खुलासे
सितंबर 2016 को इनकम टैक्स विभाग की तरफ से चलाये गये ‘ऑपरेशन औरंगजेब’ के तहत शहर के क्रिश होटल समेत तीन बड़े व्यावसायिक ग्रुप के यहां छापेमारी की गयी थी, जिसमें 40 लाख कैश समेत अन्य सामानों के अलावा 40 करोड़ से ज्यादा के आयकर चोरी का मामला सामने आया था.
जनवरी में कोयला डेको ग्रुप ऑफ कंपनी के मालिक अशोक अग्रवाल के यहां छापेमारी में करीब 30 लाख रुपये कैश बरामद हुआ था.
नवंबर में शहर के 25 निजी स्कूलों के समूहों के यहां छापेमारी हुई थी, जिनके मालिकों के पास से 25 लाख से ज्यादा कैश बरामद किये गये थे.
नवंबर में ही राज्य के एटीएस (एंटी टेरोरेस्ट स्कॉयड) ने मालदा से करीब दो लाख के नकली नोट लेकर आ रहे दो अपराधियों को दबोचा था. इसमें सभी नोट 500 के थे.
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