पटना : बच्चों के दिल में अगर छेद है, तो इसमें परेशान होने की बात नहीं है. आइजीआइएमएस में बिना सर्जरी के ही बच्चों के दिल के छेद को बंद किया जायेगा. इसमें छह महीने से दो साल तक की उम्र के बच्चे शामिल हैं. अस्पताल प्रशासन दिल के छेद को सर्जरी की जगह क्लोजर डिवाइस की मदद से बंद करेगा. इस तकनीक से दिल के छेद को बंद करने से बच्चे को तकलीफ कम होती है और उसके शरीर से ज्यादा खून बहने का खतरा भी टल जाता है. अस्पताल प्रशासन दिसंबर से इस विधि का इस्तेमाल करने जा रही है. आइजीआइएमएस प्रदेश का पहला सरकारी अस्पताल होगा, जहां क्लोजर डिवाइस का प्रयोग किया जायेगा.
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बच्चों के दिल के छेद का बिना सर्जरी होगा इलाज
पटना : बच्चों के दिल में अगर छेद है, तो इसमें परेशान होने की बात नहीं है. आइजीआइएमएस में बिना सर्जरी के ही बच्चों के दिल के छेद को बंद किया जायेगा. इसमें छह महीने से दो साल तक की उम्र के बच्चे शामिल हैं. अस्पताल प्रशासन दिल के छेद को सर्जरी की जगह क्लोजर […]
इस तरह से होगी सर्जरी : छह माह से दो साल तक के बच्चों के दिल में छेद हैं, तो एेसे बच्चों का इलाज क्लोजर डिवाइस से किया जायेगा. इस तरह के छेद बिना सर्जरी के भी बंद होंगे. इसके लिए बच्चे की टांग की बड़ी नाड़ी के जरिये दिल के छेद तक एक डिवाइस भेजी जायेगी, जो जीवन भर उस छेद को बंद करके रखती है. इस तकनीक में एंजियोप्लाॅस्टी में काम आने वाले कैथेटर की मदद से बच्चे के हार्ट में डिवाइस को इंप्लांट कर दिया जायेगा. इसके लिए बच्चे को 10 से 15 दिनों तक अस्पताल में भरती नहीं रहना पड़ेगा. क्लोजर डिवाइस इंप्लांट करने के 5 दिनों बाद ही अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जायेगा. इसमें करीब 50 हजार रुपये खर्च होंगे.
क्या कहते हैं अधिकारी
पहले बच्चों के दिल में छेद के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती थी. लेकिन, अब इस तकनीक के इस्तेमाल से बच्चों की सर्जरी नहीं करना पड़ेगी. डिवाइस की मदद छेद को बंद कर दिया जाता है. इसमें जहां अधिक खून नहीं बहता, वहीं पांच दिनों के अंदर बच्चे को अस्पताल से छुट्टी मिल जायेगी.
डॉ बीपी सिंह, एचओडी हार्ट डिपार्टमेंट आइजीआइएमएस
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