पटना : 10 रुपये के सिक्के न बंद किये गये हैं और न ही बाजार में मौजूद ये सिक्के नकली हैं. यह महज अफवाह है.इसके मद्देनजर रिजर्व बैंक ने मंगलवार को सभी बैंकों को एक एडवाइजरी जारी की. इसमें कहा गया है कि वे बाजार या ग्राहक से 10 रुपये के सिक्के लेने या देने से मना नहीं करें. साथ ही लोगों को भी इस तरह के अफवाहों से बचने और जागरूक करने के लिए कहा गया है. रिजर्व बैंक का कहना है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय की तरफ से अभी तक 10 रुपये के सिक्के से संबंधित कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है.
बाजार में मौजूद 10 रुपये के जो भी सिक्के हैं, वे सब असली हैं. दोनों तरह की डिजाइनवाले सिक्के असली हैं. सिक्कों के संग्रहकर्ता अनिल सक्सेना ने भी इस बारे में प्रभात खबर को पूरा ब्योरा भेजा. रिटायर्ड बैंककर्मी श्री सक्सेना ने भी कहा कि जो सिक्के अभी बाजार में हैं, वे पूरी तरह असली हैं.
अलग-अलग समय में बने हैं ये सिक्के
दरअसल 10 रुपये के सिक्कों का चलन वर्ष 2005 से शुरू हुआ. वर्ष 2011 के पहले 10 रुपये के जो सिक्के बनाये गये थे, उनमें भारतीय मुद्रा का चिह्न (Rs ) नहीं हुआ करता था और इनमें 15 लकीरें या फुल हैं और 10 बीच के सफेद मेटल में छपा है.
लेकिन, इसके बाद के वर्षों में 10 रुपये के जो सिक्के तैयार किये गये, उनमें 10 लकीरें या फुल हैं और ‘रुपये’ का चिह्न (Rs ) मौजूद है. इसके अलावा 10 गोल्डन व सिल्वर दोनों हिस्सों में लिखा है. ऐसे में दोनों तरह के सिक्के असली हैं. 2011 के बाद 10 रुपये के सिक्कों में 10 धारियां इसलिए दी गयीं कि इन सिक्कों की पहचान वे व्यक्ति भी आसानी से कर सकें, जिनकी नजर बेहद कमजोर या दृष्टिहीन हैं. इसका अन्य कोई कारण नहीं है.
मुद्रा लेने से मना करना इसका अपमान
असली भारतीय मुद्रा को लेने से मना करना इसका अपमान करना है. ऐसे लोगों पर भारतीय मुद्रा का बहिष्कार करने के आरोप में कार्रवाई भी की जा सकती है. इसके आरोपित ऐसे लोगों पर जुर्माने के साथ सजा भी हो सकती है. लोग चाहें, तो इसकी शिकायत डीएम से कर सकते हैं. सीतामढ़ी जिले में डीएम ने ऐसे कुछ मामले दर्ज कर कार्रवाई की है.
10 पट्टियां, रुपये का साइन भी
भारत व इंिडया अलग-अलग िलखा है,
10 गोल्डन व िसल्वर दोनों िहस्से में िलखा है
15 पट्टियां, रुपये का साइन भी
10 के नीचे रुपये िलखा हुआ है
10 िसर्फ बीच में िसल्वर वाले िहस्से में िलखा है