पटना : लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा पर इस वर्ष एक महासंयोग भी बन रहा है. इस बार छठ व्रत के करने से व्रतियों को विशेष स्वास्थ्य लाभ, धन-संपत्ति के अलावा उनके सर्वांगिण विकास में सहायक है. राष्ट्रलहरी (मौलिक संस्कृत काव्य) व कर्मकांड के लेखक दामोदर दत्त मिश्र ‘प्रसून’ के मुताबिक इस बार छठ व्रत पर विशेष योग बन रहा है. उनके मुताबिक यह वर्षों बाद खासतौर पर 12 वर्षों के बाद बना है. उन्होंने प्रभात खबर को बताया कि कार्तिक शुक्ल षष्ठी को यह खास योग बन रहा है. इतना ही नहीं पहला अर्ध्य रविवार को होने और चंद्रमा के गोचर में रहने से सूर्य का आनंद योग बन रहा है. उन्होंने बताया कि ऐसे योग बनने से वर्षों से चली आ रही किसी व्यक्ति की स्वास्थ्य समस्या का निदान हो सकता है. इस योग में स्वास्थ्य लाभ तो मिलेगा ही साथ ही उसे अन्य क्षेत्रों में भी लाभ की प्राप्ति होगी.
सूर्य पुत्र ने किया था इस संयोग में छठ व्रत
दामोदर दत्त मिश्र ‘प्रसून’ ने बताया कि वस्तुतः सूर्य को स्वास्थ्य और अन्य आयामों का नायक माना जाता है. सूर्य का संबंध स्वास्थ्य से ही होता है. सूर्य की अाराधना के लिये छठ पर्व और यह संयोग पूरी तरह सर्वोपरि है. उन्होंने बताया कि सूर्य पुत्र सांब ने इस व्रत को करने के बाद कुष्ठ रोग से छुटकारा पाया था. पौराणिक मान्यता के अनुसार सूर्य पुत्र कुष्ठ रोग से पीड़ित थे. उन्होंने छठ व्रत के इसी संयोग पर सूर्य की अाराधना के लिये शाक्यद्वीपीय ब्राह्मणों को बुलाया. उन्होंने मनोयोग से सूर्य के लिये अनुष्ठान किया. सूर्य पुत्र ने जहां-जहां इस अनुष्ठान को कराया वहां-वहां सूर्य मंदिर का निर्माण कराया. उन्होंने बताया कि जहां भी उन्होंने सूर्य मंदिर बनाया उसके आगे देव लगाया. जैसे-देव मूंगा, देव चंदा, देव पड़सर और देवढ़िया इसमें प्रमुख है. इस बार का छठ व्रत उसी संयोग के बराबर फलदायक है. इस साल का छठ विशेष प्रभावशाली है.
धन-संपत्ति में होगी वृद्धि
लोक आस्था के इस महापर्व पर इस बार मां लक्ष्मी की अद्भूत कृपा बरसने का संयोग भी बन रहा है. जानकारों की माने तो व्रतियों पर कृपा बरसेगी और उनकी संपत्ति में खूब वृद्धि होगी. चंद्रमा से केंद्र में रहकर मंगल के उच्च होने और स्वराशि में होने से पवित्र संयोग बनेगा. महापर्व में चार नवंबर को नहाय खाय के साथ शुरू होगा और 5 नवंबर को खरना होगा. जबकि छह नवंबर को संध्या का अर्ध्य दिया जायेगा वहीं प्रातःकालिन अर्ध्य 7 नवंबर को दिया जायेगा. सांध्यकालिन अर्ध्य के लिये 5.10 बजे शुभ समय है. प्रातःकालिन अर्ध्य 6.13 बजे दिया जायेगा. इस बार सभी राशियों पर इस व्रत का व्यापक और लाभदायक प्रभाव पड़ेगा.
राष्ट्रलहरी (मौलिक संस्कृत काव्य) व कर्मकांड के लेखक दामोदर दत्त मिश्र ‘प्रसून’ से बातचीत पर अधारित