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नि:संतान दंपती के घर किलकारी
वैसे दंपती जो वैवाहिक जीवन बिताने के बाद भी बच्चे की किलकारियों की गूंज से मरहूम हैं. वे कानूनी प्रक्रिया के तहत बच्चे को गोद ले सकते हैं. उन्हें बच्चे को लेकर निराश और हताश होने की जरूरत नहीं. जी हां, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से देश भर में दत्तक ग्रहण संसाधन […]
वैसे दंपती जो वैवाहिक जीवन बिताने के बाद भी बच्चे की किलकारियों की गूंज से मरहूम हैं. वे कानूनी प्रक्रिया के तहत बच्चे को गोद ले सकते हैं. उन्हें बच्चे को लेकर निराश और हताश होने की जरूरत नहीं. जी हां, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से देश भर में दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण केंद्र का संचालन किया जा रहा है. इसके जरिये कोई भी नि:संतान दंपती या सिंगल पैरेंट कानूनी प्रक्रिया के तहत बच्चा गोद ले सकते हैं.
वर्ष 2007 से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से प्रत्येक जिले में समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण की स्थापना की गयी है. इसके तहत वैसे बच्चे, जाे अनाथ और बेसहारा हैं. उन्हें सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एजेंसी में रखा जाता है. इन केंद्रों पर जीरो से छह वर्ष के बच्चों को कोई भी नि:संतान दंपती कानूनी प्रक्रिया के तहत गोद ले सकते हैं. इतना ही नहीं दंपती 18 वर्ष के बच्चों को भी गोद ले सकते हैं.
ऐसे करें आवेदन : इसके लिए कोई भी नि: संतान दंपती राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन केंद्र (कारा) की वेबसाइट www.cara.nic.in पर पैन नंबर के साथ ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. आवेदन करने के बाद वे दत्तक ग्रहण में रजिस्टर्ड हो जायेंगे. इसके बाद 30 दिनों के भीतर सारे दस्तावेज ऑनलाइन दर्ज कराने होंगे. इसके बाद दत्तक ग्रहण केंद्र के सामाजिक कार्यकर्ता होम विजिट करेंगे. यदि भावी माता-पिता सही पाये गये, तो स्वीकृति प्रदान की जायेगी.
इन्हें मिल सकेगा बच्चा : बच्चा देने से पूर्व अभिभावकों की सेहत की जांच की जाती है. दंपती के शारीरिक परीक्षण एवं अध्ययन रिपोर्ट पर ही बच्चा देने की प्रक्रिया पूरी की जाती है. इसके लिए दंपती कम से कम दो वर्ष से खुशहाल वैवाहिक जीवन बिता रहे हों. साथ ही बच्चे का लालन-पालन के लिए पर्याप्त संसाधन हों. एजेंसी में रह रहे बच्चे का मैचिंग कराया जाता है. बच्चे का मिलान माता-पिता के साथ होने पर ही बच्चा देने की प्रक्रिया पूरी की जाती है.
पंजीकृत एजेंसी ही है मान्य : बिहार में कई पंजीकृत एजेंसी काम कर रही है. इनमें पटना में दो, नालंदा, भागलपुर, सारण, दरभंगा, सहरसा, गया व मुजफ्फरपुर में दत्तक ग्रहण एजेंसी संचालित है. इन केंद्रों से कोई भी नि:संतान दंपती जीरो से छह वर्ष के बच्चे को गोद ले सकते हैं. अब तक कुल 388 बच्चे गोद लिये गये हैं. राज्य सरकार एजेंसी में रह रहे हर बच्चों को खाने-पीने के लिए दो हजार रुपये दे रही है.
साथ ही स्पेशल नीड के बच्चों को व अन्य सुविधाओं के लिए भी राशि दी जायेगी.
स्वीकृति मिलने के बाद तीन बच्चों का विवरण भेजा जाता है. इनमें से 48 घंटे के अंदर एक बच्चा पसंद करना होगा.बच्चा मिलान प्रक्रियाओं को 15 दिनों के अंदर पूरी कर गोद देने की स्वीकृति दी जाती है. उस तिथि से दस दिनों के भीतर बच्चे को पूर्व देखरेख के लिए भावी अभिभावक को सौंपा जाता है. इसके बाद कोर्ट के आदेश पर बच्चा अभिभावक को दिया जाता है.
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