पटना: सूबे में रासायनिक खादों का उपयोग कम कर ही मिट्टी को बचाया जा सकता है. तभी उत्पादन भी बढ़ेगा और बीमारी से मुक्त फल, सब्जी और अनाज हमें मिल सकेगा. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने राज्य के किसानों से यह अपील की. शुक्रवार को ग्रीन पीस इंडिया की कार्यशाला में उन्होंने कहा कि बिहार पिछले दो सालों से गेहूं और धान उत्पादन में देश में अव्वल रहा है, लेकिन ये तभी तक संभव है जब तक मिट्टी स्वस्थ है. मिट्टी की सेहत बनी रहे, इसके लिए हमें जैविक खेती की विधि को अपनाना होगा.
कृषि मंत्री ने कहा कि रासायनिक खादों से उपजे सब्जी और अनाज खाकर आधे से ज्यादा लोग बीमार हो रहे हैं. विश्वयुद्ध के समय सबसे पहले रासायनिक पदार्थो का उपयोग बम बनाने के लिए किया जाता था, लेकिन जब युद्ध खत्म हुआ तो इसे खाद के रूप में दुनिया के सामने लाया गया.
नरेंद्र सिंह ने खेती को लाभकारी ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जीवन से भी जोड़ने पर बल दिया. उन्होंने ग्रीन पीस संगठन से गांवों में कैंप के जरिये किसानों को जागरूक करने की भी अपील की. इसके लिए उन्होंने सरकारी मदद देने की भी बात कही.
इस मौके पर मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार मंगला राय ने कहा कि मिट्टी की उर्वरक क्षमता रासायनिक की जगह जैविक खादों से ही बढ़ायी जा सकती है. आज जो फसल खेतों में बच जा रहा है, उसे हम खेत में ही जला देते हैं. इससे फसल के लिए उपयोगी मिट्टी के जीवाणु भी जल जाते हैं और इसका सीधा प्रभाव उत्पादन पर पड़ता है.
मंगला राय ने गांवों में होने वाले बायोमास का उपयोग करने पर भी जोर दिया. इस मौके पर ग्रीन पीस के कैंपेनर इश्तियाक अहमद ने बायोगैस और इको कुक स्टोव अपनाने पर जोर दिया. इस मौके पर ऊर्जा मंत्रलय के पूर्व बायो एनर्जी सलाहकार डा ए आर शुक्ला, आइसआरआइएसएटी के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डा ओ पी रुपेला, एससीओपीइ, त्रिचुर के निदेशक सुब्बुरमण और बिहार के कृषि विशेषज्ञ डा अनिल कुमार झा ने सरकार से बिहार की मिट्टी को नया जीवन देने और उन्नत खेती के लिए बायोमास रणनीति तैयार करने की अपील की.
कार्यशाला में एकलव्य प्रसाद, अनिंदो बनर्जी, सिस्टर सुधा वर्गीज, प्रकाश गार्डिया, प्रदीप प्रियदर्शी, विजय कुमार समेत जमुई-नालंदा के किसानों ने भी अपने विचार रखे.