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सफलता शराबबंदी की : कहानी सुपौल से

अब शाम को अरुण को ढूंढ़ने नहीं जाती है उसकी बूढ़ी मां बअरुण के बूढ़े माता-पिता खुश हैं. अरुण की पत्नी की चिंता खत्म हो गयी है, तो अरुण का स्वास्थ्य भी सुधर गया है. छह माह पहले एेसी बात नहीं थी. जिला मुख्यालय के वार्ड नंबर 17 के निवासी महादेव साह के 26 वर्षीय […]

अब शाम को अरुण को ढूंढ़ने नहीं जाती है उसकी बूढ़ी मां
बअरुण के बूढ़े माता-पिता खुश हैं. अरुण की पत्नी की चिंता खत्म हो गयी है, तो अरुण का स्वास्थ्य भी सुधर गया है. छह माह पहले एेसी बात नहीं थी. जिला मुख्यालय के वार्ड नंबर 17 के निवासी महादेव साह के 26 वर्षीय अरुण नशे का आदि था. शाम होते ही अरुण की बूढ़ी मां बेटे को ढूंढ़ने निकल पड़ती थी कि न जाने कहां होगा. अब स्थिति बदल गयी है. सूर्य ढलने के साथ ही अरुण अपने घर पूरे होशो-हवास में पहुंच जाता है. अल्प आमदनी वाले अरुण को उसके पिता महादेव साह ने पांच साल पहले जैसे-तैसे जोड़ कर कुछ पैसे दिये और अपने दरवाजे पर ही जेनरल स्टोर की छोटी सी दुकान शुरू करायी, लेकिन शराब के नशे का आदी होने के बाद अरुण की वह दुकान धीरे-धीरे बंद हो गयी.
तब जाकर वह दूसरे के दुकान पर काम करने लगा. नशेड़ी का ठप्पा लगा रहने के कारण अरुण अपने परिवार से लेकर समाज तक का भरोसा खो चुका था. लेकिन, शराबबंदी कानून में अरुण के सामने जीवन को एक बार फिर नये तरीके से शुरू करने का मौका लाकर खड़ा कर दिया. अब पड़ोसी कहते हैं कि वह पहले से ज्यादा तंदुरुस्त हो गया. अरुण की मां और पत्नी मोनी देवी बताती है कि अब अरुण किसी प्रकार का नशा नहीं कर रहा है. बस बेरोजगार रहने के कारण परेशान है. शराबबंदी से सबसे ज्यादा खुशी महिलाओं मे देखी जा रही है़
खास कर शराब की लत मे डूब चुके लोगों के परिजनों मे सुकून का एहसास है़ कई महिलाओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना करते कहा कि उन्होंने उनका घर बरबाद होने से बचा लिया़ उन्होंने कहा कि शराब की वजह से उनका घर-बार चौपट हो रहा था़
घर की सारी कमाई शराब की भट्ठियों मे जा रही थी़ जिसके कारण परिवार के सदस्यों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा था़ घर की महिलाओं को हर दिन शराबियों की प्रताड़ना का शिकार भी होना पड़ता था़ महिलाओं को अपने बच्चों की शिक्षा व उनके भविष्य की चिंता सता रही थी़ शराबबंदी से आम महिलाओं मे भी हर्ष का माहौल व्याप्त है़ उनका कहना है शराबियों की वजह से पहले उन्हें खास कर शाम होने के बाद बाजार निकलने मे भय लगता था़ शराबबंदी के बाद बाजार के बदले माहौल से उनमें अब सुरक्षा का भाव उत्पन्न होने लगा है़ आम जिला वासी भी शराबबंदी को सरकार की बेहतर पहल मान रहे हैं.

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