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राजवल्लभ यादव की बेल में सरकार ने की मदद : मोदी
पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया है कि महागंठबंधन धर्म का पालन कर जिस तरह से सरकार ने मो. शहाबुद्दीन को जेल से बाहर निकाला था, ठीक उसी तरह नाबालिग से रेप के आरोपित राजवल्लभ यादव को बेल दिलाने में मदद की. उन्होंने सवालिया लहजे में […]
पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया है कि महागंठबंधन धर्म का पालन कर जिस तरह से सरकार ने मो. शहाबुद्दीन को जेल से बाहर निकाला था, ठीक उसी तरह नाबालिग से रेप के आरोपित राजवल्लभ यादव को बेल दिलाने में मदद की. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि नीतीश कुमार बतायें कि क्या एनडीए की सरकार के दौरान बोधगया में एक जापानी लड़की के बलात्कारी टेंपू चालक को मात्र 15 दिन के अंदर सजा नहीं दी गयी थी.
सात महीने बाद भी राजवल्लभ को सजा देना तो दूर,आखिर उसकी बेल कैसे हो गयी. मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार बतायें कि 6 फरवरी, को बलात्कार की घटना घटी तो फिर एफआइआर दर्ज करने में तीन दिन क्यों लगा. राजवल्लभ को गिरफ्तार नहीं कर फरार होने का मौका क्यों दिया गया.
पीड़िता की जांच एकल डॉक्टर से क्यों करायी गयी और 9 दिन बाद मेडिकल बोर्ड के गठन का क्या औचित्य था. पीड़िता के बारे में अपमानजनक और आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाली महिला डॉक्टर को डीएम की अनुशंसा के बावजूद निलंबित क्यों नहीं किया गया.
गिरफ्तारी के लिए कुर्की-जब्ती का आदेश लेने में पुलिस को 21 दिन क्यों लगा. पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राजवल्लभ के घर की जांच करने गयी फोरेंसिक टीम को जांच से रोकने व भगाने वाले उसके समर्थकों पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई. घटना के 20 दिन बाद दोबारा फोरेंसिक जांच का यह परिणाम नहीं हुआ कि जब्त कपड़ों से कोई सबूत नहीं मिला है.
और उसमें डिटरजेंट की गंध आ रही थी. दिखावे के लिए राजवल्लभ को पार्टी से निलंबित करने वाला राजद उसके पक्ष में बयानबाजी करने वाले रजौली के विधायक प्रकाश वीर और नवादा के अध्यक्ष महेन्द्र यादव के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं किया.
मोदी बताएं मोतिहारी में विवि की नींव किसकी जमीन पर पड़ी : संजय
जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा कि केंद्र के मंत्री और और केंद्र की सरकार अहंकार के मद में डूबी हुई है. केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री बिहार आये और केंद्रीय विश्वविद्यालय की शैक्षणिक सत्र की शुरुआत की, लेकिन बिहार सरकार के एक भी व्यक्ति को इन्होंने निमंत्रण नहीं दिया.
यहां तक की बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री को भी नहीं बुलाया. सुशील मोदी बताये कि मोतिहारी में इस विश्वविद्यालय की नींव किसकी जमीन में पड़ी है. क्या ये शोभा देता है कि किसी के घर में आकर इस तरह से व्यवहार किया जाये. केंद्र सरकार अहंकार में डूबी हुई है. इनके नेताओं को लोक-लज्जा से कोई लेना देना नहीं है.
अहंकार ही इसके पतन का सबसे बड़ा कारण भी बनेगा. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना गुनाह है क्या? नीतीश कुमार जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, वो हर जगह प्रचार करने जायेंगे, इसमें गलत क्या है? देश में अब नीतीश कुमार काफी लोकप्रिय हो चुके हैं.
तभी तो नीतीश कुमार कहीं जाते हैं तो लोग उन्हें हाथों हाथ लेते है. लोकतंत्र में जीत हार तो लगी रहती है, लेकिन उससे भी बड़ी बात है कि लोकहित के मसले को कौन समझता है और उसे कौन लागू करता है. नीतीश कुमार एक बेहतर प्रशासक है और अपने शर्तो पर काम करते हैं. सुशील मोदी जो भी बयान दे रहे हैं, उसमें उनका भय दिख रहा है. वो आज से ही इस बात से परेशान हो गये हैं कि जो भाजपा ने 2014 में खूंटा गाड़ा था वो 2019 तक उखड़ जायेगा.
नीतीश कुमार के प्रभाव और राजनीतिक शक्ति से भलीभांति अवगत भाजपा के लोग इस बात से भी चिंतित है कि नीतीश कुमार जो एक बार किसी चीज को चाह लेते है उसे पा ही लेते हैं. संजय सिंह ने कहा कि भाजपा को नीतीश कुमार के प्रभाव का अंदाजा तो बिहार के चुनाव में ही लग गया होगा, जब उनके सारे रणबांकुड़े बिहार के मैदान में धाराशायी हो गये. बिहार के चुनाव में भाजपा ने तारे जमीन पर उतारे थे. हर स्तर पर अपनी रणनीति के तहत केंद्रीय नेताओं से लेकर बॉलीवुड के कलाकारों तक को बिहार की जनता को रिझाने के लिए भाजपा ने दम खम लगा दिया था.
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