सरकार ने दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाते हुए फिर से सात नवंबर 2014 को राज्य में सभी तरह के पान मशाला, सभी तरह के जर्दा और सभी तरह के सुगंधित तंबाकू के उत्पादन और बिक्री पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया. पटना हाइकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए 19 जुलाई, 2016 को सरकार के आदेश को स्थगित कर दिया.
इस मामले पर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. मामले की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को राज्यों को आदेश निर्गत किया है. सीड्स के कार्यपालक निदेश दीपक मिश्रा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय स्वागत योग्य है. इससे आम जनता के स्वास्थ्य को होनेवाले नुकसान को रोका जा सकता है. बिहार जैसे राज्य में कुल 54 प्रतिशत लोग सभी तरह के तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं. इसमें 47 फीसदी बिहारी गुटखा,खैनी और जर्दा जैसे उत्पादों को खाद्य पदार्थ के रूप में प्रयोग करते हैं.