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प्लास्टिक के कैरी बैग का व्यापार करने के पहले अब रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी
प्रबंधन में बेहतर कार्य करनेवाले नगर निकाय होंगे पुरस्कृत पटना : अपशिष्ट प्लास्टिक प्रबंधन नियमावली के अनुसार पॉलीथिन विक्रेता, वितरक और फुटकर आदि सभी दुकानदारों को अब प्लास्टिक के कैरी बैग के इस्तेमाल या व्यापार करने से पहले संबंधित नगर निकाय में रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके लिए मासिक शुल्क चार हजार और वार्षिक 48 हजार […]
प्रबंधन में बेहतर कार्य करनेवाले नगर निकाय होंगे पुरस्कृत
पटना : अपशिष्ट प्लास्टिक प्रबंधन नियमावली के अनुसार पॉलीथिन विक्रेता, वितरक और फुटकर आदि सभी दुकानदारों को अब प्लास्टिक के कैरी बैग के इस्तेमाल या व्यापार करने से पहले संबंधित नगर निकाय में रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके लिए मासिक शुल्क चार हजार और वार्षिक 48 हजार रुपये देने होंगे. नये प्रावधान के तहत शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी यह नियम लागू होगा. इसकी जिम्मेवारी नगर निगम, नगर पर्षद, नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों को दी गयी है. ये बातें बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की ओर से ठोस व प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन विषय पर बेली रोड स्थित अरण्य भवन में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में कही गयीं. मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में बेहतर कार्य करनेवाले नगर निकायों को नगर विकास विभाग की ओर से पुरस्कृत किया जायेगा.
उन्होंने कहा कि इससे संबंधित सभी निकायों को अपने-अपने इलाकों में उत्पन्न कचराें का निपटान भी करना होगा. निकाय ऐसे कचरों का खाद के रूप में प्रयोग कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण पर्षद में आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन की गयी है. पर्यावरण व वन विभाग के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत वैधानिक दायित्वों का पालन नहीं करनेवालों पर सख्ती की जायेगी.
धारा 15 के तहत पांच वर्ष का कारावास व एक लाख तक जुर्माना भी देना होगा. सचिव एस चंद्रशेखर ने कहा कि प्रशिक्षण के जरिये नगर विकास विभाग के साथ-साथ नगर निगम व स्वयंसेवी संस्थाओं को मिल कर काम करना होगा. कचरों के वर्गीकरण के मुताबिक चार अलग-अलग थैलों में उसे रखा जाना है. वैज्ञानिक पदाधिकारी डाॅ नवीन
कुमार ने बताया कि नये नियमावली के अनुसार 50 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक है. मौके पर नगर विकास विभाग के
प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद, पर्यावरण व वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक डॉ डीके शुक्ला, वैज्ञानिक एसएन जायसवाल, सहायक वैज्ञानिक पदाधिकारी अरुण कुमार व जनसंपर्क पदाधिकारी विरेंद्र कुमार समेत अन्य मौजूद थे.
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