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कजरा और पीरपैंती बिजली घर निर्माण का करार खत्म
परेशानी. 85% बिजली मिलनी थी बिहार को, केंद्र ने नहीं दी मंजूरी कजरा व पीरपैंती में 1320-1320 मेगावाट क्षमता वाले ताप बिजलीघर का निर्माण प्रस्तावित है. दोनों ही जगहों पर दो-दो यूनिट का िनर्माण होना है. पटना : सूबे के कजरा और पीरपैंती में प्रस्तावित ताप बिजलीघर के मामले में केंद्र का रवैया उदासीनता वाला […]
परेशानी. 85% बिजली मिलनी थी बिहार को, केंद्र ने नहीं दी मंजूरी
कजरा व पीरपैंती में 1320-1320 मेगावाट क्षमता वाले ताप बिजलीघर का निर्माण प्रस्तावित है. दोनों ही जगहों पर दो-दो यूनिट का िनर्माण होना है.
पटना : सूबे के कजरा और पीरपैंती में प्रस्तावित ताप बिजलीघर के मामले में केंद्र का रवैया उदासीनता वाला है. इन दोनों घरों से 85 फीसदी बिजली बिहार को मिलनी है. केंद्रीय कैबिनेट ने अब तक इन दोनों बिजलीघरों पर अपनी सहमति नहीं जतायी है. बिजलीघर के लिए एनटीपीसी और एनएचपीसी से हुआ एमओयू की अवधि फरवरी में ही समाप्त हो गयी है. लखीसराय के कजरा और भागलपुर के पीरपैंती में 1320-1320 मेगावाट क्षमता वाले ताप बिजली घर का निर्माण प्रस्तावित है. दोनों जगह 660-660 मेगावाट के दो-दो यूनिट बनाने का प्रस्ताव है. बीच में इसकी क्षमता को बढ़ाने पर भी चर्चा हुई थी.
कजरा और पीरपैंती में प्रस्तावित ताप बिजलीघरों के निर्माण के मामले में केंद्र उदासीन बना हुआ है. पीरपैंती बिजली घर के मामले में बिहार पावर प्रोजेक्ट इनवेस्टमेंट के प्रस्ताव पर सहमति जता दी है. दोनों बिजलीघरों के लिए देवचा पश्चिमी कोल ब्लाॅक से कोयला आवंटित किया गया है. बिजली घर के निर्माण के लिए दोनों जगह पर जमीन का अधिग्रहण भी लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन पाॅल्यूशन क्लीयरेंस का मामला फंस गया है. राज्य में बिजली की खपत तेजी से बढ़ रही है. केंद्र से आवंटित पूरी बिजली मिलती नहीं है. खुले बाजार से बिजली खरीदनी पड़ रही है.
राज्य में आधा दर्जन से अधिक विद्युत परियोजना पर काम चल रहा है. बांका, कजरा और पीरपैंती में नया बिजलीघर बनना है. चौसा में निर्माण कार्य शुरू हो गया है, जबकि कांटी, बरौनी. बाढ़ और नवीनगर में निर्माण और जीर्णोद्धार का काम चल रहा है. आनेवाले तीन सालों में इन बिजली घरों से सातों दिन और 24 घंटे बिजली मिलेगी, साथ ही कृषि के लिए अलग से बिजली आपूर्ति शुरू हो जायेगी, तो बिजली की खपत करीब 10 हजार मेगावाट तक हो जायेगी. मालूम हो कि पीरपैंती के लिए एनएचपीसी और कजरा के लिए एनटीपीसी से 22 फरवरी, 2014 को दो साल के लिए एमओयू हुआ था. 22 फरवरी को ही दो साल की अवधि पूरी हो गयी. अवधि विस्तार के लिए बिहार प्रयास कर रहा है, लेकिन अब तक मामला लटका हुआ है.
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