पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने बिहार में शराबबंदी के पूरी तरह विफल होने का दावा करते हुए आरोप लगाया कि जनता और विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त होने के बावजूद प्रदेश की नीतीश कुमार सरकार में इसे लागू करने को लेकर इच्छाशक्ति नहीं है. यहां आज पत्रकारों से सुशील ने बिहार में शराबबंदी के पूरी तरह विफल होने का दावा किया और इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही आरोप लगाया कि इसे लागू करने लिए बनाए गए कड़े कानून के कारण सरकार विभिन्न हलकों के दबाव के आगे घुटने टेक दिए हैं.
पुलिस के दबाव में सरकार-मोदी
उन्होंने आरोप लगाया कि शराबबंदी को लागू करने में लापरवाही बरतने पर सरकार ने सरकार ने 11 थाना अध्यक्षों को निलबिंत कर दिया था और कहा था कि उन्हें प्रोन्नति नहीं मिलेगी तथा 10 वर्ष तक किसी थाने में पदस्थापित नहीं किया जाएगा. मगर पुलिस संघ के दबाब में सरकार को एएचओ के खिलाफ निलंबन वापस लेना पड़ा. सुशील ने आरोप लगाया कि सरकार ने 11 गांवों पर सामुहिक जुर्माना लगाना का तय किया था. नोटिस देने के बाद भारी विरोध के कारण कहीं भी जुर्माना नहीं लगा सकी. औरंगाबाद, गया, नालंदा, खगड़िया, बेतिया, गोपालगंज, सारण सहित 7 स्थानों पर 50 से ज्यादा लोग जहरीली शराब से मर चुके है. मगर गोपालगंज छोड़कर कहीं भी मुआवजा राशि नहीं दी गयी है.
जदयू नेता को बचाने के लिये प्रधान सचिव कुर्बान-मोदी
बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील ने शराबबंदी कानून के कथित दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कहा कि पटना के होटल पनास में पकडे गये सभी व्यापारियों के खून नमूने में एल्कोहल नहीं पाया गया. उन्होंने हरनौत जदयू प्रखंड अध्यक्ष के मामले का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि उन्हें बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने के. के. पाठक को कुर्बान कर दिया. सुशील ने आरोप लगाया कि हरनौत जदयू प्रखंड अध्यक्ष के मामले में सूचक और उत्पाद अवर निरीक्षक को गिरफ्तार किये जाने से नाराज और अवकाश पर चले गए उत्पाद विभाग के प्रधान सचिव के के पाठक को मनाने के बजाए उनका स्थानांतरण कर दिया गया.
बिहार में 50 फीसदी भी शराबबंदी लागू नहीं-मोदी
सुशील ने कहा कि के. के. पाठक जैसे अधिकारी भी अपने कार्यकाल में शराबबंदी 50 प्रतिशत भी लागू नहीं करा पाए और उनके हटने के बाद बिहार में शराबबंदी पूर्णतया विफल और छापेमारी, गिरफ्तारी आदि पूरी तरह से शिथिल हो गई है. पाठक का तबादला किए जाने के बाद उत्पाद विभाग का प्रभार गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी को सौंपे जाने के बारे में सुशील ने कहा कि उनके पास आधे दर्जन महत्वपूर्ण विभाग का प्रभार है. वे बिहार में शराबबंदी लागू कराने में सक्षम नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की जब नेपाल के प्रधानमंत्री से मुलाकात हुई उस समय उन्होंने नेपाल से बड़े पैमाने पर आने वाली अवैध शराब रोकने के लिए क्यों नहीं बात की. सुशील ने पूछा कि अभी तक कांग्रेस शासित राज्यों में शराबबंदी लागू कराने के लिए नीतीश कुमार ने क्यों नहीं दौरा किया?