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15 माह में साइबर क्राइम चौगुना

चुनौती. सूबे में तेजी से बढ़ रहा अपराध, मुंगेर, बिहारशरीफ व जमुई हैं अड्डे विजय सिंह पटना : साइबर क्राइम बिहार में तेजी से बढ़ा रहा है. 2014 व 2015 में जहां क्रमश: 139 व 242 साइबर क्राइम दर्ज किये गये थे, वहीं इस साल के पहले तीन माह में ही 307 मामले दर्ज किये […]

चुनौती. सूबे में तेजी से बढ़ रहा अपराध, मुंगेर, बिहारशरीफ व जमुई हैं अड्डे
विजय सिंह
पटना : साइबर क्राइम बिहार में तेजी से बढ़ा रहा है. 2014 व 2015 में जहां क्रमश: 139 व 242 साइबर क्राइम दर्ज किये गये थे, वहीं इस साल के पहले तीन माह में ही 307 मामले दर्ज किये गये हैं.
और खास बात यह है कि अधिकतर साइबर क्राइम मुंगेर, जमुई व बिहारशरीफ से लिंक हैं. इन जिलों के तार साइबर क्राइम का बड़ा अड्डा बन चुके झारखंड के जामताड़ा से जुड़ चुके हैं. जामताड़ा गैंग एटीएम धारकों को फंसाने के लिए जिन सिमकार्ड का यूज हो रहा है, उन सभी का ऑनरशिप बिहारशरीफ के नूरसराय का है. भागलपुर पुलिस ने कुछ नंबरों की जांच की है. मोबाइल नंबर 8298299675 की जब जांच की गयी, तो पता चला कि सिमकार्ड शिशुपाल कुमार के नाम से है. वह अजयपुर, नूरसराय का रहनेवाला है.
लेकिन, पुलिस जब उस स्थान पर पहुंची, तो न तो शिशुपाल मिला और न ही रिटेलर. जांच में सारे नंबर नूरसराय के निकले हैं. साइबर क्राइम का आंकड़ा 15 महीने में चार गुना हो गया है. वर्ष 2014 में 139 मामले दर्ज हुए थे, जो अगले 15 महीनों (जनवरी, 2015 से मार्च, 2016 तक) में बढ़ कर 549 हो गया. इस तरह जहां वर्ष 2014 में प्रति माह करीब 11 मामले दर्ज हो रहे थे, वहीं अगले 15 महीने में यह आंकड़ा प्रति माह 37 तक पहुंच गया.
भागलपुर पुलिस ने एक को भेजा था जेल
भागलपुर के बबरगंज पुलिस ने अप्रैल, 2016 में जामताड़ा से एक युवक को गिरफ्तार किया था. पकड़े गये युवक ने कम समय में फर्जीवाड़ा गैंग से जुड़ कर अकूत संपत्ति बना ली है.
उसके पास आलीशान मकान व अन्य सुविधाएं देख कर पुलिस दंग रह गयी थी. हालांकि, पूछताछ में पुलिस उससे कुछ उगलवा नहीं पायी और जेल भेज दिया. साक्ष्य के अभाव में उसे जमानत भी मिल गयी, लेकिन पुलिस की पड़ताल अब भी जा रही है. जामताड़ा इलाके के मोबाइल फोन टावर मैपिंग से पता चला है कि इस पिछड़े इलाके में लगातार देश के सभी कोने में लगातार बात हाे रही है. पुलिस और भी इनपुट जुटा रही है. नूरसराय की जांच की जा रही है. जल्द ही मामले का खुलासा हो जायेगा.
बृजनंदन की एटीएम का सीसीवी नंबर पूछ कर निकाले पैसे
मूल रूप से बक्सर के गोपालनगर चकिया के रहनेवाले बृजनंदन चौधरी कतर में रहते हैं. उन्होंने फोन पर बताया कि बक्सर के नयी बाजार में एसबीआइ में उनका और उनकी पत्नी के नाम से ज्वाइंट एकाउंट है. उनकी पत्नी के पास मंगलवार को साइबर क्रिमिनल ने फोन किया और एटीएम का कार्ड नंबर और सीसीवी नंबर पूछ लिया. इसके बाद उनके खाते से छह हजार रुपये की निकासी हो गयी है.
राजस्थान से आर्मी मैन ने किया फोन, हुई ठगी
महाराष्ट्र के रहनेवाले पाटील राजस्थान के बीकानेर में आर्मी में पोस्टेड हैं. महाराष्ट्र में ही उनका और उनकी पत्नी के नाम से ज्वाइंट एकाउंट है. पिछले दिनों उनकी पत्नी के पास कॉल आया और एटीएम कार्ड का नंबर पूछ लिया. इसके बाद 10 हजार रुपये की निकासी कर ली गयी. जिस नंबर से फोन किया गया था, जब उसको ट्रू कॉलर पर डाला गया, ताे पता चला कि बिहार का नंबर है.
कंकड़बाग के बिजनेसमैन से 29 अगस्त को ठगी
कंकड़बाग के अरुण कुमार बिजनेसमैन हैं. उनका एक्सिस बैंक मेन ब्रांच डाकबंगला शाखा में बैंक एकाउंट है. 29 अगस्त को उनके पास फोन आया और एटीएम का कार्ड नंबर पूछ लिया. उन्होंने अपने को बैंक मैनेजर बताया था. नंबर की जानकारी होते ही 7,919 रुपये उड़ा दिये गये. उनके खाते से दूसरे एजेंसी को पेमेंट कर दिया गया है.
यह गैंग ऑनलाइन वाॅलेट का इस्तेमाल कर फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे हैं. आजकल देश के बड़े बैंक और कुछ निजी मोबाइल एप संचालक ऐसे वॉलेट को ग्राहकों को इस्तेमाल करने के लिए लुभा रहे हैं, जिसमें 10 हजार रुपये तक राशि को रखा जा सकता है. फर्जीवाड़ा गैंग इसी सहूलियत का बेजा फायदा उठा रहे हैं.
अमूमन वॉलेट प्रयाेग करने के लिए केवल एटीएम कार्ड का नंबर चाहिए होता है, जैसे ही नंबर मिलता है, वे मौजूद राशि को वॉलेट में ट्रांसफर कर लेते हैं. इसके बाद वे शॉपिंग, रिचार्ज, मनी ट्रांसफर, होटल बुकिंग जैसे योजनाओं में पैसा खर्च करते हैं. जांच एजेंसी इसकी पड़ताल में जुटी है.
नोट: यह तो वह आंकड़ा है, जो पुलिस के रेकाॅर्ड में दर्ज है. लेकिन, हकीकत यह है कि करीब 50% मामले थाने में दर्ज ही नहीं हो रहे हैं. जो मामले दर्ज हो रहे हैं, उनका अनुसंधान नहीं हो पा रहा है.

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