पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ताड़ी और शराबबंदी को लेकर अपने विरोधियों पर शनिवार को जम कर हमला किया. उन्होंने कहा कि एक-दो पैग पीने वाले के चक्कर में सभी लोगों के जीवन को बरबाद नहीं करेंगे. राज्य के 98 फीसदी लोगों को शराबबंदी पसंद आ रही तो कुछ लोग क्यों बाधा डाल रहे हैं? विरोधी चाहे मेरा जितना कचरा करना चाहे या मुझे कचरा बना दें, लेकिन जब यह शराबबंदी लागू हो गयी है तो वह जारी रहेगी. मुख्यमंत्री ताड़ वृक्ष आधारित उद्योग पर आयोजित राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला में बोल रहे थे.
शरीर को नीरा फायदा पहुंचाता है-नीतीश
अधिवेशन भवन में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी के समय से बात आ रही है, तभी तो खादी ग्रामोद्योग में नीरा व उससे बने उत्पाद मिलते थे. जो लोग एक-दो पैग लेते थे वही इसका गलत प्रचार कर रहे हैं. कुछ लोगों के हाथों में ताकत है कि वे बिगाड़ सकते हैं, तो बिगाड़िए ना. अब कुछ लोग बाहर से आना ही नहीं चाहते हैं. कहते हैं कि आपने तो शराबबंद करवा दी है, कैसे काम चलेगा? अरे भाई, आना है तो दिन में आइए और शाम को निकल जाइए. जरूरत तो रात में ना होती है.
मांग उठी तो शराब बंद कराया-सीएम
मुजफ्फरपुर में पता चला कि महिलाओं ने शराब भट्ठियों को तोड़ डाला तभी ये यह बात मन में बैठ गयी थी और एक समारोह में मांग उठने पर मैंने कह दिया कि अगली बार आऊंगा तो शराब बंद करूंगा. सरकार बनी तो शराबबंदी कर दी गयी, तो अब दिक्कत क्यों हो रही है. बाढ़ राहत शिविरों पर मुख्यमंत्री ने विरोधियों पर कहा कि वे फिल्ड विजिटर नहीं है, डेस्क राइटर हैं. कहां से क्या लिख देंगे पता नहीं चलता. उन्होंने कहा कि वे किसी के विरोध में काम नहीं करते है, लेकिन जब कोई बहुत कुछ कहता है तो जवाब जरूर देते हैं.
अप्रैल 2017 से मिलेगा नीरा उससे बने उत्पाद
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी इच्छा है कि अगले वैशाख (अप्रैल 2017) से नीरा और उससे बने उत्पाद बाजार में उपलब्ध हो. इसके लिए कृषि विश्वविद्यालय कोयंबटूर, तमिलनाडू और कृषि विश्वविद्यालय सबौर के बीच एमओयू भी हुआ है. उद्योग, कृषि, कांफेड समेत अन्य विभाग मिल कर इसमें काम करें और इसका प्रचार-प्रसार और मैनेजमेंट व ब्रांडिंग करें. नीरा की खपत होती है तो उसमें कोई परेशानी नहीं है. उसके बाद जो नीरा बचता है उससे उसके उत्पाद बनाये जायें. गुड़, ताड़ मिश्री, जेली समेत कई अन्य उत्पाद इससे बन सकते हैं. इससे ताड़ी का व्यवसाय करने वालों को रोजगार मिलेगा.
पंचायत व प्रखंड में बने नीरा का कलेक्शन सेंटर
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन पंचायतों व प्रखंडों में ताड़ के पेड़ ज्यादा हैं वहां सेंटर खोले जायें. साथ ही दो-चार पंचायतों या फिर जहां कम पेड़ हैं वहां प्रखंड स्तर पर सेंटर खोले जाये. जिस प्रकार कांफेड 100 किलोमीटर से दूध का कलेक्शन करता था उसी तरह ताड़ी का कलेक्शन किया जाये. इसके लिए नेटवर्क बनाना होगा. कांफेड को दूध की तरह नीरा को भी अपने हाथ में लेना होगा. जीविका समूह की तरह ताड़ी उतारने वाले का समूह बनाकर नीरा को दूध की तरह बरतन में इकट्ठा कर प्रोसेसिंग प्लांट में पहुंचाना होगा. इसमें उसके चिलिंग (ठंडा करने) की व्यवस्था की जाये. इससे एक पेड़ से अभी जितनी आमदनी हो रही है उससे कम से कम दोगुनी होगी.