स्टेशन के पास करीब डेढ़ से दो किलोमीटर तक रेलवे लाइन के किनारे झुग्गी-झोपड़ी बने हैं. इसमें बड़ी आबादी रहती है. इन झोंपड़ियों में रहने वाले बच्चे कूड़ा चुनते हैं या फिर पूरे दिन प्लेटफॉर्म और रेलवे लाइन पर घूमते रहते हैं. जीआरपी थाना ने 53 बच्चों को चिह्नित किया है और इन बच्चों के लिए प्लेटफॉर्म नंबर एक पर ही पाठशाला आयोजित की जा रही है. इन बच्चों को जीआरपी की ओर से निशुल्क कॉपी, किताब, पेंसिल और अन्य सामग्री भी दी जा रही है, ताकि बच्चे प्रोत्साहित होकर पढ़ाई कर सके.
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पटना : झुग्गी-झोंपड़ी के बच्चे खेलने व पढ़ने की उम्र से ही कचरा चुन कर रोटी की जुगाड़ में जुट जाते हैं. इससे समाज की मुख्यधारा से वे कट जाते हैं और उन्हें जीवन का एक मात्र सहारा कूड़ा-कचरा ही रह जाता है. इस परिस्थिति से उबारने का प्रयास जीआरपी पुलिस ने शुरू किया है. […]
पटना : झुग्गी-झोंपड़ी के बच्चे खेलने व पढ़ने की उम्र से ही कचरा चुन कर रोटी की जुगाड़ में जुट जाते हैं. इससे समाज की मुख्यधारा से वे कट जाते हैं और उन्हें जीवन का एक मात्र सहारा कूड़ा-कचरा ही रह जाता है. इस परिस्थिति से उबारने का प्रयास जीआरपी पुलिस ने शुरू किया है. रेल एसपी जीतेंद्र मिश्र के पहल पर पाटलिपुत्र जंकशन जीआरपी थाना ने स्टेशन के आसपास के झोंपड़पट्टी के बच्चों को चिह्नित किया है और इन चिह्नित बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगाने का कार्य शुरू कर दिया है, ताकि झुग्गी-झोंपड़ी के बच्चे शिक्षित होने के साथ-साथ मुख्यधारा से जुड़ सकें.
स्टेशन के पास करीब डेढ़ से दो किलोमीटर तक रेलवे लाइन के किनारे झुग्गी-झोपड़ी बने हैं. इसमें बड़ी आबादी रहती है. इन झोंपड़ियों में रहने वाले बच्चे कूड़ा चुनते हैं या फिर पूरे दिन प्लेटफॉर्म और रेलवे लाइन पर घूमते रहते हैं. जीआरपी थाना ने 53 बच्चों को चिह्नित किया है और इन बच्चों के लिए प्लेटफॉर्म नंबर एक पर ही पाठशाला आयोजित की जा रही है. इन बच्चों को जीआरपी की ओर से निशुल्क कॉपी, किताब, पेंसिल और अन्य सामग्री भी दी जा रही है, ताकि बच्चे प्रोत्साहित होकर पढ़ाई कर सके.
थानेदार भी पढ़ा रहे हैं बच्चों को
पिछले एक सप्ताह से जीआरपी थानाध्यक्ष दिलीप कुमार झा बच्चों को पढ़ा रहे हैं. दिन में दो से तीन घंटा इन स्लम बस्ती के बच्चों को प्लेटफॉर्म नंबर-एक पर बैठाते हैं और इन बच्चों को अ से अनार, आ से आम और एक, दो, तीन से सौ तक की गिनती सीखा रहे हैं. हालांकि शनिवार को एक सेवानिवृत सूबेदार मेजर भी इन बच्चों को पढ़ाने पहुंचे थे. श्री झा बताते हैं कि झोपड़ी के बच्चे पूरे दिन इधर-उधर भटकते रहते हैं और छोटे से उम्र से ही दो पैसे की जुगाड़ में जुटे रहते हैं. इससे उबारने के लिए इन बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है.
और भी स्टेशनों पर की जायेगी व्यवस्था
पटना जंकशन पर एनजीओ के माध्यम से गरीब बच्चों को पढ़ाया जा रहा है. इसके बाद पाटलिपुत्र जंकशन पर जीआरपी अपने स्तर पर गरीब बच्चों को शिक्षित करने का काम शुरू की है. हालांकि राजेंद्र नगर, बाढ़, मोकामा, किउल, मसौढ़ी, गया, जहानाबाद, सासाराम, आरा, बक्सर, दानापुर आदि स्टेशनों के आसपास स्थित झुग्गी-झोंपड़ियों के बच्चों को पढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी.
सभी जीआरपी थानों को दिया गया है निर्देश
जंकशन या फिर रेलवे लाइन किनारे स्थित झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चे प्लेटफॉर्म पर भटकते रहते हैं या कूड़ा चुनने को मजबूर हैं. छोटे से उम्र में असामाजिक कार्य भी करने लगते हैं. इससे उबारने के लिए इन बच्चों को शिक्षित करने की योजना बनायी है. इस योजना के तहत सभी जीआरपी थाना को निर्देश दिया है कि अपने-अपने क्षेत्र में झोंपड़ियों के बच्चों को पढ़ाना शुरू करें.
जीतेंद्र मिश्र, रेल एसपी, पटना
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