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एक साल में शहर से ले ली 5699 पेड़ों की बलि, भरपाई में लग जायेंगे 30 साल
अनुपम कुमारी पटना : सरकार भले ही पौधारोपण कर वाह-वाही बटोर रही है, लेकिन वो विकास की आड़ में शहर की हरियाली छीन रही है. शहर को छांव देने वाले 5699 पेड़ों को इस साल शहरीकरण व सड़क चौड़ीकरण के नाम पर काट दिया गया है. क्षतिपूर्ति के नाम पर वन एवं पर्यावरण विभाग की […]
अनुपम कुमारी
पटना : सरकार भले ही पौधारोपण कर वाह-वाही बटोर रही है, लेकिन वो विकास की आड़ में शहर की हरियाली छीन रही है. शहर को छांव देने वाले 5699 पेड़ों को इस साल शहरीकरण व सड़क चौड़ीकरण के नाम पर काट दिया गया है.
क्षतिपूर्ति के नाम पर वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से तीन गुणा पौधे लगाये तो गये, लेकिन वो शहर के बाहर दूसरे जिलों में लगाये जा रहे हैं. इन पौधों को भी पेड़ बनने में कम से कम 20-30 वर्ष का इंतजार करना पड़ सकता है. इन पौधों को तैयार होकर पेड़ बनने में इतना समय तो लगेगा. राजधानी में इस वर्ष कुल 5,581 पौधे काट दिये गये और 118 काटे जाने हैं
कहां से कितने पेड़ काटे
एनएच 83 2229
पटना बेली रोड 3271
गाय घाट 33
दूरदर्शन केंद्र 05
पीएमसीएच परिसर 02
पटना व्यवहार न्यायालय 12
आनंदपुर थाना बिहटा 21
शैक्षणिक आधारभूत संरचना 08
बेली रोड से कटे 3389 पेड़
राजधानी में 2016-17 में कुल 5,581 पेड़ों की कटाई की गयी है. इनमें बेली रोड में 3389 पेड़ों की कटाई की गयी है. बिहार राज्य पुल निर्माण निगम की ओर से जवाहर लाल नेहरू मार्ग से लोहिया पथ चक्र के निर्माण के तहत 3271 पेड़ काटे गये आैर 118 पेड़ों को काटने की तैयारी है. इसके लिए पर्यावरण एवं वन विभाग की ओर से अनुमति की मांग की गयी है. जल्द ही शेष बचे 118 पेड़ बेली रोड में ललित भवन से लेकर विद्युत भवन तक काट दिये जायेंगे. इसके अलावा नेशनल हाइवे के तहत 2229 पेड़ों की कटाई की गयी है.
तीन गुने पौधे लगाने का है प्रावधान
वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से काटे गये वृक्षों की क्षतिपूर्ति एक पेड़ के बदले तीन पेड़ लगा कर की जानी है. इसके तहत 17 हजार पौधे लगाये जाने हैं. लेकिन इन पेड़ों को लगाने के लिए वन विभाग को जगह नहीं मिल पा रही है. ऐसे में इन पेड़ों की क्षतिपूर्ति दूसरे जिलों में खाली पड़े जमीनों में लगाकर की जा रही है. इसके लिए अररिया जिला में जैविक विविधता उद्यान विकसित किये जा रहे हैं. ताकि शहरों की दूर होने वाली हरियाली की क्षतिपूर्ति इन उद्यानों में पौधे लगाकर किया जा सके.
जमीन नहीं, इसलिए दूसरे जिलों में लगा रहे पौधे
पेड़ों की कटाई के लिए जो विभिन्न विभागों से हमारे पास आवेदन आते हैं. उनकी जांच कर पेड़ों की कटाई की अनुमति दी जाती है. इसकी क्षतिपूर्ति के तहत पौधे लगाये जा रहे हैं. शहर के आस-पास जमीन नहीं मिलने पर दूसरे जिलों में पौधे लगाये जा रहे हैं.
मिहिर कुमार झा, डीएफओ, पर्यावरण एवं वन प्रमंडल
आने वाले दिनों में कृत्रिम ऑक्सीजन से चलाना होगा काम
प्रकृति की रक्षा के लिए पेड़ बहुत जरूरी हैं, लेकिन शहरों में विकास के नाम पर पेड़ों की निरंतर कटाई जारी है.हमारे जीवन के लिए आॅक्सीजन देने वाले पेड़ पौधे ही नहीं होंगे तो ऐसे में अब वह दिन दूर नहीं, जब लोगों को कृत्रिम ऑक्सीजन लेकर चलना होगा. पेड़ों के नहीं होने से वर्षा भी कम हो रही है. तापमान को नियंत्रित करने वाले पेड़-पौधे नहीं होंगे, तो बारिश नहीं होगी. साथ ही ताप बढ़ने से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ेगी. ऐसे में शहरों के विकास के साथ-साथ पेड़-पौधों का विकास भी जरूरी है. नहीं तो अॉक्सीजन की काफी कमी हो जायेगी.
डॉ पुष्पांजलि खरे, प्रोफेसर, बॉटनी विभाग, मगध महिला कॉलेज
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