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बंदूक की नोक पर मची ‘सोना’ लूटने की होड़

पटना और भोजपुर जिले में प्रतिदिन होता है 40-50 लाख रुपये के बालू का अवैध कारोबार पटना/कोइलवर : सोन नदी की सुनहरी रेत का काला कारोबार करोड़ों में हैं. काले कारोबार को लेकर कोइलवर के सुरौंधा मौजा के समीप मनेर व बिहटा मौजा के दियारा क्षेत्र में रविवार को हुई गोलीबारी पहली घटना नहीं है, […]

पटना और भोजपुर जिले में प्रतिदिन होता है 40-50 लाख रुपये के बालू का अवैध कारोबार
पटना/कोइलवर : सोन नदी की सुनहरी रेत का काला कारोबार करोड़ों में हैं. काले कारोबार को लेकर कोइलवर के सुरौंधा मौजा के समीप मनेर व बिहटा मौजा के दियारा क्षेत्र में रविवार को हुई गोलीबारी पहली घटना नहीं है, बल्कि वर्चस्व को लेकर फौजिया व सिपाही गुट के बीच कई बार गोलीबारी हो चुकी है.
एक-दूसरे पर भारी पड़ने के लिए एके 47 जैसे हथियार का इस्तेमाल किया गया. इसकी रणनीति पहले से ही बन रही रही थी और फिर पूरी तैयारी के साथ फौजिया गिरोह ने बालूघाट पर कब्जा करने के लिए हमला किया, लेकिन सिपाही गुट की गोलीबारी में उसका मंशी प्रमोद पांडेय मारा गया. हालांकि सिपाही गुट की ओर से भी दो लोग घायल हुए.
इसके पूर्व में हुई गोलीबारी में मौतें होती रही हैं, लेकिन इसकी भनक किसी को नहीं लगती थी. इस घटना में भी यह आशंका जतायी जा रही है कि और भी लोगों की मौतें हुई हैं, लेकिन शवों को नदी में डाल दिया गया होगा. मनेर से लेकर कोइलवर तक का दियारा ऐसा इलाका है, जहां जाने के लिए पुलिस को भी सोचना पड़ता है. नाव से पार होकर उस पार जाना और दियारा में छापेमारी करना काफी कठिन काम है. खास बात यह है कि बालू उठाव का काम रात में ज्यादा होता है, जिसके कारण पुलिस कुछ नहीं कर पाती है. पुलिस को देख बालू उठाव करने वाले तुरंत ही वहां से निकल जाते हैं.
कोइलवर थाना क्षेत्र से घटनास्थल की दूरी लगभग 12 किलोमीटर है. वहां कोई भी चारपहिया वाहन या दो पहिया वाहन नहीं जाता है. घटनास्थल तक जाने के लिए बालू कारोबारियों या आमजनों को दियारा क्षेत्र के बाद नाव से ही जाना पड़ता है़, सोन नद के दोआब क्षेत्र से बालू के उत्खनन पर राेक लगने के बाद सुअरमरवां व आमनाबाद से अवैध कटाई शुरू कर दी गयी. वहीं, छपरा जिले के डोरीगंज से हजारों बड़ी नावें प्रतिदिन बालू लोड कर वापस उसी रास्ते से लौट जाती है़ं. इसका राजस्व का हिसाब न पटना और न ही भोजपुर जिले को मिलता है़. सूत्रों की मानें तो बालू लोड का सारा खेल बंदूक की नोक पर संचालित होता है.
यहां से प्रतिदिन 40-50 लाख रुपये का कारोबार होता है़. बालू कंपनी के द्वारा भोजपुर से 22 लाख रुपये राजस्व की प्राप्ति सरकार को होती है. अगर उसमें टैक्स जोड़ दिया जाये, तो इसमें और इजाफा हो जाता है़. भोजपुर जिले के सहार के आठ घाटों पर प्रतिदिन लगभग एक हजार ट्रक व इतने ही ट्रैक्टर बालू का उठाव कर मंडियों तक पहुंचते है़.
इस तरह भूगोल को समझिए ये हैं सीमा व थाना क्षेत्र भोजपुर जिले को पटना जिले से जोड़ने वाला मुहई महाल का दोआब क्षेत्र में दस वर्ष पूर्व कोइलवर थाना क्षेत्र में पड़ता था, लेकिन बालू के अवैध उत्खनन से कोइलवर मौजा का क्षेत्र पानी से भर गया़, जिसकी दूरी लगभग एक किलोमीटर हो गयी और वहां पर फिलहाल अभी अंधाधुंध उत्खनन हो रहा है. वहीं गोलीबारी की जहां घटना हुई है, वह बिहटा थाना क्षेत्र का आमनाबाद है़. सोन नद के रूख बदलने व बाढ़ में कटाव के कारण सीमा क्षेत्र पेचीदा हो गया है़.
75 एकड़ भूमि का विवाद
बालू के अवैध उत्खनन के लिए 75 एकड़ भूमि का विवाद है़. इस पर दोनों गुटों के बीच वर्चस्व की लड़ाई कई वर्षों से जारी है़. 30 वर्षों से उत्खनन के बाद भी क्षेत्र के उत्खनन विभाग व पुलिस प्रशासन मौन रहे. 75 एकड़ भूमि के बंदोबस्तधारी (जमीन मालिक) सूर्य नारायण राय, दीप नारायण राय, राम नारायण राय, अनुज राय, किशोर राय, चिंता राय, होसिल राय, नवाब राय, रामध्यान राय, रामानुज राय, जो कटेसर, आमनाबाद, थाना बिहटा के नाम से कब्जा है.
अलग अलग नामों से उक्त जमीन की रसीद भी कटाते है़ं. इधर एक वर्ष पूर्व ही वर्ष 2015-17 के लिए 75 एकड़ जमीन जिसका, खेसरा नंबर 797 व खाता नंबर 170, 171, 172, 173, 174 व 175 का एग्रीमेंट बालू उत्खनन के लिए फौजिया समेत सोलह लोगों के नाम से किया था़.
इसमें एकरारनामा बना था कि दोनों पक्ष उक्त भूमि का उपयोग बालू उत्खनन के लिए करेगें, जिसमें किसी कार्य के लिए दोनों पक्ष आधे-आधे पैसे खर्च करेंगे. बालू उत्खनन का हिसाब प्रतिदिन होगा. विशेष खर्च या किसी विशेष कार्य के लिए पंद्रह दिनों पर वार्ता होगी आदि एकरारनामे में शामिल है़
हालांकि थाना क्षेत्र 107 में पानी होने के कारण बिहटा थाना क्षेत्र 38 व मनेर के 104 थाना क्षेत्र सुअरमरवां में बालू का अवैध उत्खनन को लेकर दोआब क्षेत्र में गोलियों की तड़तड़ाहट गूंज उठी थी़. जमीन को लेकर बिहटा के अमनाबाद व चौरासी गांव के लोग आमने-सामने हैं. चौरासी गांव से उमाशंकर उर्फ सिपाही नेतृत्व करता है और अमनाबाद से शंकर उर्फ फौजिया नेतृत्व करता है.
सिर्फ तीन घाटों पर ही है उत्खनन की मंजूरी
बिहटा : सोन नदी से बालू निकालने को लेकर अभी तीन घाटों को अनुमति मिली है, जिसमें महुआर, पांडेयचक और आनंदपुर शामिल हैं. लेकिन, सरकार के इन तीन घाटों पर अनुमति के बदले आधा दर्जन से अधिक घाटों पर बालू निकासी जारी है. इन तीन घाटों से ही सरकार को राजस्व प्राप्ति होती है, बाकी घाटों से अवैध बालू निकाले जाते हैं, जिसके कारण सरकार को राजस्व नहीं मिलता है. खास बात यह है कि पटना और आरा जिला को जोड़नेवाला महुई महाल वैसा इलाका है,जहां प्रत्येक साल करीब दो हजार एकड़ में अवैध बालू का उत्खनन होता है. इसकी जानकारी उत्खनन विभाग के साथ ही पुलिस प्रशासन को भी है, लेकिन वे मूकदर्शक बने हुए हैं.
मसौढ़ी : अनुमंडल के तीनों प्रखंडों, मसौढ़ी, धनरूआ व पुनपुन में स्थित पुनपुन, मोरहर, दरधा, कररूआ व भूतही नदी से बालू की निकासी की जाती है. हालांकि फिलहाल नदी में अत्यधिक पानी आने से बालू की निकासी का रफ्तार कुछ कम है. बावजूद यहां वैध घाटों की अपेक्षा अवैध घाटों की संख्या अधिक है. जहां जिसकी लाठी मजबूत होती है, वहीं वहां से बालू उत्खनन करता है. सब कुछ जानते हुए भी प्रशासन अनजान बना रहता है. हालांकि कभी-कभी बालू से लदे ट्रैक्टर को पकड़ कर पुलिस अपने कर्तव्य का पालन अवश्य कर लेती है. पुलिस व बालू माफिया के बीच भिड़ंत भी हो चुकी है. कादिरगंज थाना के दौलतपुर मे तो पुलिस को पीछे हटना पड़ा था, हालांकि पुलिस बाद में मामला दर्ज कर कार्रवाई भी की थी.
मसौढ़ी के पुनपुन नदी से डुमरी (पितवास ), चकिया, देवरिया, टिकुलपर, पतरिंगा और खैनीया के अलावा धनरूआ के पभेड़ा, सतपरसा, देवघा और मुसाढ़ी घाट ही वैध घाटों की सूची में शामिल है. वहीं, मसौढ़ी के पोआवां, वश्विभरपुर, धनरूआ के गुलरियाबीगहा, भेड़गावां, कोल्हाचक, रसलपूर, बहरामपुर, सेवधा, गोबरबीगहा, धमौल, मखदुमपुर, कुशवन, व मधुवन समेत कई ऐसे घाट हैं, जहां जिसकी चली वही अवैध रूप से बालू का खनन कर रहा है. वहीं पुनपुन प्रखंड के सहवाजपुर, खैरा, पुरैनिया समेत ऐसे आधा दर्जन बालू घाटों पर किसी न किसी का वर्चस्व है.
मनेर : सुअरमरवां, चौरासी सोन घाट के नजदीक दियारा पर अवैध बालू खनन पर कब्जा को लेकर फौजिया गुट व सिपाही गुट के बीच हुए गोलीबारी में प्रमोद पांडे की हत्या के बाद गैंगवार की आशंका बढ़ गयी है. प्रमोद पांडे शिव दयाल उर्फ फौजिया का दायां हाथ के रूप में जाना जाता था. फौजिया के हर अापराधिक काम में मुख्य सहयोगी व सलाहकार की गिनती में प्रमोद पांडे था. उसकी मौत से फौजिया गिरोह काे झटका लगा है और वह बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है. दूसरी ओर, सुअरमरवां गांव इलाके में भी तनाव है और लोग बदले की कार्रवाई के मद्देनजर तैयारी कर रहे हैं.

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