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अब तक नहीं खरीदी गयीं दवाइयां
पटना : राजधानी की सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी पूरी नहीं हो पा रही है. कई अस्पताल ऐसे हैं, जिनमें पिछले चार से छह महीनों से दवाइयां खत्म हो चुकी हैं. इससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यह स्थिति तब है जब राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक जितेंद्र श्रीवास्तव […]
पटना : राजधानी की सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी पूरी नहीं हो पा रही है. कई अस्पताल ऐसे हैं, जिनमें पिछले चार से छह महीनों से दवाइयां खत्म हो चुकी हैं. इससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यह स्थिति तब है जब राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक जितेंद्र श्रीवास्तव ने शहर के चार अस्पतालों को चार दिनों के अंदर दवाओं की कमी को पूरा करने को कहा था. कार्यपालक निदेशक के आदेश की खुलेआम अवहेलना की जा रही है. इससे मरीजों को प्राइवेट दवा दुकानों से दवाइयां खरीदनी पड़ रही है.
यहां नहीं हैं एक भी दवा : प्रदेश का एक मात्र नेत्र अस्पताल राजेंद्र नगर नेत्रालय में एक भी दवा नहीं है. यहां तक की मरीजों के आंखों में डालनेवाला आइ ड्राफ्ट तक खत्म हो गया है.
पिछले छह महीनों से यहां दवाओं की कमी है. बड़ी बात तो यह है कि मरीजोंको नि:शुल्क दवाइयां मिले, इस दिशा में नेत्र अस्पताल की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है. यहां 39 तरह की दवाइयों को रखने का नियम है. यहां रोजाना दो से तीन सौ के बीच मरीज आते हैं. इसके अलावा राजवंशी नगर के जेपी अस्पताल और पटना सिटी के गुरु गोविंद सिंह सरकारी अस्पताल में भी दवाइयां नहीं खरीदी जा सकी हैं, जबकि 26 जुलाई तक दवाइयां खरीद लेनी थी.
गार्डिनर में दवाओं के लिए टेंडर : गार्डिनर रोड अस्पताल में दवाओं के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है.यहां 15 दिनों के अंदर दवाइयां मिलने लगेंगी. अस्पताल के अधिकारियों का कहना है कि 133 प्रकार की दवाओं के लिए टेंडर दिया गया है. हालांकि वर्तमान समय में 22 प्रकार की दवाइयां मिल रही हैं. गौरतलब है कि कार्यपालक निदेशक जितेंद्र श्रीवास्तव ने शहर के चार अस्पतालों में दवा खत्म होने पर नाराजगी जतायी थी और चार दिनों के अंदर कमियाें को पूरा करने का आदेश दिया था. बावजूद आज तक स्थिति जस-की-तस बनी हुई है.
टेंडर की प्रक्रिया पूरी
मरीजों को नि:शुल्क दवा मिले, इसके लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गयी हैं. 133 प्रकार की दवाएं खरीदी जायेंगी. लिस्ट में सभी प्रकार की दवाएं हैं. उम्मीद है कि 15 दिन के अंदर मरीजों को पूरी दवाएं मिलने लगेंगी. टेंडर प्रक्रिया नहीं होने के कारण मरीजों को दवाएं नहीं मिल रही थीं.
डॉ मनोज कुमार सिन्हा, इंचार्ज, गार्डिनर रोड अस्पताल
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