श्रीनगर : कश्मीर में जारी अशांति और कर्फ्यू के चलते आव-अवाम तो परेशान हैं ही, काम के अवसरों की कमी होने से हजारों की संख्या में दूसरे प्रांतों से आये श्रमिकों को देश के अन्य हिस्सों में रोजी-रोटी तलाशने के लिए घाटी छोड़ने को बाध्य होना पड़ा है. बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश से काम की तलाश में घाटी आये श्रमिक वापस लौट रहे हैं.
दिन ढलने के बाद देश के उत्तर और पूर्व में विभिन्न राज्यों से आये सैकड़ों श्रमिक जम्मू जानेवाली पहली बस या टैक्सी पकड़ने के लिए यहां टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर का रुख कर रहे हैं. बिहार के विजय कुमार ने बताया, ‘कश्मीर में जारी अशांति के चलते पिछले 15 दिनों से हमारे पास कोई काम नहीं है.’ शहर के सिविल लाइंस में रामबाग में एक किराये के मकान में रह रहे कुमार ने कहा कि यद्यपि उन्हें और उनके साथियों को स्थानीय लोगों से किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा, काम के अवसरों की कमी के चलते उन्हें घाटी छोड़ने को बाध्य होना पड़ा.
कुमार के साथ उसके कमरे में रहने वाले सीताराम ने कहा, ‘कश्मीर में काम का सीमित सीजन है और हम अपना परिवार चलाने परदेस में कमाने आये थे. मौजूदा स्थिति के चलते हम कोई काम हासिल करने में समर्थ नहीं हैं.’
बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, यूपी और पंजाब से अनुमानित पांच लाख श्रमिक काम के लिए हर साल बसंत ऋतु में कश्मीर आते हैं और जाड़ा शुरू होने के साथ वे अपने घरों को वापस लौट जाते हैं. उधर, पाकिस्तान ने यूएन अधिकारियों के समक्ष कश्मीर मुद्दा उठाते हुए यूएन महासचिव बान की मून एवं सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष को लिखे पत्रों में आतंकी बुरहान की मौत पर घाटी में मानवाधिकार उल्लंघनों पर ‘चिंता’ व्यक्त की.